भीषण ठंड और बारिश के बावजूद, किसान डटे है दिल्ली बार्डर पर
बूढ़े, युवा, महिलाएं और बच्चे सभी आंदोलन मे दे रहे है योगदान
किसान नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े
4 जनवरी को केंद्र सरकार के साथ 7 वें दौर की बैठक के बारे में किसान नेता नहीं हैं आशावादी
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को दिया अल्टीमेटम
4 जनवरी की बैठक में कोई हल नहीं तो आंदोलन होगा तेज
6 जनवरी को दिल्ली को जोडऩे वाला एक और राजमार्ग किया जाएगा बंद
लोहड़ी त्यौहार को अलग रूप से मनाया जाएगा
18 जनवरी को महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय
23 जनवरी को देशभर के किसान धरने पर बैठेंगे
26 जनवरी को दिल्ली की सडक़ों पर ट्रैक्टर के साथ मनाया जाएगा गणतंत्र दिवस
किसान आंदोलन हमेशा की तरह शांतिपूर्ण होगा: किसान नेता
दिल्ली 2 जनवरी (विश्ववार्ता) दिल्ली के सिंधु बार्डर पर ऐतिहासिक किसानों का आंदोलन आज अपने 38 वें दिन में प्रवेश कर गया है। आन्दोलन में बुजुर्ग, युवा, महिलाएँ और बच्चे सभी क्षेत्रों से बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। आंदोलनकारियों की मुख्य मांग केंद्र सरकार द्वारा तीन नए अधिनियमित कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करना है। इससे कम में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार के साथ किसान संगठनों की 7 वीं दौर की बैठक 4 जनवरी को होने वाली है, लेकिन किसान नेता बैठक को लेकर आशान्वित नहीं हैं। इसीलिए किसान संगठनों की सात सदस्यीय समिति ने आज संघर्ष को तेज करने का फैसला किया और घोषणा की कि किसान 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग को अवरुद्ध करेंगे। उन्होंने कहा कि अगले पखवाड़े के दौरान आंदोलन तेज करने के लिए देश भर में प्रदर्शन और घेराबंदी होगी। उन्होंने कहा कि लोहड़ी का त्यौहार लोहड़ी के दिन 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर मनाया जाएगा। 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 23 जनवरी को, किसान देश भर में राज्यपालों की इमारतों का घेराव करेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 26 जनवरी को किसान गणतंत्र दिवस मनाने के लिए ट्रैक्टरों से दिल्ली में प्रवेश करेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा क्योंकि यह आज तक चल रहा है।