सैनी अभी नही चढा पुलिस के हत्थे
चंडीगढ 7 सिंतबर (विश्ववार्ता): आईंएएस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण, कत्ल मामले मे अग्रिम जमानत व डीजीपी द्वारा अपना केस राज्य से बाहर किसी स्वंतत्र एंजेसी से करवाने के मामले मे आज हाईकोर्ट मे जस्टिस फतहदीप सिंह की अदालत मे कई घंटे चली बहस के बाद जज ने कल के लिए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है और अब कल डीजीपी मामले मे बडा फैसला आने की संभावना है।
ये है पूरा मामला
पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, यूटी पुलिस के एक रिटायर्ड एसपी बलदेव सिंह, दिवंगत डीएसपी सतबीर सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरसहाय, अनोख सिंह, जगीर सिंह और अन्यों के खिलाफ मटौर पुलिस थाने में अपहरण और अन्य धाराओं के तहत 6 मई को मामला दर्ज किया गया था। यह मामला तब का है जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे। मुल्तानी को सुमेध सिंह सैनी पर चंडीगढ़ में हुए आतंकी हमले के बाद पकड़ा गया था। हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिकर्मी मारे गए थे। आरोप है कि 1991 में सैनी की हत्या के विफल प्रयास के बाद पुलिस ने मुल्तानी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद बलवंत सिंह को थाने मे टार्चर किया गया है, फिर बताया गया कि बलवंत की गिरफ् से भाग गया। वहीं परिजनों का कहना था कि बलवंत की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई थी। 2008 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ सीबीआई ने इस मामले में प्रीमिलनरी इंक्वायरी शुरू की जिसके बाद 2008 में सीबीआई ने सैणी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। जिसके बाद पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, यूटी पुलिस के एक रिटायर्ड एसपी बलदेव सिंह, दिवंगत डीएसपी सतबीर सिंह, रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरसहाय, अनोख सिंह, जगीर सिंह और अन्यों के खिलाफ मटौर पुलिस थाने में अपहरण और अन्य धाराओं के तहत 6 मई को मामला दर्ज किया गया था।
जिसके बाद अब नए फैक्ट्स पर पंजाब पुलिस ने पिछले महीने 7 मई को सैणी के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण), 201 (साक्ष्य मिटाने के कारण), 344 (गलत तरीके से कारावास), 330 और 120बी (आपराधिक साजिश रचना) के तहत केस दर्ज किया था।
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