हैज़े से बचने के लिए जागरूकता ही अहम उपायः बलबीर सिद्धू
चंडीगढ़, 18 अगस्तःपंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बुधवार को बताया कि जहाँ भी हैज़ा फैलने संबंधी कोई ख़बर सामने आते ही राज्य सरकार द्वारा पूरी सक्रियता के साथ घर-घर जाकर सर्वेक्षण, पीने वाले पानी को रोगाणुमुक्त करने के लिए क्लोरीन की गोलियाँ और ओ.आर.एस. (ओरल रीहाईड्रेशन सल्यूशन) घोल के पैकेट बाँटे गए। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बीमारी बारे शुरूआती चरण पर ही रोकथाम करने के लिए जागरूक होने की ज़रूरत है और घबराना नहीं चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के फैलने को कंट्रोल करने के लिए हर संभव यत्न कर रहा है। इसके साथ ही लोगों को भी हैज़े से बचाने संबंधी उपायों से जागरूक होना चाहिए।
स. सिद्धू ने कहा कि हैज़ा, ‘विब्रियो कोलरा बैक्टीरिया’ के साथ आंत के संक्रमण के कारण होने वाली एक गंभीर दस्त की बीमारी है। हैज़ा बैक्टीरिया से दूषित भोजन या पानी पीने के बाद लोगों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि संक्रमण (इन्फ़ेक्शन) अक्सर हलका या बिना लक्षणों का होता है, परन्तु कई बार यह गंभीर और जानलेवा हो सकता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो गंभीर पानी वाले दस्त आने के कारण लगती है, जिससे पानी की कमी (डीहाईड्रेशन) हो सकती है और अगर इलाज न किया जाये तो मौत भी हो सकती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि यह बीमारी उन स्थानों पर सबसे आम होती है जहाँ सफ़ाई और स्वच्छता के प्रबंध पुख़्ता न हों। हैज़े के कारण किसी किस्म का कोई प्रकोप फैलने के मद्देनज़र मैडीकल टीम और एंबुलेंस को तैनात करने के निर्देश पहले ही जारी किये जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि हैज़े के लक्षण कुछ घंटों बाद या संक्रमण के पाँच दिनों बाद शुरू हो जाते हैं। अक्सर लक्षण हलके होते हैं। हैज़े से पीड़ित 10 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति गंभीर लक्षणों का शिकार होता है, जिसमें मरीज़ को शुरूआती चरणों में बहुत ज़्यादा पानी वाले दस्त आते हैं, कई बार उल्टी, प्यास, टांगों में दर्द, बेचैनी या चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को ‘वाटरी-डायरिया’ वाले मरीज़ की जांच करते समय डीहाईड्रेशन का पता लगाना चाहिए जिसमें दिल की धड़कन का बढ़ना, चमड़ी में लचकता की कमी, और ब्लड प्रेशर का घटना आदि लक्षण शामिल हैं। गंभीर हैज़े वाले लोग गंभीर डीहाईड्रेशन के शिकार होते हैं, जिससे गुर्दे ख़राब हो सकते हैं। अगर समय रहते इलाज न किया जाये, गंभीर डीहाईड्रेशन के कारण कुछ ही घंटों में कोमा और मौत भी हो सकती है।
हैज़े के इलाज और रोकथाम संबंधी जानकारी देते हुए स. सिद्धू ने कहा कि हैज़े का एक टीका उपलब्ध है। सी.डी.सी. और विश्व स्वास्थ्य संगठन दोनों के ख़ास दिशा निर्देश हैं कि यह टीका किस हालात में किसको दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी उबले हुए पानी, रासायनिक तौर पर रोगाणुमुक्त पानी या बोतलबन्द पानी का प्रयोग करके अपनी और परिवार की रक्षा कर सकता है।