*👉…‘आप’ द्वारा राजधानी में पंजाबी भाषा के लिए लड़ाई लड़ रहे लेखकों, बुद्धिजीवियों और मंचों का समर्थन*
*चंडीगढ़, 1 नवंबर 2020*आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने केंद्र सरकार पर पंंजाब और पंजाबी भाषा के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि मातृ-भाषा के साथ भेदभाव करने में समय-समय की सभी राज्य सरकारों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
रविवार को पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान द्वारा सीनियर नेता व विरोधी धिर के नेता हरपाल सिंह चीमा ने एक नवंबर को चंडीगढ़ के लेखकों, बुद्धिजीवियों और अन्य मंचों द्वारा एक झंडे तले ‘काले दिवस’ का समर्थन करते हुए कहा कि पहली नवंबर 1966 तक चंडीगढ़ के सभी ढाई दर्जन गांवों पर आधारित इलाके की मातृ भाषा निरोल (शुद्ध) पंजाबी थी, परंतु केंद्र सरकार ने बगैर किसी नोटीफिकेशन अंग्रेजी को दफतरी भाषा बना दिया। मातृ-भाषा के खिलाफ ऐसे कदम की भारतीय संविधान भी आज्ञा नहीं देता।
चीमा ने कहा कि पंजाब की कांग्रेसी और अकाली-भाजपा(बादल) सरकारों ने केंद्र में अपनी ही पार्टियों की सरकार होने के बावजूद राजधानी चंडीगढ़ से दूर चंडीगढ़ में पंजाबी भाषा का बनता मान-सम्मान बहाल नहीं करवाया?
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि 2015 में पंजाब विधानसभा में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके केंद्र और पंजाब के राज्यपाल, जो चंडीगढ़(यू.टी.) के प्रशासक भी है, को भेजा था, परंतु उसकी पैरवी नहीं की जबकि उस समय भी केंद्र में अकाली-भाजपा की सरकार थी।
हरपाल सिंह चीमा ने पंजाबी मातृ-भाषा संबंधी कांग्रेस और पिछली बादल सरकार में इतनी हीनता रही है कि पंजाब राज्य भाषा एक्ट अधीन पंजाब की अदालतों में पंजाबी लागू करवाने के लिए आज तक रिक्तियां ही नहीं भरी गईं। पंजाब सरकार की बेरुखी के कारण भाषा पर आधारित बनी प्रथम यूनीवर्सिटी पंजाबी यूनीवर्सिटी पटियाला आर्थिक तौर पर डूबती जा रही है। जबकि भाषा विभाग पंजाब का इस से भी बुरा हाल है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य में 2022 में ‘आप’ की सरकार बनने पर पंजाबी भाषा और पंजाबी संस्थाओं के सम्मान की प्राथमिकता के आधार पर बहाली की जाएगी।