कैबिनेट द्वारा निर्विघ्न प्रबंधन और धान को किसी और तरफ़ इस्तेमाल किए जाने से रोकने के लिए नयी पंजाब कस्टम नीति का ऐलान
चंडीगढ़, 25 अगस्त (विश्ववार्ता):कोविड महामारी के दौरान पहली बार समूचे पंजाब में चावल मुहैया करवाए जाने की प्रक्रिया जिसमें चावल मिलों की वीडियो के द्वारा वैरीफिकेशन, अलॉटमैंट और रजिस्ट्रेशन भी शामिल है, खरीफ की फ़सल के 2020-21 सीजन के लिए राज्य की धान से सम्बन्धित नयी कस्टम मिलिंग नीति के अंतर्गत ऑनलाइन ढंग से पूरी की जाएगी।
धान की निर्विघ्न खरीद को यकीनी बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक पोर्टल 222.ड्डठ्ठड्डड्डद्भद्मद्धड्डह्म्द्बस्र.द्बठ्ठ भी शुरू किया जाएगा, जिसका रास्ता मंगलवार को हुई राज्य की कैबिनेट की मीटिंग में साफ हो गया। मीटिंग के दौरान कैबिनेट द्वारा नयी नीति को मंज़ूरी दी गई, जिसका मकसद धान की निर्विघ्न मिलिंग और राज्य की 4150 से ज़्यादा मिलों से चावलों को केंद्रीय पुल में भेजा जाना है।
यह मीटिंग मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन वर्चुअल प्रणाली के द्वारा की गई।
सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सालाना खऱीद प्रक्रिया अब ऑनलाइन प्रणाली के द्वारा लगातार पूरी जाएगी, जिसमें मिलों की अलॉटमैंट, रजिस्ट्रेशन, रिलीज़ ऑर्डर लागू करना, आर.ओ. फीस और चुंगी / कस्टम मिलिंग सिक्योरिटी जमा करावाना और इसके अलावा स्टॉक की निगरानी शामिल है।
राज्य की सभी खरीद एजेंसियाँ जैसे कि पनग्रेन, मार्कफैड, पनसप, पंजाब स्टेट वेयरहाऊसिंग कोर्पोरेशन जिसमें भारतीय खाद्य निगम और चावल मिल मालिक / उनके कानूनी वारिस और अन्य सम्बन्धित जिनके हित इसके साथ जुड़े हैं, वैबसाईट पर ही अपनी गतिविधियां चलाऐंगे और राज्य का खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग इस संबंधी नोडल विभाग होगा।
इस नीति के अंतर्गत इस सीजन के दौरान मिलों को मुफ़्त धान की फ़सल उपलब्ध करवाए जाने का एकमात्र मापदंड बीते वर्ष भाव खरीफ मार्किटिंग सीजन 2019-20 के दौरान मिल्लर की कारगुज़ारी होगी। मिलों को बीते वर्ष के दौरान आर.ओ. धान समेत कस्टम मिल्ड धान की मिलिंग की तुलना में चावल मुहैया करवाए जाने की तारीख़ को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त प्रतिशत के हिसाब से वित्तीय लाभ दिए जाएंगे। जिन मिलों ने 31 जनवरी, 2020 तक मिलिंग की समूची प्रक्रिया पूरी कर ली थी, वह नीति के अनुसार, 2019-20 में छटाई किए गए मुफ़्त धान के अतिरिक्त 15 प्रतिशत हिस्से के हकदार होंगे। जिन्होंने 28 फरवरी, 2020 तक चावल मुहैया करवाने की प्रक्रिया पूरी की होगी, उनको अतिरिक्त 10 प्रतिशत धान की फ़सल मुफ़्त मिलेगा।
स्टॉकों की ज़मानत के तौर पर इस वर्ष मिल मालिकों को बढ़ी हुई बैंक गारंटी जमा करवानी पड़ेगी, जो कि बीते वर्ष 5000 मीट्रिक टन पर 5 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 3000 मीट्रिक टन से अधिक मात्रा के अलॉट होने योग्य मुफ़्त धान की खरीद कीमत के 10 प्रतिशत के बराबर होगी। बैंक गारंटी जमा करवाने के लिए शुरुआती हद कम करने के साथ 1000 से अधिक और मिलें सीधी निगरानी के अंतर्गत आ जाएंगी।
इसके अलावा एक मिल्लर को अपने खाते में 150 मीट्रिक टन कम-से-कम धान की फ़सल खऱीदनी होगी या उसे न वापस करने योग्य 5 लाख रुपए की रकम राज्य के खज़ाने में जमा करवानी पड़ेगी और इसके अलावा 5 लाख रुपए की और रकम वापसी योग्य सिक्योरिटी के तौर पर पनग्रेन के खाते में ऑनलाइन ढंग से जमा करवानी होगी।
धान को किसी और तरफ़ इस्तेमाल किए जाने को रोकने के लिए आर.ओ. धान को कस्टम मिलिंग सिक्योरिटी के दायरे में लाया गया है और मिल मालिकों को भंडारण किये गए पूरे धान या इसके कुछ हिस्से जिसमें आर.ओ. धान की फ़सल भी शामिल होगी, के लिए प्रति मीट्रिक टन के तौर पर 125 रुपए सम्बन्धित एजेंसी के पास जमा करवाने पड़ेंगे।
एक और पृथक कदम उठाते हुए कस्टम मिलिंग राइस में नमी की मात्रा के मुद्दे से निपट