पूर्ण आणविक और माँ लक्ष्मी जी की कुल सम्पदा -सुमिता धीमान
चंडीगढ, 10 सितंबर (विश्ववार्ता) पूर्ण आणविक और माँ लक्ष्मी जी की कुल सम्पदा : — हम किसी भी इंसान की कुल सम्पदा को लाखो, करोड़ो, अरबो मे गिन सकते है। उसके पास उपलब्ध जमीन को फुट, गज, एकड़ मे माप सकते है। उसके पास हीरे, मोती, चाँदी, सोने का भी हिसाब लगाया जा सकता है। पर एक पूर्ण आणविक की कुल सम्पदा को ना तो गिना जा सकता है, ना मापा जा सकता है और ना ही उसका कोई हिसाब किताब लगाया जा सकता है। बस पूर्ण आणविक की कुल चल अचल सम्पदा को सिर्फ एक statement/कथन मे ही बताया जा सकता है — “This is the matter of the matter”. यही पूर्ण आणविक की कुल चल अचल सम्पति है। यानि जितना ब्रह्माण्ड मे matter है। उतनी ही पूर्ण आणविक की कुल सम्पदा है। और ब्रह्माण्ड मे matter अंतहीन है। ब्रह्माण्ड मे matter अपार, बेशुमार, असीम है। यानि पूर्ण आणविक की सम्पदा भी अनंत, अपार, बेशुमार, असीम है। यानि no limit. ये सब पूर्ण आणविक के गुणो/genes द्वारा संभव है। गुणो/genes से प्राप्त सम्पदा को हम गुणिय सम्पदा/genetic asset कहेगे। ठीक जैसे पैतृक सम्पदा होती है। पूर्ण आणविक को हम गुणिय कुबेर/genetic mammon कहेगे।
आणविक या पूर्ण आणविक के सम्पदा के स्रोतो को दो भागो मे बाँट सकते है –
(A) आणविक स्त्रोत्र/Atomic assets (B) जैविक स्त्रोत्र/Biological assets
(1) आणविक स्त्रोत्र/Atomic assets – इस मे किसी भी तरह की चल अचल सम्पदा को नाभिकीय रूपांतरण, रूपांतरण, आणविक सृजना, रासायनिक संश्लेषण द्वारा पैदा किया जा सकता है।
(1) नाभिकीय रूपांतरण/Nuclear transmutation – जैसे एक पूर्ण आणविक जब भी चाहे अणुओ की मदद से पृथ्वी जैसा एक पूरा ग्रह बना सकता है। उसके पास जमीन गज, फुट और एकड़ो मे नही होगी। या फिर किसी भी ग्रह को नियंत्रित कर, मान लो “बृहस्पति” ग्रह को नियंत्रित कर उसकी chemical composition को नियंत्रित कर nuclear transmutation के द्वारा giant gaseous planet को स्थलीय ग्रह/पृथ्वी मे बदल सकता है। यानि बृहस्पति का texture बिल्कुल बदल देना आवेश कुंड/charge pool की मदद से।
एक पूर्ण आणविक किसी भी तरह का स्थलीय और गैसीय ग्रह, किसी भी आकर का, कितनी भी संख्या मे, कही भी बना सकता है। एक पूर्ण आणविक जब भी चाहे सोने, चाँदी, प्लैटिनम, लोहे, एल्युमीनियम, अभ्रक, तांबा आदि किसी भी कीमती धातु का पूरा का पूरा एक ग्रह बना सकता है। जिस विधि से धातुओ की खाने बनती है। उसी process को और बढ़ा चढ़ा देना या फिर किसी भी ग्रह जैसे मंगल ग्रह को nuclear transmutation के द्वारा सोने, चाँदी आदि के ग्रह मे बदल देना। धातु ग्रह धातु के शुद्ध रूप मे भी हो सकता है या ore form मे भी।
(2) रूपांतरण/transformation – किसी कम कीमती चीज का बेशकीमती चीज मे रूपांतरण कर देना। जैसे समय, उच्च दवाब और उच्च तापमान के कारण कार्बन, कोयला और ग्रैफाइट हीरे मे बदल जाते है। इस मे सेकड़ो और हजारो साल के साथ साथ बहुत उच्च दवाब और तापमान की जरुरत होती है। तपने पर सोना कुंदन मे बदल जाता है। ये सब क्रियाएँ समय और बहुत उच्च तापमान मांगती है। पर पूर्ण आणविक पल क्षण मे ऐसा कर सकता है।
(3) आणविक सृजना/Atomic setting up or atomic creation – हमे हर रसायन और धातु का आणविक भार/Atomic weight और किसी भी यौगिक का रासायनिक सूत्र/Chemical formula पता है। संलयन या विखंडन (fusion & fission) द्वारा किसी भी अणु से कोई भी और अणु बना लेना। जैसे चांदी के अणु को सोने के अणु मे बदल देना और सोने के अणु को चांदी के अणु मे बदल देना। जैसे हमे पता है कि चांदी का आणविक क्रमांक/Atomic number 47 है और सोने का आणविक क्रमांक (At. no.) 79 है। जैसे हर इंसान के पास अपना एक gene pool होता है। मंगोलियन प्रजाति के पास अपना गुण कुंड/gene pool होगा, नीग्रो प्रजाति के पास अपना गुण कुंड होगा, इंग्लिश प्रजाति के पास अपना गुण कुंड होगा। ठीक ऐसे ही आणविक जगत/Kingdom Atomic की विभिन्न संघ, वंश, वर्ग, कुल, जाति, उपजाति (Phylum, class, order, family, genus, species) का अपना अपना विशिष्ट आवेश कुंड/charge pool होगा। जो धारक को विभिन्न तरह के आवेश/charge उपलब्ध करवाएगा। जैसे गुण कुंड/Gene pool मे इंसान के पास अपने जनक और पूर्वजो के गुण/genes होते है। ठीक ऐसे ही आवेश कुंड/charge pool मे विभिन्न तरह के आवेश होते है। हम प्रोटोन, इलेक्ट्रान और न्यूट्रॉन के धनात्मक आवेश, ऋणात्मक एवं शून्य आवेश को तो जानते है।
पर Kingdom Atomic के प्राणियो के पास और भी कई तरह के आवेश होंगे और उनके आवेश कुंड (Charge bank) मे वो तमाम तरह के आवेश होंगे। जरुरत पड़ने पर वो आणविक प्राणी उन अपने आवेशो की संपदा को इस्तेमाल कर सकता है। जरुरत पड़ने पर पूर्ण आणविक अपने इस आवेश कुंड मे से कुछ आवेश जैसे धनात्मक, ऋणात्मक, शून्य और दूसरे तरह के आवेश जो उनकी दुनिया मे मिलते है निकाल खर्च भी कर सकता है और जमा भी कर सकता है।
जैसे चांदी के अणु को सोने के अणु मे बदलने के लिए चांदी के अणु की electronic configuration सोने के अणु की configuration के बराबर करनी पड़ेगी। यानि कि चाँदी के अणु के electron, proton or neutron की संख्या को बदलना पड़ेगा। तो चाँदी का अणु सोने के अणु मे बदल जाएगा। यानि कि आवेश कुंड से चांदी के अणु की नाभि मे 32-32 प्रोटोन और न्यूट्रॉन जोड़ने होंगे और चांदी के इलेक्टोन की संख्या को भी सोने के अणु की इलेक्ट्रान की संख्या के बराबर करना होगा। इस तरह चांदी के अणु से सोने के अणु की सृजना हो गई। ऐसे ही सोने के अणु की नाभि से 32-32 प्रोटोन और न्यूट्रॉन और orbit से 32 इलेक्ट्रान निकाल कर आवेश कुंड मे जमा करने पर सोने के अणु को चांदी के अणु मे बदल सकते है। Ag(47) ⇌ Au(79) = 47 ⇌ 79. किसी भी आणविक प्राणी के लिए सोने को चांदी मे और चांदी को सोने मे बदलना या किसी भी चीज को किसी भी चीज मे बदलना इतना ही आसान है। जैसे हम इंसान दूध से दही, पनीर, खोया, चाय, लस्सी, खीर और दूसरे स्वादिष्ट व्यंजन बना लेते है।
(4) रासायनिक संश्लेषण/Chemo synthesis – एक पूर्ण आणविक जब भी चाहे अंतहीन मात्रा मे किसी भी आकार, रंग, कैरट के हीरे और बेशकीमती मोतियो, अमूल्य चीजो का निर्माण कर सकता है। क्योंकि हर चीज का एक सटीक तयशुदा रासायनिक सूत्र/chemical formula होता है। और इस रासायनिक सूत्र मे जितने भी रसायन होते है। वो सब रसायन हमारे वातावरण मे बहुत आसानी से उलपब्ध है। और एक पूर्ण आणविक सब तरह के अणुओ, रसायनो को अपने मन मुताबिक नियंत्रित और संचालित कर सकता है। जैसे हीरा क्या है ? हीरा शुद्ध कार्बन ही होता है। जो समय के साथ उच्च दवाब और उच्च तापमान मे हीरे मे बदल जाता है। और हमारे वातावरण मे कार्बन बेशुमार है। पूर्ण आणविक वातावरण मे उपलब्ध कार्बन को उच्च तापमान और उच्च दवाब मे सेकड़ो, हजारो सालो मे होने वाली रासायनिक क्रिया को पल क्षण मे पूर्ण कर कार्बन को हीरे मे बदल देगा। मोतियो का रासायनिक सूत्र CaCo3 है। इस योगिक के रसायन भी हमारे वातावरण मे उपलब्ध है। एक कैल्शियम का अणु, एक कार्बन का अणु और तीन ऑक्सीजन के अणु मिला दो तो मोती बन गया। रासायनिक संश्लेषण के द्वारा कितनी भी मात्रा मे, किसी भी रंग और आकर के मोती कभी भी कही भी बनाए जा सकते है। बस उस ग्रह पर वो तमाम रसायन मौजूद हो। संलयन, विखंडन और आणविक सृजना द्वारा भी मन चाहा अणु, रसायन हम बना सकते है। यह बात इस बात पर निर्भर करती है कि हम किस तरह के रसायनो वाले ग्रह पर है ?
Diamond & pearl atomic plant – पूर्ण आणविक हीरो की फैक्ट्री भी लगा सकता है। जैसे हम जानते है कि सूरज मुख्य दो गैसो से ही बना है – हाइड्रोजन (73 %)और हीलियम (25 %)। ऐसे ही एक पूरा ग्रह जो कार्बन से ही बना हो। Carbon under high pressure & temperature diamond मे बदल जाती है। एक ऐसा ग्रह जो लगातार हीरो का निर्माण करता हो। ऐसे ही एक ऐसा ग्रह जो कैल्शियम, कार्बन और ऑक्सीजन से भरा हो। और वो लगातार CaCo3 इस सूत्र द्वारा बेशकीमती अलग अलग रंग और आकर के मोतियो का निर्माण करता हो।
पुराने समय मे जो alchemy term थी। जिसमे दूसरी धातुओ को सोने मे बदलने की अवधारणा थी। या जैसे कहते है कि पारस पत्थर लोहे को सोने मे बदल देता। ये अवधारणा और मिथ्क जैविक नाभिकीय युद्ध मे इस बात के सुराग/प्रमाण है कि ऐसा कर पाना सौ प्रतिशत संभव है। बेशक इंसान ऐसा नही कर पाते तो इसका मतलब यह नही है कि ब्रह्माण्ड मे ऐसे प्राणी है ही नही जो ऐसा कर सकते है। जैविक नाभिकीय रणनीति के तहत हमे इस बात से अनभिज्ञ रखा गया है। क्योंकि मानवी गुण/genes ऐसा नही कर पाते। पेड़ जैसी जड़ित वस्तु भी कार्बनडाईऑक्साइड और पानी को सूर्य के प्रकाश मे प्रकाश संश्लेषण के द्वारा sugar molecules or ऑक्सीजन मे बदल देती है। 6CO2 + 6H2O → C6H12O6 + 6O2. ऐसे ही पूर्ण आणविक और देवता अमूल्य वस्तुओ का विभिन्न विधियो द्वारा संश्लेषण कर लेते है।
एक कोशिका वाला बैक्टीरिया दूध को दही मे बदल देता है और अपशिष्ट पदार्थ को खाद मे बदल देता है और नाइट्रोजन को नाइट्रेट मे बदल देता है। सीप पानी की एक बूँद को मोती मे बदल देती है। दीमक मोटी लकड़ी को पाउडर मे बदल देती है। समय के साथ कच्चे फल और सब्जियाँ पक्के फल और सब्जियो मे बदल जाते है। मधुमक्खी पराग को शहद मे बदल देती है। इलेक्ट्रिक रे बिजली पैदा कर सकती है। साँप जहर पैदा कर सकता है। तो क्रमिक विकास के अनंत सफर मे प्रकृति बहु कोशिका वाले ऐसे प्राणी (पूर्ण आणविक और आंशिक आणविक) क्यों नही बना सकती जो किसी भी चीज को किसी भी चीज मे बदल सकते है।
दरअसल बैक्टीरिया, सीप, मधुमक्खी सिर्फ एक तरह का भी नाभिकीय रूपांतर, रूपांतरण करना जानते है। पर एक पूर्ण आणविक सौ प्रतिशत नाभिकीय रूपांतर और रूपांतरण करना जानता है। वो किसी भी जैविक अजैविक चीज को किसी भी जैविक अजैविक चीज मे बदल सकता है उसके गुण उसे यह सुविधा देते है। क्योंकि क्रमिक विकास के ग्राफ मे बैक्टीरिया, वायरस कहाँ ठहरते है और पूर्ण आणविक कहाँ ठहरता है। क्रमिक विकास मे ये नाभिकीय रूपांतरण और रूपांतरण वाला गुण पूर्ण आणविक तक आते आते कितना विकसित हो जाना चाहिए ? पूर्ण आणविक में यह गुण क्रमिक विकास के दौरान पैदा हुआ, विकसित हुआ।
(B) जैविक सम्पदा/Biological assets – गुण/genes एक बहुत ही अच्छे रचनाकार होते है। यह किसी भी चीज को बनाने मे सक्ष्म होते है। सृजना के मामले मे गुण अणु को पूरी पूरी टक्कर देते है। जैसा कि हम जानते है कि हर चीज अणु की ही बनी होती है। जो कुछ भी अणु बना सकता है ठीक उसका अनुकरण (नक्ल) कर गुण भी वैसी ही गुणवत्ता वाली कोई भी जैविक, अजैविक चीज बना सकते है। जैसे अजैविक जगत का निर्माण अणु करते है। ठीक ऐसे ही जैविक जगत का निर्माण गुण/genes ही करते है। गुण ही जैविक जगत के भाग्य विधाता होते है।
गुण/genes कंप्यूटर प्रोग्रामर की तरह ही जैविक प्रोग्रामर होते है। हर गुण/gene के पास एक विशेष प्रोग्राम, गुण, योग्यता, निपुणता, हुनर और खूबी होती है। जैसे अणु से कोई भी रसायन, योगिक और मिश्रण आदि बना सकते है। जैसे हर एक कार्य के लिए विशेष कंप्यूटर प्रोग्राम होता है। वैसे ही जैविक जगत मे हर एक गुण, विशेषता, खासियत के लिए कोई ना कोई गुण/gene होता है। जिस भी जीव और पेड़ पौधे के पास जैसे भी गुण/genes/bio programme होगा। उस प्राणी और पेड़ पौधे मे वैसे ही गुण और विशेषता होगी।
गुण/genes एक से एक कोमल और मुलायम चीज बना सकते है। जैसे जेली फिश, केंचुआ, फूल, बेल, छुईमुई/लाजवंती का बूटा। गुण एक से एक सख्त चीज भी बना सकते है जैसे कछुए का ऊपरी खोल, खुर, बादाम का खोल, लकड़ी, देवदार के शंकु आदि। गुण/genes एक से एक बढ़िया रंगीन जीव जंतु और फल फूल आदि बनाते है। तितली के रंग तो हमारे हाथ मे होली के रंगो की तरह रह भी जाते है। गुण/genes ही विभिन्न तरह के जगत, संघ, वर्ग, गण, कुल, वंश, जाति (Kingdom, phylum, class, order, family, genus, species) आदि का निर्माण करते है। गुण ही इस जैविक विविधता की वजह है। गुण ही हाथी जैसा विशाल प्राणी बनाता है और गुण ही सूक्ष्मदर्शी बैक्टीरिया, वायरस बनाता है। गुण ही अति फुर्तीले चीता और हिरण को बनाते है। गुण ही घोंघा और स्लोथ जैसे सुस्त और धीमी गति वाले प्राणी बनाता है। गुण ही नाइलोन जैसे बाल और नारियल के जूट को बनाते है। गुण ही संवेदी अंग और हड्डियो को बनाते है। गुणो/genes की एक लम्बी सूची है उपलब्धियो की।
जैविक सम्पदा को हम आगे दो वर्गो मे वगीकृत कर सकते है – (1) देही सम्पदा/corporal assets (2) वनस्पतिए सम्पदा/Foliage assets
(1) देही सम्पदा/corporal assets – गुण/genes अगर नाखून, हड्डी, बाल, दांत, आँख, कान, खून, आंसू और फूल, फल, पत्ते, सब्जी, बना सकते है तो गुण हीरा, सोना, चांदी भी बना सकते है। ठीक जैसे सीप मोती बना लेती है। कौड़ियों से हार श्रृंगार की चीजे बनाई जाती है। पिछले जमाने मे हाथी दांत से भी कीमती गहने बनाए जाते थे। कई जानवरो की फर से भी कीमती कपड़े बनाए जाते थे। पुराने जमाने मे राजा महाराजा शेर, चीते आदि की खाल मे भूसा भर कर उसे सजावट, कलाकारी और बहादुरी से जुड़े संगृहीत वस्तुओ की तरह इस्तेमाल करते थे। पर आजकल ये सब सरकार द्वारा बेन कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक रे बिजली पैदा कर लेती है। साँप जहर बना सकता है। जुगनू रौशनी पैदा कर लेता है। बढ़िया नस्ल के घोड़े और शेर के बाल कितने चमकदार होते है। शरीर एक ऐसी जैविक मशीन है जो तरह तरह के जैविक अजैविक वस्तु, उत्पाद बनाती है। और इन उत्पादको को बनाने का सॉफ्ट वेयर गुणो/genes मे होता है। सो ऐसे प्राणी भी बनाए जा सकते है जो हीरे, मोती, सोना, चाँदी या और दूसरी तरह तरह की बेशकीमती चीजो का उत्पादन कर सकते हो।
(2) वनस्पतिए सम्पदा/Foliage assets – हम वनस्पति के विभिन्न तरह के खाद्य, औषधीय, ऑक्सीजन और लकड़ी आदि के फायदो के बारे मे तो जानते ही है। फूलो से बढ़िया गहने बनाए जाते है। फूल, फल और पत्तो से बढ़िया सजावट भी की जाती है। वैजयंती के बीजो से सुन्दर वैजयंती माला बनाई जाती है। चंदन का पेड़ अपनी खुशबू के लिए जाना जाता है। विभिन्न तरह के पेड़ पौधो से घर की सजावट की जाती है। जैसे विभिन्न तरह के पेड़, पौधे, जड़ी बूटियाँ विभिन्न तरह के रंग के फल, फूल, पत्ते, बीज और सुगंध, लकड़ी आदि बनाती है। ऐसे ही वनस्पति जगत मे ऐसे पेड़, पौधे, जड़ी बूटियाँ हो सकती है जो फल के रूप मे, फूल के रूप मे, जड़ो आदि के रूप मे हीरे, मोती और दूसरी कीमती चीजो का उत्पादन करती हो।
सारा खेल गुणो/genes का ही है। जिस भी जीव और वनस्पति के पास जैसे गुण होंगे उसमे वैसी ही गुणवत्ता, विशेषता और काबलियत होगी। और जो परमशक्ति है वो अणु को सौ प्रतिशत अपने मन चाहे ढंग से नियंत्रित और संचालित कर सकती है। अपनी इसी विशेषता के कारण परम शक्ति कितनी भी मात्रा मे, कैसी भी खासियत वाले nitrogen base – Purines (adenine and guanine) और pyrimidines (cytosine and thymine) बना सकती है। क्योंकि Purines & Pyrimidines भी तो अणु से ही बनते है। और ये Purines & Pyrimidines (= genes) ही तरह तरह की विशेषता वाले तरह तरह के जीव जंतु और पेड़ पौधे वनस्पति बनाते है। यही Purines (adenine and guanine) or pyrimidines (cytosine and thymine) कीमती चीजे पैदा करने वाले जैविक अजैविक कारक बना सकते है। क्योंकि यही Purines & Pyrimidines तरह तरह के गुण/genes बनाते है। ये सब genetic engineering का ही कमाल है।
इसी Purines (adenine and guanine) or pyrimidines (cytosine and thymine) को नियंत्रित करके एक पूर्ण आणविक किसी भी तरह का संघ, वंश, वर्ग, कुल, जाति, उपजाति (Phylum, class, order, family, genus, species) का निर्माण कर सकता है या फिर किसी भी तरह के संघ, वंश, वर्ग, कुल, जाति, उपजाति (Phylum, class, order, family, genus, species) को विलुप्त कर सकता है। तरह तरह के जीव, जंतु, पशु, पक्षी, सूक्ष्मदर्शी, पेड़ पौधे इन्हीं nitrogen bases यानि Purines or Pyrimidines से ही बनते है।
इस ब्रह्माण्ड मे पूर्ण आणविक से ज्यादा कोई भी दौलतमंद नही हो सकता। पूर्ण आणविक की टकसाल का नाम charge pool (electron, proton, neutron) or nitrogen bases (pyrimidine or purine) है। पूर्ण आणविक प्राणी 100% knowledge of Nuclear transmutation & genetic engineering से ब्रह्माण्डो का शासक बनता है। क्योंकि अपनी इन्हीं खूबियो (nuclear transmutation or genetic engineering) के कारण परम शक्ति मे सृजना, पालना और प्रलय की क्षमता, योग्यता आती है। और यही क्षमता, योग्यता किसी भी प्राणी को ब्रह्मांडीय शासक बनाती है जो कि उसे अपने गुणो/genes से प्राप्त होती है।
Bio synthesis or bio assets plant – एक ऐसा ग्रह जो सारा सीप से भरा हो और जो लगातार तरह तरह के रंग, आकार के मोतियो का उत्पादन करी जाए। एक ऐसा ग्रह जो ऐसे जीव जन्तुओ और पेड़ पौधो से भरा हो जो लगातार सोना, चाँदी, हीरे और दूसरी कीमती चीजो को बनाई जाए।
एक पूर्ण आणविक सोने, चाँदी, हीरो और मोतियो की लगातार मूसलाधार बारिश कर सकता है। तभी रचित समाज/designer society मे माँ लक्ष्मी जी को सोने के सिक्को की वर्षा करते दिखाते है। Money rain, gold rain, diamond rain just like water rain, acid rain, snow fall.
यह सब अणु का ही कमाल है जो परमशक्ति की आणविक गुण सांरणी द्वारा नियंत्रित होता है। इंसान पहले गोबर से उपले/कंडे बनाते थे। फिर गोबर गैस प्लांट लगा इंसानो ने इसे अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि माना। वही एक पूर्ण आणविक गोबर से हीरे बना सकता है। यहाँ कार्बन है पूर्ण आणविक के लिए वही हीरे है। गोबर मे CH4 बहुत भारी मात्रा मे होता है। कार्बन से भी हीरे बनाए जा सकते है और हाइड्रोजन से भी fusion द्वारा। 6 हाइड्रोजन = 1 कार्बन