चंडीगढ़ 15 फरवरी ( विश्व वार्ता.) रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्य प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जोरदार प्रहार करते हुए जारी बयान में कहा है कि क्या प्रिपेड मोबाईल ग्राहकों की लूट और सेल फोन कंपनियों को छूट ही भाजपा का न्यू इंडिया है?. 24 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को 1,02,000 करोड़ रु. जमा करवाने का आदेश दिया गया, जो उन्हें टेलीकॉम पॉलिसी, 1999 में ‘एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू’ (AGR) के तौर पर जमा करवाना था।
यह 1,02,000 करोड़ रुपया वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल भारती, टाटा टेलीसर्विसेस (जिसकी मालिक अब एयरटेल है) व रिलायंस जियो के द्वारा दिया जाना है।
सुरजेवाला ने बयान में कहा है कि 20 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में टेलीकॉम कंपनियों द्वारा साल 2020-21 व 2021-22 की 42,000करोड़ की ‘Spectrum Auction Installments’ को लंबित कर दिया। इस तरह तीन निजी टेलीकॉम कंपनियों यानि वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल भारती व रिलायंस जियों को 42,000 करोड़ की पेमेंट मुल्तवी हो गई। पीआईबी प्रेस रिलीज़ की कॉपी संलग्नक A1 संलग्न है।
3. 1, 3 और 6 दिसंबर, 2019 को; वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल एवं रिलायंस जियो द्वारा प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों के ‘सेलफोन शुल्क’ व ‘डेटा इस्तेमाल शुल्क’ को 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया।
इसका मतलब है कि 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों को अब 35,561.81 करोड़ रुपया सालाना अतिरिक्त टेलीकॉम कंपनियों को देना होगा (40% of Annual Revenue per customer x 112 Crore = Rs.316.80 x 112 Crore = Rs.35,481.60 Cr + Rs.80.21 Cr of 40% increase in Data Usage Charge = Rs.35,561.81 Cr.)
मोदी सरकार के बाकी बचे 4.5 साल में 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों को अब 1,60,028 करोड़ रु. का अतिरिक्त भुगतान टेलीकॉम कंपनियों को करना पड़ेगा। कैलकुलेशन शीट की कॉपी संलग्नक A2 है।
.सुरजेवाला ने बयान में कहा है कि 23 जनवरी, 2020 को मोदी सरकार ने एक आदेश जारी कर टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ की रिकवरी व कड़ी कार्यवाही को मुल्तवी कर दिया व आदेश दिया कि ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनियों से पैसे के भुगतान का दबाव न डाला जाए और न ही कोई दंडात्मक कार्यवाही की जाए’।
. 14 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया कि टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ रु. की रिकवरी की जाए।
मोदी जी के संयोग व प्रयोग का नतीजाः-
आम मेहनतकश हिंदुस्तानी प्रिपेड सेल फोन ग्राहक है, जिसे वो अपने परिवार, व्यवसाय, रोटी व रोज़गार के लिए इस्तेमाल करता है। 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों के सेलफोन टैरिफ यानि शुल्क को 40 प्रतिशत बढ़वाकर मोदी सरकार ने मेहनतकश लोगों पर 35,561.81 करोड़ रु. का सालाना अतिरिक्त भार डाल दिया है। यानि मोदी जी के 4.5 साल के बचे कार्यकाल में 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों को 1,60,028 करोड़ रु. अतिरिक्त देने होंगे।
मोदी सरकार से देश के सवालः-
1. मोदी सरकार ने 112 करोड़ प्रिपेड सेल फोन ग्राहकों पर 1,60,028 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ डाल उनकी मेहनत की कमाई पर डाका क्यों डाला है?
2. क्या सेल फोन कंपनियों द्वारा सेल फोन टैरिफ (शुल्क) व डेटा यूज़ेज़ चार्ज 40 प्रतिशत तक बढ़ाकर कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले 1,02,000 करोड़ के भुगतान की वसूली की जा रही है?
3. मोदी सरकार द्वारा 23 जनवरी, 2020 के आदेश से टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ रु. की रिकवरी को लंबित करने व मोदी सरकार के कैबिनेट के 29 नवंबर, 2019 के निर्णय से टेलीकॉम कंपनियों का 42,000 करोड़ रुपया की देनदारी को लंबित करने के पीछे क्या राज है?
4. क्या भाजपा सरकार इस असीम कृपा का कारण बताएगी?