कुलतार सिंह संधवां, मीत हेयर और रुपिन्दर कौर रूबी ने पंजाब व केंद्र सरकार को जमकर कोसा
पराली न जलाने वाले किसानों के खेतों में पैदा हो रही फंगस को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए सरकार – ‘आप’ विधायक
चण्डीगढ़, 28 नवंबर, 2019
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने पराली जलाने वाले किसानों पर दर्ज मामले तुरंत खारिज करने की मांग की है।
‘आप’ हैडक्वाटर द्वारा जारी बयान में पार्टी के किसान विंग के प्रधान और विधायक कुलतार सिंह संधवां, मीत हेयर और रुपिन्दर कौर रूबी ने कहा कि राज्य में पराली को आग लगाने के आरोप में हजारों किसानों के विरुद्ध केस दर्ज कर लिए गए हैं, जो सरासर धक्का और एकतरफा कार्यवाही है, जबकि इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारें बराबर की जिम्मेदार हैं।
कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि न तो आम आदमी पार्टी पराली को आग लगाने के हक में है और न ही खुद किसान पराली जलाना चाहता है। पराली को आग लगाना किसान की मजबूरी और बेबसी है, क्योंकि सरकारों ने किसानों की किसी पक्ष से सहायता नहीं की। किसान विरोधी नीतियों के कारण कृषि को घाटे का धंधा किसानों ने नहीं, बल्कि सरकारों ने बनाया है। यदि सरकारें महंगाई की दर मुताबिक फसलों के लाभदायक मूल्य देती होती तो खेती संकट इस कद्र न बढ़ता कि आज किसान प्रति एकड़ 6-7 हजार रुपए खर्च कर पराली का निपटारा करने की गुंजाईश भी गवा बैठा है। मीत हेयर ने कहा कि स्वामीनाथन सिफारिशें लागू करने से भागी सरकार पराली न जलाने के लिए क्या प्रति क्विंटल 200 रुपए का बोनस भी नहीं ऐलान सकती? क्या वातावरण को शुद्ध रखने की जिम्मेदारी सिर्फ किसान की ही है, जो पहले ही कर्ज के कारण आत्महत्याएं करने के लिए मजबूर किया हुआ है।
संधवां, मीत हेयर और रुपिन्दर कौर रूबी ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों को छिक्के पर टांग कर सरकार ने किसानों के विरुद्ध पर्चे दर्ज करने की अंधाधुन्ध मुहिम शुरू कर रखी है, जबकि केंद्र और राज्य सरकारें दिशा-निर्देशों अनुसार किसानों को अपेक्षित मशीनरी और बनती सुविधा और वित्तीय सहायता देने में पूरी तरह फेल और गैर-जिम्मेदार रही हैं।
रुपिन्दर कौर रूबी ने कहा कि ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं कि जिन किसानों ने पराली को आग न लगा कर आधुनिक मशीनरी और भारी खर्च कर पराली को खेत में ही दफन कर दिया है, उन के खेतों में फंगस पैदा हो रही है। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि ऐसे मामले की गंभीरता के साथ पहचान करके तुरंत बनती सहायता और दवाएं किसानों को उपलब्ध करवाई जाएं।