चंडीगढ़ (आहूजा) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपनी सूझबूझ का बेहतर उदाहरण देते हुए फैसला लिया है कि अभी तक जिन उद्योगों को काम करने के लिए पास मिल गए हैं वह तो ठीक है परंतु अब जल्दबाजी में कोई ऐसा कदम नहीं उठाए जाएगा जो बाद में सरकार के लिए पश्चाताप का कारण बन सके।
श्री खट्टर ने यह स्पष्ट किया है कि कि चाहे प्रदेश का खजाना खाली का खाली रह जाए परंतु इसे भरने के लिए मैं जनता की जान को जोखिम में नहीं डालूंगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में काम को सुचारू ढंग से चलाने के लिए धीरे-धीरे कदम उठाए जाएंगे ताकि जल्दबाजी में ऐसा कोई फैसला ना लिया जाए जिस कारण बाद में इस फैसले पर अफसोस जताना पड़ जाए। श्री खट्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रखा जाए ताकि किसी की जान को भी जोखिम में ना डालें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा भले ही वित्तीय संकट और बिगड़ी अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है, लेकिन उसका पहला लक्ष्य राज्य को कोरोना से मुक्त करना है। यदि इसके लिए व्यापार खुलने में कुछ देरी भी हो जाएगी तो मुझे परवाह नहीं क्योंकि जनता की जान की रक्षा मेरे लिए सर्वोप्रिये है। यदि कोरोना का खतरा है तो किसी भी उद्योग-धंधे, फैक्ट्री अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कोरोना योद्धाओं की पीठ थपथपाते हुए यह भी स्पष्ट कर दिया कि हरियाणा के जिन 12 जिलों में एक भी केस नहीं है और वहां आर्थिक गतिविधियां शुरू की जा रही हैं। वहां ईंट भट्ठे चालू कर दिए गए हैं और रुका हुआ निर्माण कार्य भी आरंभ हो गया है। अभी तक विभिन्न क्षेत्रों में करीब छह लाख श्रमिकों, मजदूरों व कर्मचारियों को काम करने की अनुमति दी जा चुकी है। तीन मई के बाद लॉकडाउन की जैसी भी स्थिति होगी, उसके आधार पर व्यापारियों गतिविधियों के संचालन में चरणबद्ध तरीके से और छूट दी जा सकती है।