स्टेट माइनोरिटी कमीशन को लागू करे सरकारें- इकबाल सिंह लालपुरा
कानून से बढ़कर नहीं कोई- बंदी सिक्खों को पैरोल के अलावा नहीं मिल सकती छूट
आनंदकारज एक्ट को चंडीगढ़ सहित दूसरे राज्यों में लागू करने की उठाई मांग
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कमीशन के चेयरमैन ने यूटी प्रशासन के अधिकारियों से बैठक कर दिए सुझाव
चंडीगढ, 22 फरवरी (विश्ववार्ता) अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कमीशन को मंजूरी है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग काम भी कर रहा है लेकिन चंडीगढ़ सहित विभिन्न प्रदेशों में राज्य अल्पसंख्यक आयोग बनाने की दिशा में कभी प्रयास नहीं हुआ जो कि दुख का विषय है। यह विचार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चैयरमेन इकबाल सिंह लालपुरा ने सेक्टर-9 स्थित यूटी सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहे। इकबाल सिंह लालपुरा बुधवार को प्रशासन के आला अधिकारियों से बैठक करने के लिए शहर पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने सभी छह अल्पसंख्यक समुदायों को बेहतर करने के लिए सुझाव दिए। बैठक के बाद इकबाल सिंह लालपुरा ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का पक्ष मीडिया के सामने रखा जिसमें उन्होंने विभिन्न मुद्दों को उठाते हुए मोहाली-चंडीगढ़ बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों के पक्ष में भी खुलकर बोले।
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आनंदकारज एक्ट को नहीं मिली मंजूरी-
पत्रकार वार्ता में इकबाल सिंह ने कहा कि वर्ष 1909 में आनंदकारज का वजूद तय हुआ, जिसे केंद्र सरकार वर्ष 2012 में संवैधानिक तरीके से लागू कर चुकी है। उस एक्ट को न चंडीगढ़ और न ही पंजाब में लागू किया गया है। आनंदकारज एक्ट को दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और केरल लागू किया जा चुका है। विभिन्न प्रदेशों की तर्ज पर आनंदकारज एक्ट लागू कर मान्य करना चाहिए।
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शिक्षा, रोजगार और घर है अल्पसंख्यक की मुख्य जरूरत-
अल्पसंख्यक समुदायक की मांग पर लालपुरा ने कहा कि अल्पसंख्यक की मुख्य जरूरत, शिक्षा, रोजगार और घर है। शिक्षा के बाद युवा रोजगार पा सकता है और रोजगार से वह देश विकास में भागीदार बन सकता है। सिर ढकने के लिए छत हर किसी की जरूरत है जो कि सरकार को पूरा करने की दिशा में ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्रकार का आरक्षण या मांग देश में जायज नहीं है।
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स्टेट के खिलाफ लोगों को खड़ा करना राजनीति-
पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को छुड़वाने के लिए मोहाली-चंडीगढ़ बार्डर पर बैठे सिखों पर बोलते हुए इकबाल सिंह ने कहा कि स्टेट के खिलाफ लोगों को खड़ा करना राजनीति का पुराना हथियार है। कोई भी मांग करने से पहले कानून पढ़ना जरूरी है फिर इस प्रकार की मांग करने से पहले उसे पूरा करने वाले व्यक्ति की खोज करनी चाहिए। हत्या के आरोपी सिक्खों को उम्रकैद की सजा है जिसे मुख्यमंत्री पंजाब या फिर प्रशासक, राज्यपाल खत्म नहीं करवा सकता। आरोपी को वर्ष में चार महीने पैरोल मिलती है जो कि वह ले सकता है। कानून में बदलाव कराना है तो केंद्र में जाना
चाहिए।