राहुल से पूछा कि क्या उन्होने मुख्यमंत्री द्वारा धर्मसोत को दी गई क्लीन चिट का समर्थन किया है
कहा कि ‘भाईचारक सांझ’ हमेशा शिरोमणी अकाली दल की नीतियों की आधारशिला बनी रहेगी
चंडीगढ़/03अक्टूबर: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी से कहा है कि वह पंजाबियों को बतांए कि उन्होने संसद में तीन किसान विरोधी विधेयकों को पारित कराने में सुविधा के लिए निश्चित मैच क्यों खेला था। उन्होने राहुल गांधी से पूछा कि क्या उन्होने छात्रवृत्ति घोटाले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा समाज कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को दी गई क्लीन चिट का समर्थन किया है।
यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यहां शिरोमणी अकाली दल के मुख्य कार्यालय में सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राहुल गांधी को पहले पंजाबियों को यह बताना चाहिए कि उन्होने किसानों के मकसद को धोखा क्यों दिया और कृषि विधेयकों को हकीकत बनाने की प्रक्रिया में मदद क्यों की है। उन्होने कहा कि ‘मैं राहुल से पांच सवाल पूछना चाहता हंू क्या पंजाब में आपकी पार्टी 2017 चुनावी घोषणापत्र में कहा गया था कि आप निजी मंडियां खोलेंगे और अनुबंध खेती जो अब लागू है, ई-
ट्रेडिंग के लिए अनुमति देंगें? यदि हां तो आपने पंजाब मेें संशोधित एपीएमसी अधिनियम को अब तक निरस्त क्यों नही किया? क्या आपने अपने 2019 के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार आप एपीएमसी अधिनियम को पूरी तरह समाप्त कर देंगे और कृषि व्यापार को सभी प्रतिबंधों से मुक्त कर देंगे? आपने कृषि विधेयकों को संसद में उठाए जाने से एक दिन पहले देश छोड़ने का विकल्प क्यों चुना और जिस दिन वे अधिनियम बन गए, आप वापिस आ गए? इसके अलावा आपने अपने सांसदों को विधेयकों के खिलाफ मतदान करने और वरिष्ठ नेताओं को उनका विरोध करने के लिए व्हिप क्यों नही जारी किया?
सरदार बादल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा की गई जाचं में दोषी ठहराए जाने के बावजूद साधु सिंह धर्मसोत को दी गई क्लीन चिट के बारे में बोलते हुए सरदार बादल ने कहा कि राहुल गांधी को पंजाब में दलित समुदाय को बताना चाहिए कि क्या वह इस कार्रवाई से सहमत हैं। ‘ राहुल को यह भी बताना चाहिए कि क्या वह मुख्यमंत्री के फैसले से सहमत हैं कि क्या वह कांग्रेसी मंत्रियों को अनुसूचित जाति के छात्रों को भेजे गए केंद्रीय धन को लूटने के लिए खुला लाइसेंस देने के फैसले से सहमत हैं।
अकाली दल अध्यक्ष ने इस मामले में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए दोबारा जांच के आदेश को भी खारिज करते हुए साधु सिंह धर्मसोत को दोष मुक्त करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव का एक जूनियर अधिकारी तैनात किया गया था। ‘ अब सरकार कह रही है कि सिर्फ सात करोड़ रूपए का गबन किया गया है फिर भी इस मामले में कोई कार्रवाई नही की गई है। मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि यदि 69 करोड़ रूपये लूटने वाले साधु सिंह धर्मसोत निर्दोष पाए गए हैं तो अतिरिक्त मुख्य सचिव कृपा शंकर सरोज के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए जिन्होने उन्हे अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति फंड का गबन करने के लिए दोषी ठहराया था।
सरदार बादल ने मुख्यमंत्री को दोहरी राजनीति मेें लिप्त होने के लिए भी आलोचना की है। उन्होने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि अध्यादेशों को खारिज करते हुए प्रस्ताव पारित करने के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाय और दूसरी ओर उन्हे एक माह से अधिक समय तक केंद में नही भेजा है। उन्होने कहा कि इसी तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य में कृषि अधिनियमों के कार्यान्वयन को नकारने के लिए कानून लागू करने से इंकार कर दिया था।
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री द्वारा यह कहने पर कि किसान आंदोलन से राज्य में शंाति और साम्प्रदायिक सौहार्द्र खतरे में पड़ जाएगा के लिए निंदा की है। उन्होने कहा कि अकाली दल ने देश में शांति और साम्प्रदायिक सदभावना की रक्षा के लिए सबसे अधिक बलिदान दिया है और ऐसा करते रहने के लिए डटकर खड़ा रहेगा। उन्होने कहा कि सरदार परकाश सिंह बादल ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांच बार के कार्यकाल के दौरान सभी अकाली लीडरशीप वाली सरकारों की आधाशिला शांति और साम्प्रदायिक सदभावना बनाए रखा था। उन्होने कहा कि ‘ शिरोमणी अकाली दल इसके लिए प्रतिबद्ध है और भाईचारक सांझ के लिए हमेशा डटकर खड़ा रहेगा।
सरदार बादल ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों के बिलों का मकसद सभी के लिए आम है और हर पंजाबी चिंतित है। ‘ हम सभी को एकजुट होना चाहिए और इस लड़ाई के लिए एकजुट रहना चाहिए। उन्होने कहा कि मैने पहले भी इस संबंध में अपील की है और अब भी यह दोहराते हुए कि मैं किसान संगठनों के नेतृत्व का अनुसरण करने के लिए तैयार हूं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अन्नदाता की आवाज किसी भी तरह से कमजोर न हो।
अकाली दल अध्यक्ष के साथ पार्टी सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़, किसान विंग के अध्यक्ष सिकंदर सिंह मलूका भी उपस्थित थे।