ग्लोबल सिख कौंसिल की तरफ से इन कानूनों के विरुद्ध किसानों की मांगों का पूरा समर्थन
एसजीपीसी, अकाल तख्त, समूह संगठनों को किसानों के आंदोलन की हिमायत करने की की अपील
चंडीगढ़, 23 सितम्बर (विश्ववार्ता): भारत में किसान विरोधी कानूनों के विरुद्ध किसानी भाईचारे की माँगों का समर्थन करते हुये ग्लोबल सिख कौंसिल (जी.एस.सी.) ने भारतीय संसद द्वारा पास किये किसान कानूनों की सख़्त निंदा की है, जिससे किसानों को वित्तीय नुकसान होगा, जबकि इन कानूनों के कारण बड़े व्यापारी किसानों के साथ धोखाधड़ी करके खुद लाभ लेंगे। जी.एस.सी. ने अनाज की कीमतों को राष्ट्रीय मूल्य सूचक अंक के साथ जोडऩे की माँग करते हुये कहा कि भारतीय किसानों को अभी भी उन के कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा।
यहाँ से जारी एक बयान में लेडी सिंह, डा. कंवलजीत कौर चेयरमैन ग्लोबल सिख कौंसिल ने कहा कि पहले किसान सरकारी दाना मंडियों में निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फ़सल बेच सकते थे परन्तु अब फार्मर प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलीटेशन) एक्ट, 2020 जैसे नये कानून के अंतर्गत सरकार द्वारा निर्धारित की खरीद कीमत की जगह निजी मंडियों में बिना एमएसपी के किसानों की फसल खरीदने की छूट दे दी है। नतीजे के तौर पर बिना किसी सुरक्षा के अमीर व्यापारी छोटे किसानों को मार्केट भाव की जगह मजऱ्ी की कीमत पर बेचने के लिए अपना दबाव बना सकेंगे।
जीएससी ने भारत सरकार को विनती की है कि अमीर व्यापारियों की कीमत पर छोटे उत्पादकों को ऐसा नुकसान पहुँचाने वाले इन किसान विरोधी भेदभाव वाले कानूनों को रद्द किया जाये। इसके अलावा कौंसिल ने सभी बड़े अदारों और संस्थाओं जैसे कि एसजीपीसी, अकाली दल, अकाल तख़्त साहिब को भी अपील की है कि वह इन पक्षपाती कानूनों का विरोध करें जिससे किसानों का नुकसान होने से रोका जा सके।