*👉सर्वदलीय बैठक और विधान सभा का विशेष सत्र बुलाएं कैप्टन अमरिन्दर सिंह -हरपाल सिंह चीमा*
*👉🏽इस्तीफा दें हरसिमरत कौर बादल-कुलतार सिंह संधवां*
*👉🏾पंजाब व लोक विरोधी फैसलों में मोदी का साथ दे रहे हैं कैप्टन अमरिन्दर सिंह -‘आप’*
*चण्डीगढ़, 5 जून आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने केंद्र की मोदी सरकार को किसानों और खेत-मजदूरों समेत आढ़तिया, ट्रांसपोर्टरों, पल्लेदारों और कृषि क्षेत्र पर निर्भर आम दुकानदारों-व्यापारियों-कारोबारियों के विरोधी घातक सरकार बताते उन दोनों अध्यादेशों व एक कानूनी संशोधन को मंजूरी दिए जाने का जोरदार विरोध किया है, जो किसानों की आजादी और खेती की खुशहाली के नाम पर नरिन्दर मोदी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को दी गई।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान, नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा और किसान विंग पंजाब के अध्यक्ष व विधायक कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि नरिन्दर मोदी सरकार का यह फैसला किसानों की गुलामी और कृषि क्षेत्र की र्पूण रूप से बर्बादी वाले कदम साबित होंगे। इन अध्यादेशों के मकसद और तानाशाही तरीके के बारे में पिछले दिनों दौरान कृषि और आर्थिक माहिरों की टिप्पणियों पर ध्यान दिया जाए तो हर कोई इस फैसले को देश के संघीय ढांचे का विरोधी, किसानों और कृषि पर निर्भर मजदूरों, दुकानदारों और आम कारोबारियों-व्यापारियों विरोधी कदम बता रहा है। जिस कारण किसान खासकर पंजाब और हरियाणा के किसानों और संगठनों में भारी गुस्सा और चिंता फैल गई है। यदि मोदी सरकार की इस तानाशाही को रोका न गया तो पहले ही बर्बादी की कृषि हमेशा के लिए दम तोड़ जाएगी। पंजाब और पंजाब के किसानों-मजदूरों का अस्तित्व बचाने के लिए जरूरी है कि मोदी सरकार के इस घातक कदम का एकजुट हो कर विरोध किया जाए।
भगवंत मान ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों के अधिकार छीनने और संघीय ढांचे का गला दबाने में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। मान ने ‘द फार्मिंग प्रोड्यूसर ट्रेड एंड कामर्स’ (प्रमोशन एंड फैस्लिीटेशन) अध्यादेश 2020 और ‘फॉरज (इम्पावरमैंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस ऐंसोरैंश एंड फार्म सर्विस अध्यादेश 2020 समेत फसलों से जुड़ी जरूरी वस्तुओं के बारे में कानून-1965 में संशोधन के बारे फैसलों को मोदी का तानाशाही फैसला बताया। भगवंत मान ने बादल परिवार को निशाने पर लेते कहा कि सारी उम्र संघीय ढांचो की मजबूती के नाम पर मोर्चे का दिखावा करने वाले सरदार प्रकाश सिंह बादल अब चुप क्यों हैं? क्या सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल (जो केंद्रीय मंत्री के तौर पर मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं) पंजाब के लोगों को यह बात स्पष्ट करेंगे कि पहले प्रकाश सिंह बादल/अकाली दल (बादल) गलत था या अब मोदी सरकार गलत है?
‘आप’ सांसद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार चंद कॉर्पोरेट घरानों के लिए प्रदेशों के अधिकार और पंजाब हरियाणा की कृषि को गुलामी के रस्से डाल रही है। उन्होंने कहा कि मोदी हिटलर के रास्ते पड़ चुके हैं और जिन मुद्दों पर पार्लियामेंट में लम्बी विचार-चर्चा के उपरांत सहमत या असहमती बननी चाहिए थी, वह कोरोना महांमारी की आड़ में कैबिनेट के द्वारा एकतरफा ही थोपे जा रहे हैं।
हरपाल सिंह चीमा और कुलतार सिंह संधवां ने केंद्रीय कृषि मंत्री के दावे के हवाले से मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को भी इस किसान विरोधी और प्रदेश विरोधी फैसले का बराबर हिस्सेदार कहा। मान ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह से पूछा कि जब केंद्र सरकार ने इन घातक फैसलों के बारे में राज्यों से सहमति मांगी थी तो पंजाब सरकार ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा क्यों नहीं खोला? क्या इतने अहम और पंजाब की कृषि के अस्तित्व के साथ जुड़े मोदी सरकार के इस घातक फैसले के विरुद्ध कैप्टन अमरिन्दर सिंह को सर्वदलीय बैठक और विधान सभा का विशेष सत्र नहीं बुलाना चाहिए था?
नेताओं ने कैप्टन को चुनौती दी कि यदि वह खुद को थोड़ा बहुत भी पंजाब हितैषी हैं तो तुरंत आल पार्टी बैठक और विधान सभा के विशेष सत्र के द्वारा मोदी के तानाशाही अध्यादेशों को रद्द करने की हिम्मत दिखाएं।
‘आप’ नेताओं ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल से इस्तीफा मांगते हुए ऐलान किया कि पंजाब के अधिकारों पर डाका, पंजाब और हरियाणा में दुनिया के सबसे बेहतरीन मंडीकरन ढांचे को धवस्त करना, फसलें खासकर गेहूं और धान की एम.एस.पी खत्म करने और कृषि क्षेत्र को पूरी तरह निजी और कॉर्पोरेट घरानों की मुनाफाखोरी के हवाले करने और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसे इन देश और लोक विरोधी फैसलों को वापस न लिया गया तो आम आदमी पार्टी लोगों की सहायता से केंद्र की मोदी और पंजाब की कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार के विरुद्ध निर्णायक मोर्चा खोलेगी।
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