जब काले कानूनों का मसौदा तैयार किया जा था तब सियासी दलों के नेता कहा थे जैतो और रोमाना अलबेल सिंह में रेल रोको धरना जारी
जैतो, 18 अक्टूबर (रघुनंदन पराशर) केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए पास किए गए कृषि कानूनों व बिजली शोध एक्ट 2020 के प्रति किसानों का गुस्सा ठंडा नजर होता दिखाई नहीं दे रहा है।पंजाब के 29 विभिन्न किसान संगठनों के आह्वान पर किसानों ने बठिंडा-फिरोजपुर रेलवे लाइन पर जैतो और रोमाना अलबेल सिंह पर रेल रोको आंदोलन शुरू किया हुआ है और यह धरना आज 18 वें दिन भी जारी रहा। किसानों व मजदूरों ने इन कानूनों का जोरदार विरोध करते हुए केंद्र सरकार को जमकर कोसते हुए नारेबाजी की गई। उन्होंने कहा कि जब तक यह काले क़ानून रद्द नहीं किए जाते उस समय तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और किसान रेल ट्रैक कतई खाली नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक था कि किसी भी राजनीतिक दल ने इस काले कानून को लागू करने का विरोध नहीं किया था और जब किसानों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने मजबूत होकर इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि बड़ी हैरत की बात है कि इसके उपरांत ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने इन बिलों का विरोध करना शुरू कर दिया है। किसान नेताओं ने राजनीतिक दलों के नेताओं से सवाल किया है कि जब बिल का मसौदा तैयार किया जा रहा था तब वे कहां थे। उन्होंने कहा कि वोट बटोरने के लिए सभी राजनीतिक दल किसानों के हितैषी होने की बात करते हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि किसानों का कोई दल हितैषी नहीं है और हमेशा ही किसानों ने अपने बलबूते पर विजय प्राप्त की है।अब किसान यह काले कानून रद्द करवाकर अपनी विजय प्राप्त करेंगे।