*👉प्रतिपक्ष नेता की अध्यक्षता में ‘आप’ नेताओं ने किया घनौर के पीडि़त गांवों का दौरा*
*चंडीगढ़, 22 मई( विश्व वार्ता)-‘‘हम पंजाब में उद्योग (इंडस्ट्री) स्थापित करने के बड़े हिमायती हैं। कृषि क्षेत्र पर आधारित उद्योग पंजाब और पंजाब के लोगों की आर्थिक दशा सुधारने में अहम भूमिका निभा सकती हैं, परंतु दर्जनों गांवों के हजारों किसानों-खेत मजदूरों और स्थानीय कृषि पर निर्भर हजारों लोगों को उजाड़ कर स्थापित किए जाने वाले उद्योग की पंजाब को जरूरत नहीं। आम आदमी पार्टी ऐसे उजाड़े को कदाचित भी बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे ‘तथाकथित विकास’ के विरुद्ध स्थानीय लोगों के हक में सडक़ से लेकर सदन तक जबरदस्त विरोध करेगी।’’
शुक्रवार को यह ऐलान प्रतिपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने घनौर हलके के सेहरा, सेहरी, अकड़, अकड़ी आदि कई गांव का दौरा करने के उपरांत पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान के द्वारा किया। इस मौके उनके साथ पार्टी के सीनियर नेता गैरी बडि़ंग, हरचन्द सिंह बरसट, मैडम नीना मित्तल, गगनदीप सिंह चड्ढा, जिला प्रधान (देहाती) चेतन सिंह जौड़ेमाजरा, गुरप्रीत संधू और अन्य स्थानीय नेता मौजूद थे।
हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि इंडस्ट्री के नाम पर सरकार इन गांवों की हजारों एकड़ जमीन हथियाने के लिए इतनी जल्दी है कि संवैधानिक नियम कानूनों की भी प्रवाह नहीं कर रही। चीमा ने गांव वासियों के हवाले से बताया कि इन गांवों की ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति के साथ प्रस्ताव पास करके अपने गांवों की उस शामलाती जमीन को अधिग्रहण करने की इजाजत नहीं दी। चीमा ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों के अनुसार सरकार या कोई ताकत ग्राम सभाओं को मिले बुनियादी अधिकारों से ऊपर नहीं है।
हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि 1947 में देश के बटवारे के समय पाकिस्तान से उजड़ कर आए किसानों-खेती करने वालों को यह जमीनें आवंटित हुए थे, तब से ही यह परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इन जमीनों पर खेती करके अपने परिवार पाल-पोस रहे हैं। अब अपनी ही सरकारों द्वारा एक ओर बर्बादी बर्दाश्त करने के लिए इन हजारों परिवारों की हैसियत नहीं है। सरकार की तरफ से इन के उजाड़े के लिए इस्तेमाल की जा रही ताकत न केवल संवैधानिक बल्कि मानवीय अधिकारों की भी उल्लंघना है।
चीमा ने कहा कि राज्य में हजारों एकड़ जमीन औद्योगिक प्लांटों के लिए आरक्षित और खाली पड़ी है। लाखों एकड़ शामलाती भूमि पर राजनीतिज्ञों, अफसरों और रसूखदारों द्वारा नाजायज तौर पर कब्जा कर लिया गया है। सरकार इन गांवों के पीछे ही क्यों पड़ी है?
उन्होंने कहा कि पिछली बादल सरकार द्वारा जब इन गांवों की जमीन पर नजर रखी थी तो महारानी परनीत कौर, मदन लाल जलालपुर और हरदियाल सिंह कम्बोज जैसे कांग्रेसी नेता इन गांवों के लोगों के धरनों में आ कर जमीन अधिग्रहण करने का विरोध करते थे परंतु अब सत्ता में आ कर यह भी बादलों की तरह यह जमीनें हथियाने पर तुले हुए हैं। चीमा ने कहा कि इस संघर्ष में ‘आप’ स्थानीय लोगों के साथ डट कर खड़ी है और हमेशा खड़ी रहेगी।