-कृषि अध्यादेश लागू होने के बाद पंजाब की बर्बादी का शीशा दिखाती है रिपोर्ट
चंडीगढ़, 31 जुलाई 2020 (विश्ववार्ता):आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान ने केंद्र के कृषि अध्यादेशों के मद्देनजर पंजाब मंडी बोर्ड की ओर से पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी (पीएयू) लुधियाना के द्वारा बिहार के खेती बाजार सुधार (मार्किटिंग रिफार्मज) के करवाए अध्ययन की सनसनीखेज रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह समेत भाजपा के हिस्सेदार सांसद सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री बीबी हरसिमरत कौर बादल से स्पष्टीकरण मांगा है।
शुक्रवार को पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा भगवंत मान ने कहा कि अध्ययन (स्टडी) में सामने आए तथ्य पंजाब की कृषि की बर्बादी वाली तस्वीर साफ दिखाई दे रही हैं। भगवंत मान ने कहा कि केंद्र के कृषि विरोधी अध्यादेशों के लागू होने के उपरांत पंजाब की मंडियों में अनाज किस कद्र बर्बाद होगा व किसान किस तरह ताकतवर कॉर्पोरेट घरानों और निजी व्यापारियों हाथों लूटा जाएगा? बिहार ‘माडल’ उसकी मिसाल है। जिस ने 2006 एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट समिति एक्ट (एपीएमसीए) भंग करके बिहार की कृषि मंडियों को निजी सैक्टर के सुपुर्द करनेकी गलती की थी। हालांकि तत्कालीन सरकार ने तब कृषि सैक्टर में निजी निवेश बडा कर कृषि की काया-कल्प किए जाने के बारे में ठीक उसी तरह सब्जबाग दिखाऐ थे, जैसे कृषि संशोधन के नाम पर मोदी सरकार अपने विनाशकारी अध्यादेशों को लागू करने के लिए दिखा रहे हैं।
भगवंत मान ने कहा कि पीएयू की रिपोर्ट में एनसीएईआर-2019 के हवाले से बताया गया है कि एपीएमसीए भंग होने के उपरांत बिहार की मंडियों में प्राईवेट कंपनियों ने नया निवेश करने की बजाए अपने फायदे के लिए और छूट मांगनी शुरू कर दी। अनाज खरीदने के लिए बदल के तौर पर आगे लेकर आए प्राथमीक सहकारी समतियां भी बुरी तरह फ्लाप साबित हुई, नतीजे के तौर पर बिहार में अनाज खरीद मंडियों की संख्या घटती-घटती 2019-20 में केवल 1619 रह गई जो 4 साल पहले 10 हजार के करीब था।
भगवंत मान ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार एपीएमसीए तोडऩे से पहले (2006) किसानों की 85 प्रतिशत आमदन कम हो कर 57 प्रतिशत रह गई और यह गिरावट जारी है।
भगवंत मान ने कहा कि इस सनसनीखेज रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी समेत अध्यादेशों का विरोध कर रही बाकी राजनैतिक गुटों, किसान-मजदूर जत्थेबंदियां और कृषि आर्थिक माहिरों के उन सभी शंके-संदेहों पर निश्चित रूप से मोहर लगा दी है कि यदि पंजाब सरकार की कमजोरी और बादल परिवार की गद्दारी के कारण पंजाब में मोदी सरकार के घातक कृषि अध्यादेश लागू हो जाते हैं तो पंजाब के किसानों और कृषि पर निर्भर बाकी सभी वर्ग आढतियां, मुनीम, लेबर -पल्लेदारों, छोटे दुकानदारों, खेती मजदूरों और ट्रांसपोर्टरों का बिहार के लोगों की अपेक्षा भी ज़्यादा बुरा हाल होगा, क्योंकि ऐसे घातक प्रबंध में फसलों का कम से कम समर्थन ऐलाने मूल्य (एम.एच.पी) बेमाना हो कर रह जाएगा और कॉर्पोरेट घराने और बड़े व्यापारी गन्ने-मक्का की तरह गेहूं और धान की फसलों के मनमाने कम दाम और लटका-लटका कर भुगतान किया करेंगे।
भगवंत मान ने कहा कि कैप्टन सरकार की तरफ से एपीएमसीए कानून भंग करना बड़ी गलती साबित होगा, हालांकि जिस समय पंजाब विधान सभा में एपीएमसीए भंग किया जा रहा था ‘आप’ विधायकों ने इस का जोरदार विरोध किया था।