भ्रष्टाचार के खिलाफ मान सरकार की बड़ी कार्रवाई : 39 करोड़ के पोस्ट मैट्रिक एससी छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल छह कर्मचारियों को किया बर्खास्त
-कांग्रेस, शिअद-बीजेपी ने एससी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया, उनके शासन में घोटाले हुए पर कोई कार्रवाई नहीं हुई : वित्त मंत्री हरपाल चीमा
-कुछ फर्जी कॉलेजों को 39 करोड़ रुपये बांटे गए, विजिलेंस घोटाले की जांच करेगी : चीमा
-पिछली सरकारों ने भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दिया, अब भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटा जाएगा : कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर
-2.46 लाख से ज्यादा छात्रों ने इस बार एससी स्कॉलरशिप के लिए किया आवेदन, 31 मार्च तक खुला रहेगा पोर्टल : वित्त मंत्री हरपाल चीमा
मान सरकार पंजाब के बच्चों को नि:शुल्क और उच्च श्रेणी की शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध : चीमा
चंडीगढ़, 17 फरवरी मुख्यमंत्री भगवंत मान की पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रदान करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप, राज्य सरकार ने पिछली सरकार के दौरान 39 करोड़ रुपये के पोस्ट-मैट्रिक एससी छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल छह सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
शुक्रवार को पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. बलजीत कौर के साथ एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि करोड़ों रुपये के इस घोटाले की जांच के बाद विभाग को संलिप्तता का पता चला है। चार अधिकारियों सहित कुल छह कर्मचारी सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग से थे और दो वित्त विभाग में काम करते थे। उन्हें तुरंत नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और आगे की जांच के लिए पंजाब विजिलेंस विभाग करेगा।
कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि यह घोटाला 2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था और 55 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का पता चला था, जिसमें से 16 करोड़ रुपये से अधिक का एक्सेस भुगतान कुछ कॉलेजों को आवंटित किया गया था। सभी दोषी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, उन्हें करोड़ों का लाभ पहुंचाया गया।
उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि 39 करोड़ रुपये की शेष राशि का कोई सबूत नहीं है, जो कांग्रेस सरकार के दौरान कुछ फर्जी कॉलेजों को वितरित की गई थी, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी थी।
मंत्री ने कहा कि विभागीय जांच में पता चला है कि अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति के वितरण की अनदेखी की गई और कुछ निजी संस्थानों को अनुचित लाभ दिया गया।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए ऑडिट के आदेश दिए थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने ‘फर्जी कॉलेजों’ को धोखे से दिए गए फंड को वसूलने के बजाय फिर से ऑडिट कराने के आदेश दिए और इन कॉलेजों को और फंड दिया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए चीमा ने कहा कि उनके नेताओं ने विधानसभा में विरोध किया और अकाली सरकार के दौरान छात्रवृत्ति के वितरण में गड़बड़ी की जांच करने पर मुखर थे, लेकिन जब कांग्रेस ने सरकार बनाई, तो कांग्रेस ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की,जिससे स्पष्ट है कि अकाली और कांग्रेस की सांठगांठ थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय 2017 से 2020 तक यह छात्रवृत्ति बंद कर दी गई थी और 9.50 लाख से अधिक पात्र दलित छात्रों को इसका लाभ नहीं मिला था, जिसके कारण 2021 में इस योजना के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि पात्र छात्रों को धनराशि का वितरण नहीं होने के कारण पिछले वर्षों की तुलना में 2021-22 में योजना के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में 1.95 लाख की भारी कमी हो गई। लेकिन इस बार, अनुसूचित जाति के छात्रों ने आप सरकार पर अपना विश्वास व्यक्त किया और लगभग 2.50 लाख छात्रों ने अब तक इस योजना के लिए आवेदन किया है। पोर्टल 31 मार्च तक छात्रों के लिए खुला रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार 3 लाख से अधिक छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं।
चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार छात्रों को उच्च श्रेणी की शिक्षा और पंजाब के लोगों को एक पारदर्शी सरकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।