दिल्ली सावधान! आज किसानों का दिल्ली कूच आ रहे किसान
शंभू पर जुटे हजारों ट्रैक्टर, क्रेनें लेकर पहुंचे
बार्डर एरियों मे इंटरनेट बंद, सुरक्षा के कडे प्रंबध
किसानों की बॉर्डर पर लगातार बढ़ रही संख्या
नेशनल हाईवे पर सुबह से ही शुरू हो जाता है लंगर
चंडीगढ, 21 फरवरी (विश्ववार्ता) किसान आंदोलन का आज 8वां दिन है। केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मानने से इनकार के बाद किसान आज सुबह 11 बजे दिल्ली कूच करेंगे। इसके लिए शंभू बॉर्डर पर हाईड्रोलिक क्रेन, जेसीबी व बुलेटप्रूफ पोकलेन जैसी भारी मशीनरी लाई गई है। केंद्र सरकार की ओर से मसूर, उड़द, अरहर (तूर), मक्की और कपास की फसल पर अनुबंध की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने नामंजूर कर दिया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता जारी रखेंगे। कल सुबह 11 बजे दिल्ली कूच किया जाएगा।
किसान नेता जयसिंह जलबेड़ा ने कहा कि 21 फरवरी को हम दिल्ली कूच के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। पहले हमारी कोशिश है कि शांतिपूर्ण वार्ता से हल निकल जाए, अगर हल नहीं निकलता है तो दिल्ली कूच करेंगे। चाहें फिर टकराव में लाठियां और आंसू गैस के गोले ही क्यों न झेलने पड़ जाएं। वहीं हरियाणा में किसानों को काफी सख्ती से सरकार और प्रशासन ने रोक रखा है हम बैरिकेड से आगे बढ़ेंगे तो हरियाणा के किसान भी हमारे साथ आगे जुड़ जाएंगे।
दातासिंह वाला बॉर्डर पर लगातार लंगर चल रहे हैं। इसमें सभी किसानों के लिए हर समय भोजन तैयार रहता है। सुबह ही सेवादार लंगर बनाने शुरू कर देते हैं, जो देर रात तक चलता रहता है। अब यहां माहौल किसी गुरुद्वारे या घर से कम नहीं है। किसानों को केवल अपनी मांगें पूरी करवाने की चिंता है।
किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे 44 बंद है। मारकंडा नदी पुल के पास सील किए गए हाईवे पर ढील देने की बजाए सुरक्षा के बंदोबस्त और बढ़ा दिए गए हैं। सरकार के साथ चली किसानों की बैठक में भी कुछ खास सकारात्मक परिणाम न मिलने के चलते सुरक्षा बलों के जवान और अलर्ट हो गए हैं। ऐसे में दिन भर राहगीरों और वाहन चालकों को आसपास के गांवों से निकलने वाले रास्तों से ही जाना पड़ा।
दातासिंह वाला बॉर्डर पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हरियाणा के भी काफी किसान पंजाब की तरफ बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। धीरे-धीरे किसानों का काफिला बढ़ता जा रहा है। इस बार महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है। महिलाएं अपने बच्चों को लेकर मोर्चा संभाल रही हैं।
ट्रॉलियों में आए सैकड़ों किसानों के पास अपने मोबाइल फोन, लाइट आदि जलाने के लिए कई साधन हैं। उन्होंने राजमार्ग पर लगी लाइटों के कनेक्शनों को खोलकर उनसे अपने बिजली के तार जोड़ दिए हैं। इससे उनके बिजली के उपकरण चल पा रहे हैं। वहीं, कहीं पर किसान ट्रैक्टर से बिजली बना रहे हैं। जिस जगह सुबह से लेकर रात्रि तक किसानों का मंच पर संबोधन हो रहा है उस लाउड स्पीकर के लिए बिजली को भी ट्रैक्टर से बनाया जा रहा है। यह ट्रेक्टर दिनभर स्टॉर्ट रहता है।