पार्टी अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने इस उद्देश्य के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया
चंडीगढ़ /15जूनः शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा पूर्व संस दीय सदस्य प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा है शिरोमणी अकाली दल उत्तर प्रदेश के 1000 सिख किसानों के साथ डटकर खड़ा है तथा उनके विस्थापन की अनुमति कतई नही देगा
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि कि पार्टी अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने इस उद्देश्य के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया । अकाली दल अध्यक्ष ने इस कोर कमेटी में व्यक्तिगत रूप से तथा बलविंदर सिंह भूंदड़ तथा नरेश गुजराल समेत इस मुददे को उठाने के लिए कोर कमेटी का गठन किया।उन्होने इस मुद्दे पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत करने के लिए एक मीटिंग बुलाई है।उन्होने कहा कि अकाली दल का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल यूपी सरकार से मुलाकात करेगा तथा सिख परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करवाएगा।उन्होने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी इस संबध में सिख परिवारों को उनकी जमीन का स्वामित्व अधिकार दिलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित कर चुकी है। उन्होने कहा कि 1947 में देश की आजादी के बाद यूपी के इस इलाके में सिख परिवारों को बसाया गया था। उन्होने कहा कि पुलिस प्रशासन ने गांव चमतपुर तहसील नगीना तथा जिला बिजनौर तथा गांव रणपुर तहसल नीगासम जिला लखमीर पुर खीरी के सिख किसानों को पुलिस प्रशासन द्वारा विस्थापित करना शुरू कर दिया गया। प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि इन सिख किसानों द्वारा यहां बसते समय जंगल तथा वीरान जमीनों को बहुत ज्यादा समय मेहनत करने के बाद बर्बाद जमीनों को आबाद किया गया।
इसके अलावा प्रोफेसर चंदूमाजरा ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के तराई क्षेत्र के जिला रामपुर में तकरीबन 15 गांवों में देश के बंटवारे के समय सिख किसानों ने बिकरशाह नाम के जमीनदार से जमीन खरीद ली थी। उन्होने बताया कि इस खरीदी हुई जमीन की रजिस्ट्री तो करवा ली परंतु इंतकाल नही करवाया गया जिसके कारण जमीन बिकरशाह के नाम ही चलती रही। उन्होने बताया कि 1966 में सीलिंग एक्ट के तहत् अतिरिक्त करार देकर सरकार द्वारा इस जमीन को जंगलात महकमें के नाम आंबटन कर कर दिया गया था। जिसका समय भारी विरोध किया गया। उन्होने कहा कि बाद में 1980 में चकबंदी के दौरान इस जमीन के किसानों के नाम खाते बंद कर दिए गए। पर बाद में सरकार द्वारा उच्चन्यायालय का सहारा लिया गया परंतु उच्च न्यायालय ने इस केस को राजस्व विभाग के विचाराधीन भेज दिया गया। प्रोफेसर चंदूमाजरार ने बताया कि इन सिख किसानों द्वारा इस जमीन से अपने घर बनानेए टयूबवैलों के कनेक्शन लगवाने की सरकारी योजना का लाभ लेने आदि के बावजूद अंत में अब प्रशासन द्वारा इस जमीन को आर्मी सैंटर बनाने के हवाले कर दिया गया। उन्होने कहा कि सिख किसानों के साथ शिरोमणी अकाली दल ऐसी धक्केशाही बर्दाश्त नही करेगा।
प्रोफेसर चंदूमाजरा ने सिख किसानों के विस्थापन की बात करते हुए बताया कि 1964 में गुरुद्वारा नानक मॅताए नेपाल के बार्डर के नजदीक नानक सागर डैम के लिए अधिग्रहण की जमीन से सिख परिवारों को उठा दिया गया था। उन्होने बताया कि उस समय इन परिवारों को जंगलात महकमें की जमीन पर बिठाकर पक्के तौर पर नाम करने का वादा किया गया था। उन्होने बताया कि 1988 में बाढ़ के दौरान अपने बचाव के लिए यह परिवार यहां से उठकर उंच्ची जगह पर बैठ गए तथा बाढ़ के बाद सरकार द्वारा दी जमीन पर नही बैठने दिया गया। प्रोफेसर चंदूमाजरा ने बताया कि 1988 से यह परिवार न्याय के लिए दर दर ठोकरें खा रहे हैं पर न्याय की कोई किरण नही दिखाई दे रही। उन्होने कहा कि ऐसे सिख किसान परिवार के दोबारा बसाने के लिए शिरोमणी अकाली दल हर तरह से सहायता करेगा।
इस समय चंदूमाजरा ने कहा कि सिख समुदाय का देश का आजाद करवाने से लेकर देश की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होने कहा कि देश की आजादी के लिए काले पानी की सजा भोगने तथा जेलों के अत्याचार झेलना ही सिख समुदाय के हिस्से आए हैं। प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि देश के बंटवारे क बाद देश वासियों का पेट भरने के लिए हमेशा ही सिख किसानों ने दिन रात की परवाह किए बगैर जी तौड़ मेहनत की। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल का इतिहास गवाह है कि वह हमेशा ही मानवीय अधिकारोंए गरीबोंए मजदूरों तथा किसानों के साथ खड़ा है। अंत में चंदूमाजरा ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल द्वारा देश के लोगों का पेट भरने वाले इन सिख किसानों का विस्थापन किसी भी कीमत पर नही होने दिया जाएगा। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल यूपी सरकार से बातचीत करने के अलावा आवश्यकता पड़ने पर इस संबधी गृहमंत्री से बातचीत करेगा।