30 दिन, 880 बच्चे, 819 व्यस्क, 1699 परिवारों को ‘ऑपरेशन‘ मुस्कान का तोहफा
हरियाणा पुलिस की इस नेक मुहिम को सफल बनाने में जिला पुलिस सहित स्टेट क्राइम ब्रांच की 22 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने अहम योगदान दिया है।
पुलिस महानिदेशक हरियाणा श्री प्रशांत कुमार अग्रवाल के निर्देश पर पुलिस द्वारा गुमशुदा बच्चों का पता लगाकर उन्हें उनके परिजनों से मिलाने के लिए ऑपरेशन मुस्कान की शुरुआत 1 अप्रैल 2023 से की गई थी। इसके तहत गुमशुदा बच्चों सहित बाल मजदूरी एवं भीख मांगने के कार्य में संलिप्त बच्चों को रेस्क्यू करने के भी निर्देश दिए हुए थे।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि एक महीने से चल रहे इस ऑपरेशन में सभी जिलों में नोडल अधिकारी के तौर पर पुलिस उप अधीक्षकों को जिम्मेदारी दी गई थी। नोडल अधिकारियों की देख रेख में पुलिस टीम, सभी थाना प्रबंधक, पुलिस चौकी व अपराध शाखाओं के प्रभारियों को निर्देश दिए गए थे कि वे सभी आमजन से बेहतर तालमेल बनाते हुए मानव तस्करी करने वालों, बाल गृहों, बाल मजदूरी करवाने वालों, महिलाओं से अनैतिक कार्य करवाने वालों व अन्य किसी भी प्रकार का शोषण करने वालों के बारे में सभी जानकारी एकत्रित करें। एक महीने तक चले इस स्पेशल ऑपरेशन के जिला पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स के संयुक्त प्रयासों से 880 बच्चों को उनके घर तक पहुँचाया गया जिनमें से जिला पुलिस द्वारा 774 बच्चे और एएचटीयू टीम द्वारा 106 बच्चों को उनके परिवार तक सुरक्षित पहुँचाया गया। इसके अलावा जिला पुलिस और एएचटीयू टीम द्वारा 819 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया गया। इनमें से कई गुमशुदा काफी लम्बे समय से घर से लापता थे और अधिकतर केस में परिवार वाले आस खो चुके थे कि कभी अपने घर के सदस्य को देख पाएंगे लेकिन प्रदेश पुलिस के प्रयासों से ऐसा मुमकिन हो सका।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने में गुरुग्राम जिला सबसे आगे रहा। एक महीने चले इस ऑपरेशन मुस्कान में गुरुग्राम ने 173 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया। वहीं फरीदाबाद ने 143 बच्चे, कुरुक्षेत्र ने 60, भिवानी ने 45, पानीपत ने 43 और रेवाड़ी ने 38 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाया। इसके अतिरिक्त रेलवे पुलिस का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय रहा और उन्होंने 53 बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की। जानकारी देते हुए बताया कि वयस्कों में फरीदाबाद और पानीपत ने संयुक्त तौर पर पहला स्थान प्राप्त किया। दोनों ही जिलों ने 81-81 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया। इसके अतिरिक्त करनाल ने 69 व्यस्क, गुरूग्राम ने 62 व्यस्क, रोहतक ने 56, भिवानी ने 44 और रेवाड़ी ने 34 वयस्कों को उनके परिवार से मिलवाया।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे परिवार को सहारा देने के लिए या थोड़े से पैसे के लालच में मजदूरी करने लग जाते है। ऑपरेशन मुस्कान में भी इस बात का ध्यान रखा गया था कि नाबालिग सस्ते मजदूर के तौर पर आराम से उपलब्ध हो जाते है। इस मुद्दे पर संवेदनशील होते हुए पुलिस ने इस बात का ध्यान रखा कि ना सिर्फ बच्चों को मजदूरी से रेस्क्यू किए जाए बल्कि बच्चों का पुनर्वास भी किया जाए ताकि बच्चे दोबारा बच्चे मजदूरी में ना आएं। जिला पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स ने संयुक्त तौर पर 722 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया। इसके अलावा 405 को भीख मांगने जैसे कार्य से मुक्ति दिलाई गई। बाल मजदूरी से मुक्ति दिलवाने में एएचटीयू पलवल टीम सबसे आगे रही। पलवल टीम ने 45 बच्चे, पानीपत ने 35 और करनाल ने 30 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति दिलवाई।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन मुस्कान की शुरुआत में ही अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह आईपीएस ने सभी जिलों और एएचटीयू यूनिटों को निर्देश दिए थे कि अपने क्षेत्र के सभी शेल्टर होम का मुआयना जरूर करें। गुमशुदा बच्चों से बातचीत जरूर करें और उनकी कॉउंसिलिंग बार बार करें ताकि बच्चों की पहचान के बारे में पता लगाया जा सके। कई बार बच्चों से भावनात्मक रिश्ता बनाने से भी उनके मन की बातें बाहर आ जाती है और उनका परिवार ढूंढने में आसानी हो जाती है। इसी निर्देश पर काम करते हुए जिला पुलिस ने 333 शेल्टर होम और एएचटीयू टीम ने 156 शेल्टर होम का मुआयना किया। इसका अर्थ है की प्रदेश पुलिस प्रतिदिन करीब 16 से अधिक शेल्टर होम का मुआयना कर रही थी। इसी मेहनत का परिणाम रहा कि प्रदेश पुलिस को इस स्तर की सफलता मिली है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, अपराध ने बताया कि ऑपरेशन मुस्कान को कामयाब बनाने में प्रदेश पुलिस, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के अलावा सामाजिक कल्याण विभाग, जिलों के एनजीओ और आमजन का सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त प्रदेश के व्यापारी समूहों का भी काफी सहयोग मिला और उन्होंने भी वादा किया कि किसी भी मजदूर को रखते हुए उसकी उम्र का अवश्य ख्याल रखें। आधार कार्ड से उसकी उम्र का मिलान अवश्य करें। इसके अलावा आमजन से अपील की जाती है कि यदि गुमशुदा/बंधक/शोषित व्यक्तियों/महिलाओं व बच्चों के सम्बन्ध में किसी प्रकार की जानकारी मिलती है तो उसकी सूचना तुरन्त पुलिस को डायल 112 नम्बर पर दे और उनके परिजनों की मुस्कान लौटाने में पुलिस को पूर्ण सहयोग करें। जिला पुलिस एवं स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट साल भर इस दिशा में गंभीर प्रयास करती रहेगी।