कुर्सी की लड़ाई में पंजाब को बर्बाद करने के लिए कैप्टन और सिद्धू जनता से मांगे माफी – हरपाल सिंह चीमा
-सिद्धू पर लगाया सीधा निशाना, कहा कुर्सी मिलते ही भूले पंजाब के मुद्दे
-हरपाल चीमा, अमन अरोड़ा और रुपिंदर रूबी ने किया पार्टी के नए दफ्तर का उद्घाटन
बठिंडा, 22 जुलाई : आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कुर्सी छीनने और कुर्सी बचाने की आपसी लड़ाई में साढ़े चार साल बर्बाद करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ और नवनियुक्त प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू समेत सभी कांग्रेसी पंजाब की जनता से माफी मांगें और आपस में एक-दूसरे से माफी मांगने या न मांगने का नाटक बंद करें।
हरपाल सिंह चीमा वीरवार को यहां पार्टी के नए बनाए जिला दफ्तर का उद्घाटन करने पहुंचे हुए थे और मीडिया के रूबरू थे। उनके साथ विधायक अमन अरोड़ा, विधायक रुपिंदर कौर रूबी, जिला प्रधान शहरी नील गर्ग और जिला प्रधान देहाती गुरजंट सिंह समेत सभी स्थानीय नेता मौजूद थे।
चीमा ने कहा कि अध्यक्ष की कुर्सी मिलते ही नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब के सभी मुद्दे भूल गए हैं और अब कैप्टन और सिद्धू दोनों माफी-माफी के ड्रामे की आड़ में बेअदबी, नशे, बिजली, बेरोजगारी,कृषि संकट और बुरी तरह फैले माफिया जैसे असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की नई चाल चल रहे हैं, जिसकी स्क्रिप्ट राष्ट्रीय जुमलेबाज प्रशांत किशोर ने लिखी है।
हरपाल सिंह चीमा ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता मिलने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू उन ही कांग्रेसी मंत्रियों और विधायकों को घर घर जा कर मिल रहे हैं, जो रेत माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, केबल माफिया और नशा माफिया के संरक्षण हैं। इससे सिद्ध होता है कि नवजोत सिद्धू के हाथ भी भ्रष्टाचारी के साथ मिल गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब और पंजाब के लोग न तो पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के एजेंडे पर थे और न ही अब हैं। यह दोनों तो अपनी अपनी कुर्सी बचाने के लिए लड़ रहे हैं।
हरपाल सिंह चीमा ने खुलासा किया कि कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद पंजाब पर 90 हज़ार करोड़ का कजऱ् ओर चढ़ गया है और पंजाब के नौजवान बेरोजगारी की दलदल में धंसते जा रहे है। अगर नवजोत सिद्धू गंभीर होते तो अपने तीन साल के मंत्री कार्यकाल के दौरान पंजाब के मुद्दों की लड़ाई लड़ते और बिजली विभाग की जिम्मेदारी संभाल कर बादलों की ओर से किए गलत बिजली समझौतों को रद्द करवाने का यत्न करते, वह तो पंजाब के हितों को बचाने की जिम्मेदारी से ही दूर भाग गए।
बादलों को आड़े हाथों लेते हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं, जिन काले कृषि कानूनों पर सुखबीर बादल, हरसिमरत बादल और प्रकाश सिंह बादल ने हस्ताक्षर और समर्थन किया था।
बठिंडा जिला के नेताओं को नया दफ्तर खोलने की बधाई देते हरपाल सिंह चीमा और अमन अरोड़ा ने कहा यह दफ़्तर आम लोगों की समस्याओं को सुनने और उनके हल के लिए पहले की अपेक्षा भी ज़्यादा शिद्दत के साथ कोशिश करेगा।