संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक आज
कल किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड की तैयारियां पूरी
आटा दाल छोडक़र तिरंगा पहुंचाना शुरू करें- राकेश टिकैत
हर टैंक के साथ चलेगा तिरंगा लगा ट्रैक्टर
कहा हमारे 70 किसान हो चुके है शहीद
दिल्ली 10 जनवरी (विश्ववार्ता): ऐतिहासिक किसान आंदोलन का सिंधु बार्डर पर 45वां दिन है। कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच एक बार फिर से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है. कुंडली बॉर्डर पर 10 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई गई है, जिसमें सरकार के रुख को लेकर चर्चा की जाएगी. किसानों के आंदोलन पर 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सरकार 26 जनवरी की परेड के एलान को देखते हुए किसी तरह किसान नेताओं को मनाने में जुटी है, जबकि किसान अपीन मांग पर अड़े हैं.
भारतीय किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड को लेकर किसानों को सलाह दी है कि वे ज्यादा से ज्यादा तिरंगे झंडे खरीदकर रख लें। टिकैत का कहना है कि 26 जनवरी को इनकी ज्यादा जरूरत पड़ेगी। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। इसके लिए वे किसी भी शहादत के लिए तैयार हैं। उन्होंने फैसला किया है कि 26 जनवरी की परेड के लिए वे 23 को ही दिल्ली के लिए निकलेंगे। हर किसान ट्रैक्टर पर तिरंगा लगाकर आगे बढ़ेगा। तिरंगे पर सरकार न वाटर कैनन से बौछारें करेगी और न ही गोली चलाएगी। सरकार अगर डंडे चलाएगी तो हम राष्ट्रीय गान गाएंगे।
किसानों ने तय किया है कि हर टैंक के साथ ट्रैक्टर चलेगा और बराबर स्पीड में चलेगा। हर ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा लगा होगा। 26 जनवरी किसी पार्टी का त्यौहार नहीं है बल्कि पूरे देश का त्यौहार है, इसलिए किसान इसे दिल्ली में पहुंचकर मनाएंगे। टिकैत ने कहा कि हमने आजादी की लड़ाई तो नहीं देखी लेकिन इस बार हम एक तरह से शहादत ही देंगे। हम घर बोल कर आए हैं कि वापस आएंगे या नहीं, इसका कुछ पता नहीं। हमारे 70 किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को कोई सुविधा नहीं दे रही। सरकार के पास बस एक ही रास्ता बचा है और वह है तीन कृषि कानून वापस लेने का। इसके अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है।यह तय है कि वे मांगें माने जाने तक पीछे नहीं हटेंगे। यह लड़ाई 2024 तक भी चल सकती है, इसलिए अब उन्हें साढ़े 3 साल की तैयारियां करनी हैं।
उन सैनिकों की बनेगी सूची, जिनके परिजन आंदोलन में शामिल
टिकैत ने कहा कि किसान उन सैनिकों की सूची तैयार कर रहे हैं जिनके पिता या भाई या अन्य परिजन किसान आंदोलन में शामिल हैं। 26 जनवरी के दिन परिवार के दोनों सदस्य राजपथ पर बराबर-बराबर चलेंगे। एक तरफ सैनिक चलेगा तो दूसरी तरफ आंदोलन में शामिल उसका पिता या भाई। आंदोलन की अगुवाई महिलाएं करेंगी। सरकार को साफ तौर पर कह दिया गया है कि कानून रद्द किए जाने से कम कुछ मंजूर नहीं। अब गेंद पूरी तरह से सरकार के पाले में है।