चंडीगढ़ (विश्व वार्ता )हरियाणा की मंडियों में गेहूं की खरीद को लेकर हरियाणा सरकार द्वारा बदले जा रहे फैसलों को लेकर विपक्ष को हमला करने का मौका मिल गया है। आज एक बार फिर वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला मीडिया के समक्ष आए और उन्होंने काफी खरी-खोटी सुनाई उन्होंने कहा कि पिछले 6 दिनों में सरकार के फैसले सुना चुकी हैं और बार-बार तुगलकी फरमान जारी हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार अपने घुटने टेक चुकी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस बात को समझ लें कि यह भारत है पाकिस्तान नहीं। उनका आरोप है कि राज्य के किसानों के विरुद्ध बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा हैसुरजेवाला ने कहा कि मोदी-खट्टर सरकारों के ताजातरीन हुक्मनामे ने एक बार फिर किसान-आढ़ती-मजदूर के गठजोड़ को षडयंत्रकारी तौर से तोड़ने की भाजपाई-जजपाई साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। मोदी व खट्टर सरकारों का निशाना केवल किसान को गेहूँ खरीद पर 1925 प्रति क्विंटल का बोनस न देना है।
हरियाणा के गठन के बाद 52 वर्षों में पहली बार गेहूँ खरीद में किसान-आढ़ती की इतनी दुर्दशा व गड़बड़झाला हुआ है। सबूत यह है कि 27 अप्रैल, 2020 तक हरियाणा में 21।60 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद हुई, जबकि पिछले साल इस तिथि तक 91 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद हुई थी – यानि पिछले साल के मुकाबले में मात्र 23।75 प्रतिशत गेहूँ खरीद हुई है। इसका कारण है कि खट्टर-दुष्यंत जी की जोड़ी की नीति और नीयत, दोनों में खोट है।
हरियाणा का किसान-आढ़ती व मजदूर इस बदहाली के लिए भाजपा-जजपा सरकार को कभी माफ नहीं करेगा तथा इसकी सजा इस बेमेल, निर्दयी व जनविरोधी गठबंधन को अवश्य मिलेगी। हर रोज बदलते ‘यू-टर्न’ खट्टर सरकार के फरमानों की क्रोनोलॉजी ऐसी है।26 मार्च, 2020 को खट्टर सरकार ने किसान को गेहूँ खरीद पर ₹50-125 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा कर डाली (संलग्नक A1)। पर आज की तारीख में गेहूँ पर एक भी फूटी कौड़ी बोनस देने की कोई चर्चा नहीं।13 अप्रैल व 16 अप्रैल, 2020 को खट्टर सरकार ने सभी आढ़तियों को ऑनलाईन पेमेंट करने का निर्देश दिया तथा सात प्राईवेट बैंकों में खाते खोलने का फरमान जारी कर दिया (संलग्नक A2 व A3)। फिर यह आदेश वापस ले पुराने सिस्टम पर खरीद करने का निर्णयलिया गया।
21 अप्रैल, 2020 को खट्टर सरकार द्वारा एक बार फिर आढ़तियों की बजाय पंचायत के माध्यम से गेहूँ खरीद का निर्णय लिया गया (संलग्नक A4)। बाद में इस आदेश को भी वापस ले लिया गया। 24 अप्रैल, 2020 को मोदी सरकार द्वारा आदेश जारी कर एक बार फिर डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट का आदेश जारी किया गया। यह भी आदेश दिया गया कि एफसीआई द्वारा खरीद तभी मान्य होगी, जब बगैर किसी कटौती के सारा पैसा डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट से दिया जाएगा (संलग्नक A5)।
27 अप्रैल, 2020 को खट्टर सरकार द्वारा यह आदेश जारी किया गया कि गेहूँ खरीद का सारे पैसे का भुगतान डायरेक्ट ऑनलाईन पेमेंट से किया जाएगा (संलग्नक A6)।
28 अप्रैल, 2020 यानि आज यह निर्णय लिया गया है कि 29 अप्रैल, 2020 को किसी अनाजमंडी या खरीद केंद्र में गेहूँ खरीद नहीं होगी। ऐसा क्यों?
रोज बदलते ‘यू-टर्न’ फरमानों से खट्टर सरकार का अहंकार, हठधर्मिता व षडयंत्र की पोल खुल गई है। सच्चाई यह है कि आढ़ती किसान का चलता फिरता बैंक है। यह रिश्ता दशकों पुराना है व परस्पर विश्वास पर आधारित है। खट्टर-दुष्यंत चैटाला सरकार इस रिश्ते को तोड़कर दशकों से चली आ रही खरीद प्रणाली, परस्पर विश्वास के रिश्ते तथा किसान को मिल रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को तोड़ना चाहती है पर वे जान लें कि वो इस षडयंत्र में कभी कामयाब नहीं होंगे।
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने भी कहा कि सरकार ने नया आदेश जारी करके कहा है कि 29 अप्रैल को गेंहू की खरीद नहीं होगी। जबकि किसान अपनी गेंहू बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। जबकि काफी दिनों से किसान अपनी गेंहू व सरसों की रखवाली मंडी व खेतों में कर रहा है। सरकार द्वारा खरीद बंद करना उचित नहीं है।
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