पंजाब व हरियाणा बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित अदालतों का काम जनहित में सामान्य करने की लगाई गुहार
चंडीगढ़..10 जून (विश्ववार्ता) पंजाब और हरियाणा की जिला अदालतों में कार्यरत कुछ जजों के समक्ष ऐसे अभियुक्तों को पेश किया गया जो जेल जाने के बाद कोरोना रोग से संक्रमित पाए गए। ऐसे में ना केवल इन जजों बल्कि उनके पूरे स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया। पिछले कुछ दिनों से यह क्रम जारी है और कल भी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट आई जिसमें कहा गया कि जालंधर में एक कोरोना रोग से संक्रमितअभियुक्त को पेश किया गया और अब चार जजों और उनके स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है। सूत्रों से पता चला है कि अब न्यायिक प्रणाली इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नई पॉलिसी बनाने को सोच रही है।
हरियाणा में भी कुछ अदालतों में कोरोना रोग से संक्रमित अभियुक्तों को पेश करने के उपरांत जजों तथा स्टाफ को होमक्वॉरेंटाइन कर दिया गया था। पता चला है कि इन जजों तथा स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन करने के उपरांत इनका कोरोना टेस्ट भी किया गया और अभी तक कोई भी जज स्टाफ कोरोना से संक्रमित नहीं पाया गया। इतना अवश्य है कि जिन जजों को होमक्वॉरेंटाइन किया गया उनका काम दूसरे जजों को सौंपा गया।
सूत्र बताते हैं कि हाई कोर्ट को यह जानकारी दी गई है कि जब भी किसी अभियुक्त को अदालत में पेश किया जाता है तो वह अभियुक्त जज तथा रीडर आदि से लगभग 10 से 15 फुट की दूरी पर खड़ा होता है। ऐसे में किसी भी जज या स्टाफ का कोरोना रोगसे संक्रमित अभियुक्त के संपर्क में आने का प्रश्न ही नहीं उठता। इसलिए अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि अभियुक्तों को पेश करने के लिए कोई ऐसी पॉलिसी अपना ली जाए जिससे जजों को छुट्टी पर भेजने का झंझट ही ना रहे। वैसे तो यही चाहे तो स्वास्थ्य विभाग एक ही दिन में जजों तथा स्टाफ की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट हासिल कर सकता है परंतु सामान्य ढंग से भी देखा जाए तो टेस्ट होने के उपरांत दूसरे दिन कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट आ जाती है। इसलिए इस बात पर विचार किया जा रहा है कि यदिऐसा कोई मामला सामने आए तो जजों का तुरंत टेस्ट करवाकर रिपोर्ट हासिल कर ली जाए ताकि अदालतों का काम प्रभावित नाहो।
दूसरी तरफ यह बात भी स्पष्ट हो गई है कि पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर अदालतों का काम जनहित में सामान्य करने की गुहार लगाई है। अब जब यह भी स्पष्ट हो गयाहै कि जिन-जिन जजों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया उनमें से कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं पाया गया तो उचित पॉलिसी बना दी जाए ताकि जजों व स्टाफ को छुट्टी पर ना भेजना पड़े। कुछ मामलों में यह भी सामने आया है कि अदालत का स्टाफ बाहर कहीं कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया। ऐसे में पहलेयह देखा जा रहा था कि कहीं संबंधित स्टाफ या उसके परिवार में कोरोना के लक्षण तो नहीं आ रहे परंतु अब यह पॉलिसी परविचार किया जा रहा है कि इनका भी तुरंत टेस्ट करवाकर रिपोर्टहासिल कर ली जाए चाहे। जो भी हो परंतु एक बात तो तय है कि शीघ्र ही अदालतों में कार्य करने वाले जजों तथा स्टाफ के लिए कोई दिशा निर्देश आने वाले हैं कि किस प्रकार से अदालतों का काम संचालित हो ताकि किसी अभियुक्त के और कोरोना से संक्रमित पाए जाने की रिपोर्ट आने के उपरांत भी अदालतों काकाम काज प्रभावित ना हो। पता चला है कि ऐसा मामला आने पर सबसे बड़ा मसला तो संबंधित जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीशके समक्ष खड़ा हो जाता है जो किसी प्रकार का रिस्क भी नहीं लेना चाहते और स्टाफ को होम क्वॉरेंटाइन पर भेजना उनकी मजबूरी बन जाती है। ऐसे सेशन जज हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट तो भेज रहे हैं परंतु अब इस समस्या का हल ढूंढने का पुरजोर प्रयास चलरहा है ताकि पहले से ही काफी प्रभावित हो चुके अदालत के कार्य और प्रभावित ना हो। पता चला है कि अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ की भी इस संबंध में राय ली जा रही है। जजों को होम क्वॉरेंटाइन करने के समाचार किसी आग की भांति फैलने से भी न्यायिक प्रणालीकुछ हद तक चिंतित दिखाई दे रही है और चाहती है कि इस प्रकार जजों आदि का नाम कोरोना की वजह से न उछले।