दमनकारी काले कानूनों को रदद करने की अपील की: सरदार सुखबीर सिंह बादल ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा ‘‘ खालसा पंथ ’’ को बड़े पैमाने पर निशाना बनाए जाने के लिए कड़ी निंदा की
कहा कि आम आदमी पार्टी ने मासूम सिख नौजवानों, महिलाओं और बच्चों को भी नही बख्शा
चंडीगढ़/14अप्रैल: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज एनएसए और यूएपीए जैसे सभी लोकतांत्रिक और दमनकारी काले कानूनों को रदद करने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा पंजाब में बड़े पैमाने पर खुलेआम दुरूपयोग को तुरंत रोकने की मांग की है।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ यह दुव्र्यवहार देशभक्त सिखों के खिलाफ आप पार्टी के राष्ट्रीय नेता की साम्प्रदायिक नफरत का प्रतीक है। यह पंजाबियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अक्षमता और विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए एक प्रयास है’’।
अकाली दल अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुभव और दुनिया के सबसे ब़ड़े लोकतंत्र के रूप में देश की छवि पर इसके प्रतिकूल प्रभाव होनेे के कारण इन काले कानूनों को रदद करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सरदार बादल ने पंजाब में आप पार्टी की सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ‘‘इन दमनकारी कानूनों को खालसा पंथ के सदस्यों विशेष रूप से निर्दोष नौजवानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर निशाना बनाने के लिए किया गया है। यहां तक कि बुजुर्गों , महिलाओं और बच्चों सहित सिख परिवारों के निर्दोष सदस्यों को भी दमन का शिकार बनाया जा रहा है’’।
सरदार बादल ने कहा, ‘‘ पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार निर्दोष जनता विशेष रूप से मासूम नौजवानों के खिलाफ इन काले कानूनों का इन काले कानूनों के घोर दुरूपयोग कर रही है। राज्य सरकार द्वारा ‘‘ निर्दोष और देशभक्त सिख समुदाय के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने की निंदा करते हुए कहा कि पंजाब सरकार केवल शक के आधार पर सिख नौजवानों को उठा रही है , और उन पर एनएसए जैसे दमनकारी कानून के तहत मामला दर्ज कर , उन्हे डिब्रूगढ़ जैसे दूरदराज स्थानों पर भेजा जा रहा है।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ राज्य की आप पार्टी की सरकार की इस कार्रवाई ने अंग्रेजो केे अधीन पंजाबियों के लिए काला पानी की कड़वी यादों को वापिस ला दिया है’’।
इन कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से ‘‘तत्काल हस्तक्षेप’’ करने की मांग करते हुए सरदार बादल ने कहा , ‘‘ लोकतंात्रिक रूप से चुने गए लोगों के नेताओं सहित सतारूढ़ पार्टी के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इसका दुरूपयोग किया जा रहा है’’।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से देश में काले कानूनों के इतिहास को याद करते हुए लिखा कि पंजाबियों , विशेष रूप से सिखों और उनके लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रतिनिधि शिरोमणी अकाली दल, कांग्रेस कार्यकाल के दौरान विशेष रूप से इंदिरा गंाधी के कुख्यात शासन काल के दौरान इन काले कानूनों से सबसे ज्यादा पीड़ित थे। उन्होने कहा कि यहां तक कि मास्टर तारा सिंह जी, संत फतेह सिंह जी , संत हरचंद सिंह लोंगोंवाल, सरदार परकाश सिंह बादल और जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा जैसे शिरोमणी अकाली दल के नेताओं सहित समुदाय के सबसे सम्मानित लोगों को निशाना बनाया गया था और ‘‘ युद्ध छेड़ने ’’ का आरोप लगाया गया और इन काले कानूनों के तहत सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। उन्होने कहा कि आज वही काले कानून एक अलग तरीके से लौट आए हैं तथा इनका दुरूपयोग इतना व्यापक है कि संविधान के तहत गांरटीकृत मौलिक अधिकार और वैध लोकतांत्रिक स्वंतत्रता को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है।