-सीसीएल घपलेबाजी पर वाइट पेपर जारी करे सरकारें – कुलतार सिंह संधवां
चण्डीगढ़, 22 सितम्बर 2020 (विश्ववार्ता):आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने मोदी सरकार की ओर से गेहूं के कम से कम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में किए प्रति क्विंटल 50 रुपए वृद्धि को बेहद तुच्छ बताते इस को सिरे से रद्द कर दिया है। कृषि विरोधी काले कानूनों के विरुद्ध किसानों के गुस्से के दौरान एमएसपी में वृद्धि के ऐलान को भी आम आदमी पार्टी एक फरेब से भरी शरारत के तौर पर देख रही है। इसके साथ ही पार्टी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से फसलों की खरीद के लिए केंद्र की ओर से प्रदेश सरकार को हर छिमाही जारी की जाती कैश क्रेडिट लिमट (सीसीएल) पर रोक लगाए जाने पर सवाल उठाए हैं।
‘आप’ ने सीसीएल के नाम पर हजारों करोड़ रुपए के घोटाले होने का गंभीर दोष लगाया और सीसीएल के बारे में पिछले 20 सालों का वाइट पेपर जारी करने की मांग भी रखी।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी संयुक्त बयान के द्वारा नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने गेहूं समेत रब्बी की बाकी फसलों की एमएसपी में किए मामूली वृद्धि को देश के अंनदाता के साथ भद्दा मजाक बताया।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आसमान चढ़ी महंगाई के सामने 50 रुपए प्रति क्विंटल वृद्धि का ऐलान जख्मों पर नमक छिडक़ने जैसा है।
चीमा ने वृद्धि के ऐलान के समय के बारे में सवाल उठाया कि मोदी सरकार काले कानूनों के विरुद्ध बेहद गुस्से से भरे देश के किसानों को लोलीपोप और एमएसपी के बारे में भंबलभूंसा पैदा करने की बचकाना कोशिश कर रही है, परंतु देश का किसान ऐसी फरेबी शरारतों को भलीभांत समझता है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार एक तरफ काले कानूनों को थोप कर एमएसपी को अर्थहीन कर रही है, दूसरी तरफ एमएसपी के नए ऐलान का नाटक कर रही है।
चीमा ने कहा कि जितनी देर सरकारें एमएसपी ऐलानी फसलों की खरीद की गारंटी नहीं देती उतनी देर एमएसपी का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
इस के साथ ही कुलतार सिंह संधवां ने सीसीएल रोकने के बारे में आरबीआई के फरमान को गंभीरता के साथ लेते हुए कहा कि बिना संदेह कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकारों के दौरान सीसीएल के फंड में कई हजार अरब रुपए का घपला हुआ है, जिस के लिए केंद्र और पंजाब सरकार को 1997 से लेकर आज तक जारी हुए सीसीएल फंडों और लेखों पर अपने-अपने वाइट पेपर जारी करें।
संधवों ने अंदेशा जताया कि यदि सही मिलान हो जाये तो इस सीसीऐल खेल में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक की चपत सामने आ सकती है। संधवों ने सीसीऐल पर आरबियायी की रोक का दूसरा पहलू बयान करते हुए कहा कि यह खेती विरोधी थोपे जा रहे काले कानूनों को मंडियों में नशेबाज़ रूप देने वाला कदम कहा।
संधवों ने कहा कि यदि केंद्र सरकार आरबियायी के द्वारा फ़सल की खऱीद ली अपेक्षित पैसा (सीसीऐल) ही नहीं भेजेगा तो ऐलानी गई ऐमऐसपी अर्थहीन है। ‘न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी ’ की तरह अगर ऐमऐसपी पर फसलों की सरकारी खऱीद ली पैसा (सीसीऐल) ही नहीं जारी करेगी तो फसलों की खऱीद कहाँ से होगी?