*👉-कोर कमेटी मीटिंग ने उजागर की बादल परिवार व बादल दल की बेचैनी*
*चंडीगढ़, 13 सितम्बर 2020*
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष व संसद मैंबर भगवंत मान ने पंजाब के सभी लोकसभा व राज्यसभा मैंबरों को संसद के मौनसून सत्र में कृषि अध्यादेश के विरुध एकसूर होकर बोलने और विरोध में वोट करने की अपील की है।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान द्वारा भगवंत मान ने कहा कि संसद का यह सत्र पंजाब के सभी संसद मैंबरों की परख करेगा कि वह पंजाब के साथ खड़े हैं या वकाीरियों-बेबसियों के समक्ष पंजाब और पंजाब की किसानी की (ऑन रिकार्ड) बली देते हैं?
मान अनुसार, ‘‘कृषि अध्यादेश पेश होने वाले दिन जैसे सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल पर सारे पंजाब की बाहर से नजर रहेगी वैसे ही मैं पार्लीयामैंट के अंदर रखूंगा और बताउंगा कि यह पार्टी पंजाब के हित की पूर्ति करने में है या विरोध में है।’’
भगवंत मान ने कहा कि कृषि अध्यादेशों के मुद्दे पर बादल दल की कोर कमेटी की शनीवार को हुई मीटिंग ने दो तथ्य उजागर कर दिए हैं। पहला यह अब तक केंद्रीय कृषि अध्यादेशों की सीधी वकालत करते आ रहे बादल परिवार को जमीनी हकीकत ने बुरी तरह बेचैन कर दिया है, क्योंकि अगर बादल जोड़ा पार्लीयामैंट में मोदी कृषि अध्यादेशों के विरुध बोलने और वोट डालने की हिम्मत दिखाते है तो बीबी हरसिमरत कौर की वकाीरी और बिक्रम सिंह मजीठिया पर इनफोर्समैंट डायरैकटोरेट (ईडी) की लटकी हुई तलवार गिर सकती है।
भगवंत मान ने सवाल किया कि क्या बादल परिवार पंजाब की कृषि, किसानों, मजदूरों, आढ़तियों, पल्लेदारों, ट्रांसपोटरों आदि सहित संघीय ढांचे की रखवाली के लिए यह ‘तुच्छ त्याग’ कर सकेगा? क्योंकि ऐसा स्टैंड बादल परिवार में भडक़ी घरेलू खानाजंगी को तूल देगा, जिसके हालात काफी लंबे समय से दिख रहे हैं।
यही कारण है कि बहू-रानी की कुर्सी और मजीठीया को बचाते-बचाते बादल परिवार को शिरोमणी अकाली दल के दशकों पुराने स्टैंड-सिद्धांत और पंजाब-पंजाबियों के हित मोदी सरकार के पास पूरी तरह बेच दिए हैं। अगर ऐसा न होता तो सब कुछ समझते हुए (कृषि अध्यादेशों से होने वाली तबाही, केंद्र के इन तानाशाही फैसलों के विरुध उठी और संघीय ढांचा सिद्धांत के विपरीत जाकर पंजाब के अधिकारों पर हो रही डाकेमारी) मीसने बुजुर्ग की तरह प्रकाश सिंह बादल कभी भी केंद्र के कृषि आर्डीनैस की वकालत के लिए बेबस न होते।
भगवंत मान ने दूसरे तथ्य का जिक्र करते हुए कहा कि ‘कुर्सी बनाम किसानी’ में से एक चुनने की कशमकश में उलझे बादल परिवार के नीचे लगे अकाली दल के लीडरों की बेचैनी खुल कर बाहर आ गई है। जो सावर्जनिक तौर पर मान चुके हैं कि कृषि आर्डीनैस पंजाब के विरुध है। ऐस स्थिति में बादल दल के बहुत से लीडर एक तरफ अपने आका (सुखबीर सिंह बादल) की परिवारप्रस्ती के समक्ष बेबस है, दूसरी तरफ तेजी से खिसकती जा रही बची-खुची राजनीतिक जमीन को देखकर परेशान हैं।
मान ने कहा कि , ‘‘बादल एंड पार्टी के मौजूदा हालात स्पष्ट बता रहे हैं कि असूलों-सिद्धांतों और कुर्बानियों से 1920 में अस्तित्व में आई शिरोमणी अकाली दल का एक परिवार की लोभ-लालसा पूरी एक सदी बाद कैसे बलि चढ़ा है।’’
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