विधायकों की याचिका पर फैसला 24 जुलाई को
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 12 दिन से खींचतान जारी है। सीएम पायलट को लेकर 3 बार तीखे बयान दे चुके हैं। पायलट खेमे के विधायक हरियाणा में हैं। गुरुवार को सचिन पायलट समेत 19 विधायकों ने विधानसभा के नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी गहलोत सरकार विश्वास मत के जरिए बहुमत साबित कर सकती है, हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई
स्पीकर के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट खेमे की याचिका पर आज भी राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। पायलट खेमे के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि विधानसभा स्पीकर ने विधायकों को जवाब देने के लिए 3 दिन का ही वक्त दिया, जबकि 7 दिन का देना चाहिए था। आखिर वे इतनी जल्दी में क्यों थे? दलबदल कानून तो इसलिए बनाया गया था, ताकि कोई पार्टी न बदल सके।
रोहतगी ने नोटिस पर सवाल उठाते हुए कई मुद्दों के बारे में भी बात की। उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट की शक्तियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। अदालत को इस मामले को सुनने का अधिकार है। हर मामले को अलग तर्कों के साथ देखना चाहिए।
रोहतगी ने यह भी कहा कि नोटिस शिकायत के दिन ही भेजा गया। नोटिस जारी करने के लिए कोई ठोस वजह नहीं बताई गई। नोटिस में वही सब लिखा गया है जो कुछ शिकायतकर्ता की शिकायत में था। बसपा के विधायकों को कांग्रेस में लाने पर की गई शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं। सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों को बस नोटिस भेजा है। अयोग्य नहीं ठहराया। उन्होंने कहा कि पायलट खेमे की याचिका प्री-मैच्योर है, यह खारिज होनी चाहिए।
पायलट गुट की तरफ से हरीश साल्वे ने दलीलें रखीं। साल्वे ने कहा कि सरकार गिराना अलग बात है और मुख्यमंत्री बनाना अलग बात है। इससे पहले शुक्रवार को भी उन्होंने कहा था कि विधानसभा के बाहर किसी भी गतिविधि को दलबदल विरोधी अधिनियम का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। सत्र भी नहीं चल रहा है, ऐसे में व्हिप का कोई मतलब नहीं है।