चंडीगढ़ 10 मई ( विश्व वार्ता)-हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा कुमारी शैलजा और वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने जो नया फरमान जारी किया है उसके अनुसार आधी जमीन पर धान की खेती नहीं हो पाएगी और यदि इस फरमान को लागू किया जाता है तो लगभग दो लाख किसान प्रभावित होगा और उसकी रोजी-रोटी चली जाएगी। सरकार को चाहिए कि वह अन्य फसलों पर इस प्रकार का प्रोत्साहन दे की किसान स्वयं ही धान की खेती से अधिक लाभदायक अन्य खेती को समझने लग जाए। श्री सुरजेवाला ने तो यह भी आरोप लगाया की हरियाणा की खट्टर सरकार देश की ऐसी पहली सरकार है जिसने चल रही नहर को बंद कर दिया हो। बाकी सरकारें तो नहरें बनाने में विश्वास रखती हैं परंतु यहां दादू-नलवी नहर प्रोजेक्ट को ही बंद कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार के ‘मेरा जल, मेरी विरासत’ स्कीम के नाम से जारी किए गए हुक्मनामे की शर्तें हैं कि प्रदेश के 19 ब्लॉक्स में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। इनमें से 8 ब्लॉक्स विशेषतः चिन्हित किए गए हैं – सीवन व गुहला (जिला कैथल), पीपली, शाहबाद, बबैन, इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र), रतिया (जिला फतेहाबाद) व सिरसा (जिला सिरसा)। कुल चिन्हित की गई भूमि 1,79,951 हेक्टेयर या 4,44,667 एकड़ है, जिसमें से 50 प्रतिशत पर यानि 2,22,334 एकड़ पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। उपरोक्त 19 ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की, तो किसान को सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा। प्रदेश के 26 ब्लॉक में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। इसमें से 18 ब्लॉक सरकार द्वारा जारी की गई 23अप्रैल, 2020 की चिट्ठी व 9 मई, 2020 के इश्तिहार में चिन्हित कर दिए गए हैं – असंध (जिला करनाल), पुंडरी, सीवन, गुहला (जिला कैथल), नरवाना (जिला जींद), थानेसर, बबैन, शाहबाद, पेहवा, पीपली, इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र), अंबाला-1, साहा (जिला अंबाला), रादौर (जिला यमुनानगर), गन्नौर (जिला सोनपत), रतिया, फतेहाबाद (जिला फतेहाबाद), सिरसा (जिला सिरसा)।
उन्होंने कहा कि पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक चिन्हित कर शुरू की थी। 7 चिन्हित किए गए ब्लॉक थे – असंध, पुंडरी, नरवाना, थानेसर, अंबाला-1, रादौर व गन्नौर। इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु। प्रति एकड़ कैश, 766 रु। प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई।
खट्टर सरकार के बदलते बोल, बदलते रंग व अजब कहानी देखिए। ‘जल ही जीवन’ स्कीम में चिन्हित 7 ब्लॉक छोड़कर तथा नाम बदलकर ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ के नाम से एक नई स्कीम 19 नए ब्लॉक में चालू कर दी। आज तक यह बताया ही नहीं कि पिछली स्कीम का क्या हुआ व 1,37,000 एकड़ में से कितनी भूमि धान से मक्का में तब्दील हुई। और नई स्कीम लागू करने का तरीका तो पूरी तरह निर्दयतापूर्ण, तानाशाही व गैरकानूनी है।
भूजल का संरक्षण आवश्यक है पर भूजल संरक्षण के नाम पर किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। वो भी एक ऐसी खट्टर सरकार के द्वारा जिन्होंने बनी बनाई ‘दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना’ की भी तालाबंदी कर दी तथा पूरे उत्तरी हरियाणा के किसान को न भरपाई होने वाला नुकसान पहुंचाया। एक तरफ तो खट्टर सरकार 400 करोड़ से अधिक लागत से बनी दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करती है, तो दूसरी ओर गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीनती है। यह अपने आप में किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है।
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा-जजपा सरकार से इन विषयों पर जवाब माँगा है। इस के साथ ही हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने आयल मिलर व आढ़तियों से बातचीत करने के उपरांत कहा कि एक तरफ तो सरकार उद्योगों को चलाने की बात कर रही है दूसरी तरफ आयल मिल जो मंडियों व पड़ोसी राज्यों से सरसों खरीद करते थे उस पर रोक लगाकर आयल उद्योगों को बंद करने पर तुली हुई है।
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