मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के ज्वलंत मुददों पर चर्चा से भागने के लिए निंदा की
मुख्यमंत्री द्वारा लोगों को मूर्ख बनाने के लिए सफेद झूठ बोलकर एक बार फिर धोखा दिया: सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया
चंडीगढ़/28अगस्त (विश्ववार्ता): शिरोमणी अकाली दल ने आज विधानसभा के एक घंटे के सत्र को राज्य में लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया तथा मुख्यमंत्री तथा राज्य के ज्वलंत मुददों पर चर्चा से भागने तथा लोगों को मुर्ख बनाने के लिए कोरा झूठ बोलने के लिए तथा धोखा देने का दोष लगाया है।
मुख्यमंत्री के व्यवहार को शर्मनाक तथा उनके पद के अनुसार तुच्छ करार देते हुए शिरोमणी अकाली दल के नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि यह बेहद हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह झूठ बोला कि शिरोमणी अकाली दल सत्र में नही आया जबकि उनकी सरकार ने विपक्ष को विधानसभा से बाहर रखा। उन्होने कहा कि अमरिंदर सिंह तो गुटका साहिब की झूठी शपथ खाने के लिए मशहूर हैं तथा आज भी उन्होने सफेद झूठ बोलकर यह तथ्य छिपाया है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं विपक्ष के विधायकों से कहा था कि जो कोरोना पॉजिटिव साथियों के संपर्क में आए हैं, वह विधानसभा में न आएं। उन्होने कहा कि स्पीकर ने भी इसके बारे पत्र जारी किया था जो रिकॉर्ड का हिस्सा है। उन्होने कहा कि जहां शिरोमणी अकाली दल जिम्मेदारी से पेश आया है, वही आप तथा कांग्रेस के विधायकों समेत अन्य ने जिम्मेदारी नही दिखाई तथा एक कांग्रेसी विधायक निर्मल सिंह शतराणा सत्र में उपस्थित थे जबकि वह पॉजिटिव आए थे।
सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि इतना ही नही बल्कि अकाली दल के विधायकों के घर के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि उन्हे सत्र में शामिल होने के लिए घर से बाहर निकलने न दिया जाए। उन्होने कहा कि यह कार्रवाईयां कांग्रेस सरकार के इशारों के बारे बताती हैं तथा मुख्यमंत्री अकाली दल विधायकों द्वारा जिम्मेदारी से पेश आने की प्रशंसा करने की बजाय जानबूझकर विधायकों को बदनाम करने में लगे हुए हैं।
अकाली नेता ने कहा कि ध्यान बांटने के तरीके ढूंढने की बजाय खेतीबाड़ी तथा केंद्रीय आर्डिनेंसों जैसे महत्वपूर्ण मुददों पर सिर्फ 30 मिन्ट का सत्र करके सिर्फ राजनीति करने की बजाय मुख्यमंत्री को विपक्ष को इस महत्वपूर्ण मामले पर चर्चा के लिए समय देना चाहिए था। उन्होने कहा कि इसी तरह 5600 करोड़ रूपये के शराब घोटज्ञले तथा जहरीली शराब त्रासदी, रेत माफिया की लूट, मनरेगा फंडों के घोटाले, एस सी छात्रों के लिए आए 69 करोड़ रूपये केंद्रीय फंडों के मंत्री धर्मसोत द्वारा लूट, डॉक्टरों तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों को समय पर वेतन न देने के मामले, सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव दूर करने तथा प्राईवेट स्कूली छात्रों के लिए राहत सुनिश्चित करने जैसे मुददों पर चर्चा करने के लिए कोई समय नही रखा गया।
अकाली नेता ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री सचमुच खेतीबाड़ी के बारे केंद्रीय आर्डिनेंसों पर चर्चा के लिए गंभीर है तो फिर उसे पहले अपनी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र कमेटी के चेयरमैन को बर्खास्त करना चाहिए जिसने दावा किया था कि वह एपीएमसी एक्ट में संशोधन करके पंजाब में प्राईवेट मंडिरूों की स्थापना करेंगे। इसे 2017 में एपीएमसी एक्ट में किए वह संशोधन समाप्त कर देने चाहिए जिनमें कहा गया था कि प्राईवेट मंडियां बनाई जाएंगी, ई-ट्रेडिंग होगी तथा जिनका सीधा मंडीकरण होगा। इसे मानटेक सिंह आहलूवालिया कमेटी को खत्म कर देना चाहिए जिसने सरकार द्वारा एपीएमसी एक्ट में किए संशोधन की सराहना की है। उन्होने कहा कि वास्तव में इस सबने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री केंद्रीय आर्डिनेंसों पर दोगुली बोली बोल रहे हैं।
उन्होने कहा कि अकाली दल के विधायकों ने अपनी अंतरआत्मा की आवाज तथा जिम्मेदार सार्वजनिक प्रतिनिधियों की तरह व्यवहार किया है। उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार को अगले महीने विधानसभा का सत्र दोबारा बुलाना चाहिए ताकि जो ज्वलंत मुददों पर विचार किया जा सके। उन्होने कहा कि विधानसभा के मौजूदा सत्र की कोई तुक नही रह जाती क्योंकि इसमें 50 फीसदी से भी कम उपस्थिति थी। उन्होने कहा कि आम प्रक्रिया नही अपनाई गई तथा सिर्फ शून्य काल तथा ध्यान दिलाने वाले प्रस्ताव खारिज कर दिए गए। उन्होने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार तथा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सचमुच लोगों के मामलों पर चर्चा चाहते हैं तो फिर उन्हे अगले महीने विधानसभा का सत्र दोबारा बुलाना चाहिए नही तो यह माना जाएगा कि सरकार ने कोरोना महामारी का बहाना बनाकर लोगों के प्रतिनिधियों को लोकतंत्र के मंदिर में लोगों की आवाज बुलंद करने का अवसर देने से रोक दिया है।