कहा कि अगर प्रस्तावित कानून की विधानसभा में बिना चर्चा के उसी तरह धक्केशाही की जाती है, जिस तरह से नदी जल समाप्ति अधिनियम 2004 में कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा हरियाणा में पानी के प्रवाह की अनुमति देने के लिए पारित किया गया था, इससे पंजाब का फिर से नुकसान होगा
चंडीगढ़/17अक्टूबर ( विश्ववार्ता ):शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा है कि पंजाब में केंद्र और कांग्रेस सरकार के बीच स्पष्ट मिलीभगत थी इसी कारण कांग्रेस 19 अक्टूबर को होने वाले विशेष विधानसभा सत्र में लाने वाले प्रस्तावित कानून का खुलासा नही कर रही है।
प्रस्तावित कानून के बारे में ब्यौरा छिपाने के लिए पंजाब सरकार की निंदा करते हुए अकाली विधायक दल ने आज मांग की है कि इस पूरे प्रस्ताव को तुरंत सार्वजनिक किया जाए तथा सभी किसान संगठन द्वारा बदलाव का सुझाव दिया जा सके। अगर सरकार सोशल मीडिया के साथ साथ सुझाव आमंत्रित करने करने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रानितक मीडिरूा पर अपना प्रस्ताव जारी करे तभी पंजाब की भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए समझौता तैयार किया जा सकता है। तीन करोड़ पंजाबियों को प्रस्तावित विधेयक का मालिक होना चाहिए। पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने यहां एक पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि पंजाब और पंजाबियों को इस मुददे पर एकजुट होना चाहिए।
उन्होने कहा कि यदि सरकार ऐसा नही करती है और विधानसभा में कानून पर उसी तरह धक्केशाही करती है जिस तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूरी चर्चा किए बिना 2004 में नदी जल समाप्ति अधिनियम पारित किया था और पानी के स्वतंत्र जल प्रवाह की अनुमति दी थी तो पंजाब को फिर से हानि होगी।
सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने शरनजीत सिंह ढ़िल्लों के साथ कहा कि पार्टी विधायकों को इस बात का दुख है कि कांग्रेस ने जानबूझकर पंजाबियों के प्रस्तावित कानून के विषय को रोक दिया है। उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा एनडीए के साथ तय मैच के तौर पर केंद्र को नही भेजा था जिससे पहले ही अध्यादेशो को नजरअंदाज करके रददी की टोकरी में डालने के कारण पहले ही 28 अगस्त को प्रस्ताव को पहले ही बदनामी का सामना करना पड़ा। अब हम लोग उसी तरह की दोहरी रणनीति को दोहराना नही चाहते, किसान संगठनों तथा बार बार जोर डालने के बाद मुख्यमंत्री ने फ्लिप-फ्लॉप कर विशेष सत्र बुलाया है।
सरदार शरनजीत सिंह ढ़िल्लों ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल ने अपनी तरफ से दो प्राईवेट मैंबर विधेयक प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य का प्रदर्शन किया है जिसमें 2017 में कृषि उपज मंडी अधिनियम में किए गए संशोधनों को पलटने के अलावा पूरे राज्य को एक प्रमुख मंडी बनाने के लिए कहा गया है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को विशेष सत्र में किसान समुदाय की समस्याओं को समाधान भी करना चाहिए और उनसे किए सभी वादे पूरा करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम करना चाहिए जिसमें सभी किसान आत्महत्या पीड़ित परिवारों को 10 लाख मुआवजा और प्रत्येक परिवार की नौकरी शामिल है।
इस अवसर पर श्री एन के शर्मा, सरदार गुरप्रताप सिंह वडाला, सरदार मनप्रीत अयाली, सरदार हरिंदरपाल सिंह चंदूमाजरा तथा सरदर कंवलजीत सिंह बरकंदी उपस्थित थे।