सरदार परकाश सिंह बादल ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की: प्रधानमंत्री से सदभावना के तौर पर व्यक्तिगत रूप से श्री दर्शन धालीवाल को आमंत्रित करने की अपील की
कहा कि किसानों को लंगर परोसने के लिए प्रवेश से इंकार करना परंपरा के खिलाफ
कृषि पर अपना ‘‘एजेंडा ’’स्पष्ट किया
चंडीगढ़/26अक्टूबर: पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके सरदार परकाश सिंह बादल ने आईजीआई एयरपोर्ट अधिकारियों द्वारा श्री दर्शन सिंह धालीवाल को भारत में प्रवेश से इंकार कर वापिस अमेरिका भेजने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वे इस तरह के अन्याय के लिए तुरंत ‘‘ व्यक्तिगत और प्रभावी ढ़ंग से हस्तक्षेप ’’ करें।
सरदार बादल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे श्री दर्शन सिंह धालीवाल को सदभावना के रूप में आमंत्रित करें जिससे ‘‘ प्रवासी भारतीयों को एक बड़ा सकारात्मक संकेत मिलेगा’’।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कृषि के लिए एक एजेंडा स्पष्ट किया, जिसमें अन्य बातों के साथ साथ तीनों काले कानूनों को रदद करना, उन्हे प्रभावित करने वाले किसी भी कानून से पहले हितधारकों को बोर्ड में लेकर जाना, खेती नीतियों पर सरकार को सलाह देने के लिए किसानों और कृषि विशेषज्ञ के साथ एक पैनल बनाना और न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ सुनिश्चित विपणन के लिए फसलों की सूची का विस्तार करना शामिल है।
श्री धालीवाल को 23-24 अक्टूबर की रात को आईजीआई हवाई-अडडे से अधिकारियों ने यह कहते हुए वापिस भेज दिया कि यह दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करने वाले किसानों के लिए लंगर परोसने के लिए सजा के रूप में किया जा रहा है। उन्होने इसे ‘‘ महान गुरु साहिबान द्वारा शुरू की गई लंगर की पवित्र प्रथा’’ का अपमान बताया। सरदार बादल ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें ‘‘ जिन्होने ‘‘ यह कार्रवाई करके देश का नाम खराब किया’’।
श्री धालीवाल जो अपनी पत्नी के साथ एक परिवार में शादी में भाग लेने के लिए भारत आ रहे थे, को ‘‘ किसानों का समर्थन करने यां देश में प्रवेश करने’ के बीच एक चुनने के लिए कहा गया । उन्हे विशेष रूप से कहा गया कि अगर वह अपने देश वापिस आना चाहते हैं तो किसानों को लंगर बर्ताना बंद करें।
सरदार बादल ने कहा कि लंगर जैसे पवित्र सामाजिक -धार्मिक कार्य को आयोजित करना हमेशा सिख धर्म के प्रत्येक अनुयायी के लिए सर्वोच्च है, और महान कर्तव्यों में से एक माना जाता रहा है। ‘‘ देश के ‘‘अन्नदाता’’ (अनाज उगाने वाले) के लिए ऐसे कार्य को दंडित करने के बजाय अनुकरणीय बनाने की जरूरत है।
किसानों के चल रहे आंदोलन को ‘‘ राष्ट्रीय आंदोलन’’ बताते हुए सरदार बादल ने कहा कि इस सभ्य , शातिपूर्ण, लोकतांत्रिक आंदोलन में भाग लेने वालों की मदद करना गलत यां गैरकानूनी नही है।
कृषि के लिए अपने एजेंडे का ब्यौरा देते हुए सरदार बादल ने कहा कि किसानों को प्रभावित करने वाले किसी भी कानून, नीति यां प्रशासनिक निर्णय को हितधारकों को बोर्ड में लेने के बाद ही किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि किसानों को अपने भाग्य को प्रभावित करने वाले मुददों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रभावी ढ़ंग से शामिल किया जाना चाहिए। ‘‘ इसके लिए मेरा सुझाव है कि सरकार को एक वैधानिक पैनल का गठन करना चाहिए, जिसमें किसानों, कृषि प्रतिनिधियों को किसानों और किसानों पर सरकारी नीति तैयार करने के लिए समान प्रतिनिधित्व प्राप्त होना चाहिए ’’।