चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम ने आज शाम पांच बजे सेक्टर 25 स्थित जय प्रकाश एसोसिएटस द्वारा स्थापित ग्रीन टेक सोलिड़ वेस्ट मेनेजमेंट प्लांट को अपने कब्ज़े में ले लिया। निगम ने प्लांट में काम कर रहे करीब 50 श्रमिकों को भी आज साम ही नियुक्त्ति पत्र जारी कर प्लांट में ही पुन: काम पर रख लिया।
उल्लेखनीय है कि गत फरऱी माह में जिला अदालत ने प्लांट को सुचारु रुप से चलने के लिए 90 दिनो का समय दिया था जिसकी अवधि गत सप्ताह खत्म हो गई। प्लांट प्रबंधन पुन: जिला अदालत मे्ं गया जहां से उन्हें 9 दिन का समय स्थगन आदेश लेकर आने को कहा गया था पर वह इसमें विफल रहे व आज शाम 5 बजे इसकी अवधि भी खत्म हो गई। इससे पहले नेशन ग्रीन ट्रिब्युनल(एनजीटी) ने भी गत फरवरी माह में प्लांट प्रबंधन को अपनी व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तीन माह का समय दिया था व उशके बाद निर्णय लेने का अधिकार निगम को दिया था।
आज शाम 5 बजे निगम के अधिकारी पूरे दलबल के साथ वहां पहुंचे व प्लांट को अपने कब्ज़े में ले लिया। निगम की टीम ने जैसे ही प्लांट पर कब्ज़ा किया वैसे ही वहां काम करने वाले करीब 50 मज़दूर प्लांट के बाहर धरने पर बैठ गए। निगम अधिकारियों ने इस संबंध में महापौर राजबाला मलिक व निगमायुक्त केके यादव से बात की। निगम ने निर्णय लिया कि इन सभी को प्लांट पर ही काम पर रखा जायेगा व आज शाम ही उनके नियुक्त्ति पत्र भी तैयार कर दिए गए।
इससे पहले पिछले कल निगम ने इसे अपने कब्जे में लेने की पूरी तैयारी कर ली थी। निगमायुक्त केके यादव ने सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल से चर्चा करने के बाद प्लांट के अधिकारियों को नोटिस भेज दिया। निगमायुक्त का कहना था कि उन्हें भेजे गए नोटिस में निगम ने स्पष्ट कह दिया था कि वह चाहें तो शाम पांच बजे से पहले अपनी मशीने व अन्य सामान उठा सकते हैं। प्लांट प्रबंधकों ने मशीने व सामान नहीं उठाया व दोपहर अदालत से भी राहत पाने का प्रयास किया। निगमायुक्त का कहना था कि निगम वहां लगी मशीनरी को लेकर बाद में फैसला करेगा। अभी प्लांट प्रबंधक मशीने लेजाना चाहें तो ले जा सकते हैं।
निगमायुक्त का कहना था कि मशीनों के संबंध में कंपनियों से सुझाव भी मांगे जा सकते हैं। इसके बाद ही नई तकनीक वाली मशीनें लगाएंगे। कचरे को प्रोसेस करने के बाद निकले वाले आरडीएफ के बारे में भी कंपनी से ही तय किया जाएगा।
आयुक्त ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया था कि जेपी प्लांट कचरे का निष्पादन नहीं करता है तो निगम इस पर स्वयं निर्णय ले। इतना ही नहीं एनजीटी ने आदेश दिए ते कि अगर शहर के सारे कचरे का निष्पादन नहीं हुआ तो जुर्माना निगम को ही लगेगा व यह लाखों में हो सकता है। इन आदेशों के बाद गत फरवरी माह की सदन की बैठक में गारबेज प्लांट को निगम के अधिकार क्षेत्र में लेने का निर्णय लिया गया था।
निगम ने कम्पनी के साथ हुए करार को भी रद्द कर दिया था। प्लांट प्रबंधन को गत 19 फरवरी को सात दिन में जगह खाली करने का नोटिस दिया गया था, लेकिन प्लांट के अधिकारी सदन के फैसले के खिलाफ जिला अदालत चले गए। जहां 90 दिनों में प्लांट के अधिकारी कहीं से स्टे ऑर्डर ले आएं या इस फैसले को बदलवा लें। समय सीमा पूरी होने के बाद जब कंपनी के अधिकारी कोई निर्णय नहीं ले सके तो आयुक्त ने सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल से चर्चा की।
सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल की राय लेने के बाद प्लांट के अधिकारियों को 24 घंटे में प्लांट खाली करने का नोटिस भेजा गया। निगम के संबंधित अधिकारी का कहना था कि प्लांट को अगर निगम स्वयं चलाता है तो प्रतिमाह करीब 1 करोड़ से अधिक का खर्च उसे करना पड़ सकता है। इसमें प्लांट को संचालित करने, बिजली की खप्त, श्रमिकों के वेतनमानव मशीनो का रखरखाव व सुरक्षा कर्मियों की तैनाती आदि शामिल है।
गारबेज प्लांट के अधिकारी एनके वोहरा ने निगम की इस कारवाई को गैर कानूनी व एकतरफा बताया है। उनका कहना है कि कम्पनी इसके विरुद्ध अपील दायर करेगी।
महापौर राजबाला मलिक का कहना था कि आज अंतत: शहर को इस गारबेज से निजाद मिल गई। उन्होंने कहा कि डम्पिंग ग्राऊड़ को साफ करने के लिए पहले से ही माईनिमग परियोजना चल रही है व अब प्लांट को भी अत्याधुनिक तकनीक से चलाया जायेगा, जिससे शहर को स्वच्छ रखा जा सके