यह जानकारी मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हरियाणा मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद यहां हरियाणा निवास में एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की जागरूक जनता ने इस विषय को बड़ी समझदारी के साथ लिया है और राज्य में कहीं से भी किसी प्रकार की भ्रांति, अशांति अथवा हिंसा की एक आवाज तक नहीं आई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत अगस्त मास में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के साहसिक फैसले के बाद और भी कई ऐतिहासिक निर्णय किये हैं। देशहित में किये गये इन निर्णयों का दीर्घकालीन असर होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि गत 11 दिसम्बर को हमारी संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को स्वीकृति दी थी। इस विधेयक में पड़ोसी देशों से भारत में आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। पहले उनके लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। अब यह अवधि हटाकर पांच साल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में अब तक कुल 1500 आवेदन नागरिकता प्राप्त करने के लिए आए हैं, जिनमें एक मुस्लिम परिवार का आवेदन भी है। उन्होंने कहा कि अहमदिया मुस्लमानों के बारे भी गलत जानकारियां दी जा रही हैं। अहमदिया मुस्लमान राष्ट्रभक्त हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश संवैधानिक मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर मुस्लिम उत्पीडि़त नहीं होते, इसलिए उन्हें इस कानून में शामिल नहीं किया गया है। इस अधिनियम में अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई को लाभ दिया है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 में पाकिस्तान में जहां अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी, वो 2011 में मात्र 3.7 प्रतिशत रह गई। इसी प्रकार, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी, जो 2011 में 7.8 प्रतिशत हो गई। आखिर कहां गए ये लोग। तीनों देशों से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए ऐसे लोगों को संरक्षित करना इस कानून का मूल उद्देश्य है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के अल्पसंख्यकों का इस कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इसका उद्देश्य केवल उन लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है, जो दशकों से पीडि़त थे। इसलिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताडि़त अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लाना आवश्यक हुआ।
उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल, 1950 को नेहरू-लियाकत समझौता, जिसे दिल्ली समझौते के नाम से भी जाना जाता है, में यह वादा किया गया था कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखेंगे। किंतु पाकिस्तान समेत इन तीनों पड़ोसी देशों ने इस वादे को नहीं निभाया। भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। भारत ने यह वादा निभाया और यहां के अल्पसंख्यक को सम्मान के साथ देश के सर्वोच्च पदों पर काम करने का अनुकूल वातावरण दिया। 1947 में जितने भी शरणार्थी आए थे, हमने उन सबको स्वीकार किया। पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह और पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी भी इनमें शामिल हैं। यहां तक वे स्वयं भी ऐसे शरणार्थियों में से एक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 सितंबर, 1947 को महात्मा गांधी ने नूंह जिले के घासेड़ा गांव में एक सभा में खुले तौर पर कहा था कि, ‘पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू और सिख, हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, अगर वे वहां निवास नहीं करना चाहते हैं। उस स्थिति में, उनके जीवन को सामान्य बनाना भारत सरकार का पहला कर्तव्य है।’
उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 बना कर न केवल महात्मा गांधी जी के वचन का सम्मान करते हुये उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी गई है बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीडऩ के शिकार असंख्य विस्थापित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर देश में कुछ राजनैतिक पार्टियां और संगठन भ्रांति फैला रहे हैं कि यह देश के नागरिकों विषेशकर मुसलमानों के हित में नहीं है। जब उन्हीं से पूछा जाता है कि क्या इसका कानून से भारत के मुसलमानों की नागरिकता समाप्त हो जाएगी तो वे बगलें झांकने लगते हैं। सच तो यह है कि यह कानून मुसलमानों सहित किसी भी भारतीय के हित से खिलवाड़ नहीं करता।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम पहली बार नहीं हो रहा है। विभिन्न देशों को उस समय की समस्या के आधार पर प्राथमिकता दी गई और वहां के लोगों को नागरिकता प्रदान की गई। वर्ष 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को और फिर पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के शासनकाल में श्रीलंका से आए तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई थी।
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