सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र से नार्वे के प्रधानमंत्री से पासपोर्ट के लिए फोटो खिंचवाने पर सिखों को कानों को पूरी तरह दिखाने पर मजबूर करने के आदेश को बदलने का मुद्दा उठाया था
चंडीगढ़/22अक्टूबर(विश्ववार्ता):नॉर्वीजन सिख समुदाय तथा उंगे सिखर, कॉपेनहेगम ने नॉर्वे में सिखों के पासपोर्ट की तस्वीरें खींचने में भेदभाव की तुलना में नॉर्वे पुलिस डॉयरेक्टोरेट पॉलिसी में किए बदलावों को करवाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल का आभार व्यक्त किया है।
नार्वे के सिख समुदाय ने कल रात सरदारनी हरसिमरत कौर बादल के साथ एक वर्चुअल कांफ्रेंस में कहा कि नॉर्वे में सिखों के साथ 2018 के बाद से भेदभाव शुरू किया गया था जब निर्देश पास किए गए थे कि पासपोर्ट के लिए फोटो खिंचवाने के दौरान उन्हे अपने कानों को दिखाना होगा। उन्होने कहा कि इसके कारण सिखों को पासपोर्ट के लिए फोटो खिचवाते समय अपनी पग उतारनी पड़ती थी। इसी तरह ओसलो गुरुदारे से परमजीत सिंह तथा सुमीत सिंह, उनगे सिखर से तथा नौनिहाल सिंह समेत सदस्यों ने कहा कि सिखों को हर बार इमीग्रेशन जाने पर अत्यधिक अपमान का सामना करना पड़ता था क्योंकि उन्हे पासपोर्ट की तस्वीर से अपने से मिलान करने के लिए अपनी पग उतारनी पड़ती थी। उन्होने कहा कि किसी भी सिख के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी पग उतारने तथा दोबारा से पहनने को बहुत अपमानजनक माना जाता है।
इस महीने ही नार्वे सरकार द्वारा निर्देश वापिस लेने के फैसले के बारे जानकारी देते हुए सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि उन्हे सितंबर 2018 में इस संबध में प्रतिनिधिमंडल मिला था। उन्होने कहा कि नॉर्वे में बहुत छोटा समुदाय चार साल से इस मांग को स्वीकार करवाने के लिए आदंोलन कर रहा था। सरदारनी बादल ने कहा कि इसके बाद उन्होने जनवरी 2019 में दिल्ली यात्रा के दौरान नॉर्वे के प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग के अलावा तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पास इस मुददे को उठाया था। उन्होने कहा कि यह सिख समुदाय के लिए नियमों में छूट देना ऐतिहासिक दिन है तथा मुस्लिम महिलाओं को भी हिजाब पहनने के लिए समान राहत मिली है। उन्होने कहा कि नॉर्वे के तीन मंत्री पिछले सप्ताह समुदाय को फैसला बताने के लिए नॉर्वे के गुरुद्वारे में गए थे। यह पूरे सिख समुदाय के लिए बहुत बड़ी जीत है।
सरदारनी बादल ने कहा कि नॉर्वे सरकार को सिख संस्कृति और पहचान के लिए संवेदनशील होने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि अगर नॉर्वे में सिख समुदाय और एसजीपीसी दोनों द्वारा किया जाता है तो इस तरह के नियमों को फिर से विचार के लिए नही लिया जाएगा। उसने नॉर्वे सरकार से अनुरोध किया कि उनके संबध में किए जा रहे फैसलों के लिए सिख समुदाय से परामर्श करने का अनुरोध किया है।
सरदारनी बादल ने नॉर्वे के सिख समुदाय को आश्वासन दिया कि वह दुनिया भर में सामुदायिक हितों की सेवा करना जारी रखेंगी। उन्होने खुलासा किया कि कैसे उन्होने इटली में जिनके पासपोर्ट गुम हो गए थे को भी इटली का नागरिक बनने के लिए एमनेस्टी स्कीम का लाभ दिलाने के लिए रास्ता सुनिश्चित करवाया था। उन्होने शिरोमणी अकाली दल की पहल के बारे में बात की जिसमें उन्होने 1984 के कत्लेआम के पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने और करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के अलावा दुनिया भर के दूतावासों में सिखों की काली सूची को खत्म करवा दिया था।