👉कैबिनेट बैठक के दौरान मोदी के समक्ष पंजाब के अंनदाता के लिए क्यों नहीं बोलती हरसिमरत कौर बादल
👉🏾कोरोना की मार और महंगी हुई लेबर पर भी खरा नहीं उतरती नई कीमतें
चण्डीगढ़, 2 जून -आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद भगवंत मान ने केंद्र की नरिन्दर मोदी सरकार द्वारा धान समेत सावन की ओर फसलों के कम से कम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी) में की मामूली वृद्धि को पंजाब समेत देश भर के अंनदाता के साथ भद्दा मजाक करार दिया है।
मंगलवार को पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा भगवंत मान ने कहा कि फसलों की लागत (खर्च) पर किसानों को 50 प्रतिश्त मुनाफे के बार में डा. स्वामीनाथन की सिफारिशें रद्दी की टोकरी में फैंक कर मोदी सरकार बेशर्मी के साथ झूठ बोलने में लगी है। भगवंत मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरिन्दर तोमर द्वारा नई कीमतों का ऐलान करने के मौके यह दावा करना, नई एम.एस.पी तय होने से किसानों को उनकी लागत पर 50 से 83 प्रतिशत ज़्यादा कीमत मिलेगी, बहुत हठ के साथ बोला गया कोरा झूठ है। देश के अंनदाता के साथ ऐसा ‘पाप’ कमाने वाले नरिन्दर तोमर को कृषि मंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता। भगवंत मान ने प्रधान मंत्री और कृषि मंत्री को मुखातिब होते कहा, ‘‘यह देश और देश के अंनदाता की बदकिस्मती है कि आपके जैसे असंवेदनशील नेताओं के हाथ कृषि का भविष्य तय करने की जिम्मेदारी लग गई है। आप बेशक कितने भी चुस्त-चालाक क्यों न हों, परंतु एक अनपढ़ किसान और खेत मजदूर भी अपनी फसल पर हुए कुल खर्च और आमदनी का हिसाब-किताब अपनी, उंगलियों पर ही आपके पढ़े लिखे गंवार माहिरों की अपेक्षा ज़्यादा तर्कसंगत और अच्छे से कर लेता है। इस लिए अंनदाता को अपने लच्छेदार आंकड़ों के द्वारा बेवकूफ बनाने की नीच कोशिश न करें।’’
भगवंत मान ने मोदी सरकार में हिस्सेदार बादल परिवार को चुनौती दी कि वह केंद्र की तरफ से धान की फसल के मूल्य में किए 53 रुपए प्रति क्विंटल के ऐलान का स्वागत करके दिखाएं और साबित करें कि क्या सचमुच किसानों को उनकी लागत पर 50 से 83 प्रतिशत ज़्यादा कीमत मिलेगी? मान ने कहा कि धान पर पिछली कीमत के मुकाबले केवल 3 प्रतिशत बढ़ौतरी की गई है। यदि बीबी हरसिमरत कौर बादल को कर्ज से दुखी पंजाब के अंनदाता की रत्ती भर भी प्रवाह होती तो मोदी मंत्रालय की तरफ से किसानों के साथ इतना भद्दा मजाक न करने देती और जरूरत पडऩे पर तुरंत अपना इस्तीफा देने की दिलेरी दिखाती।
भगवंत मान ने बताया कि पंजाब के माहिरों द्वारा कुल लागत खर्च के हिसाब से 2902 रुपए प्रति क्विंटल की सिफारिश केंद्र को भेजी गई थी। यहां तक कि कृषि लागत और कीमतों के बारे में कमीशन (सीएसीपी) की तरफ से तय मापदंड सी-2 के अनुसार इस सावन की फसल के धान की प्रति क्विंटल कीमत 1665 रुपए निकाली गई थी, यदि इस लागत पर मोदी सरकार किसानों को 50 प्रतिशत लाभ देती (स्वामीनाथन फार्मूले के अनुसार) तो भी नई कीमत 2497 रुपए प्रति क्विंटल तय होती, जबकि की सिर्फ 1868 रुपए है, जो लेबर की बढ़ी कीमतों (लगभग 300 रुपए प्रति क्विंटल) की भी पूर्ति नहीं करती, जबकि कोरोना वायरस के कारण अगले 6 माह में महंगाई ओर विकराल रूप धारण कर लेगी और वित्तीय संकट ओर गहरा होगा। भगवंत मान ने कहा कि यदि मोदी सरकार दूरदर्शी सोच रखने के काबिल होती तो कृषि क्षेत्र को मजबूत रखने के लिए फसलों की कीमतें वास्तविकता में स्वामीनाथन सिफारिशें मुताबिक बढ़ौतरी करती, क्योंकि आज भी भारतीय आर्थिकता की नींव कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं।
भगवंत मान ने फसलों के मूल्य में किए इस वृद्धि को पूर्ण रूप से खारिज करते हुए कहा कि महंगाई की दरें, खादों की सब्सिडी में से कटौती, डीजल-पेट्रोल केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से लगाए जा रहे अंधाधुन्द वैट (टैक्स) समेत लेबर के मौजूदा संकट के मद्देनजर यह वृद्धि किसी भी पैमाने पर खरी नहीं उतरती।
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