कहा कि यदि बिल पास हो जाता है तो चल रही कल्याणकारी योजनाओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करेगा जोकि अनुसूचित जाति और किसानों को मुफ्त बिजली प्रदान करता है
कहा कि बिजली क्लॉज के लिए अग्रिम भुगतान के कारण उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ बढ़ जाएगा
चंडीगढ़/08जुलाई: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे बिजली मंत्री को प्रस्तावित बिजली(संशोधन) विधेयक,2020 को आगे न बढ़ाने का निर्देश दें और राज्य के संघीय अधिकारों से किसी भी तरह से समझौता न करके इसे वापिस लें।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस संदर्भ में पत्र लिखा कि प्रस्तावित बिजली(संशोधन),2020 सार्वजनिक चिंता का कारण बन गया है क्योंकि यह राज्यों के अधिकारों पर थोपा गया है और संघवाद के मूल सिद्धांत के खिलाफ था तथा राज्य के अधिकारों से किसी भी तरह से समझौता नही किया जा सकता।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में राज्यों को सब्सिडी देने और क्रॉस सब्सिडी देने पर रोक लगाई गई है जो समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करने के लिए राज्य सरकारों के सवैंधानिक अधिकार पर सीधा हमला था। उन्होने कहा कि यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो समाज के विभिन्न वर्गों को रियायती बिजली यां मुफ्त बिजली प्रदान करने वाली कई कल्याणकारी योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी। प्रशासनिक समस्याओं के अलावा विधेयक में सामाजिक अशांति पैदा करने की भी आशंका है क्योंकि यह अनुसूचित जातियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों को मुफ्त बिजली देता है।
सरदार बादल ने कहा कि बिल के मौजूदा स्वरूप में पास होने की स्थिति में उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होने बताया कि बिल में क्लॉजों के अनुसार राज्यों को पहले से बिजली की खरीद के लिए भुगतान जमा करना होगा जिसके बाद खरीदार को बिजली दी जाएगी। इससे राजस्व की कमी वाले राज्यों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता पर बोझ बढ़ाया जा रहा है।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यदि बिल अपने वर्तमान स्वरूप में पास हो जाता है तो राज्य सरकारों को राज्य विद्युत नियामक कमिशनज् के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार छीन लेगी। उन्होने कहा कि विद्युत प्रवर्तन प्राधिकरण(ईसीईए) के गठन की भी परिकल्पना की गई है जो राज्य सरकारों द्वारा प्राप्त पॉवर को अपने पास रख लेगा।
उन्होने यह भी बताया कि प्रस्तावित बिल से विभिन्न राज्यों द्वारा अपने संबधित विद्युत अधिनियमों के अनुसार स्थापित वितरण और ट्रांस्मिशन कंपनियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होने कहा कि बिल में उत्पादन कंपनियों को राज्य नियामक प्राधिकरणों से कोई अनुमति लिए बिना अपनी वितरण और ट्रांसिमशन फ्रेंचाइजी नियुक्त करने का अधिकार देने का प्रस्ताव किया गया है।