सरदारनी हरसिमरत कौर बादल द्वारा श्री करतारपुर साहिब को भारत में शामिल करने के लिए भारत-पाक जमीन अदला बदली के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह :उदाहरण का हवाला देते हुए
बार्डर से लगते सभी पाकिस्तानी धार्मिक स्थलों को लिंक करने के लिए ‘‘ स्थायी शांति कॉरिडोर’’की पैरवी की जो श्रद्धालुओं की पहुंच में हो
‘‘करतारपुर साहिब कॉरिडोर को तुरंत फिर से खोलने ’’ के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की
चंडीगढ़/09नवंबर: पाकिस्तान के साथ करतारपुर साहिब कॉरिडोर को तुरंत फिर से खोलने की अपील करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदारनी हरसिमरत कौर बादल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुसैनीवाल गावं अदला-बदली की तर्ज पर कही, और जमीन का उपयुक्त हिस्सा देने के बदले भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन की अदला बदली के प्रस्ताव को खोलने के लिए व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
सरदारनी बादल ने प्रधानमंत्री से पाकिस्तान में सभी बहु आस्था वाले पवित्र धार्मिक स्थलों को भारत पाक सीमा से जोड़ने के लिए‘‘ स्थायी शांति कॉरिडोर’’ बनाने के लिए कूटनीतिक पहल करने का भी आग्रह किया। उन्होने कहा , ‘‘ यह पवित्र सिख अरदास को पूरा करने ‘‘ खूले दर्शन दीदार तथा सेवा संभाल’’ (निर्बाध पहुंच और गुरु की सेवा करने का अधिकार) की दिशा में पहला कदम होगा, क्योंकि 1947 में सभी धार्मिक स्थल सिखों से दूर हो गए थे’’।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने दो पन्नों के पत्र में सरदारनी बादल ने याद किया कि करतारपुर साहिब को भारत में लाने के लिए जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव सबसे पहले 1948 में अकाली दल द्वारा प्रस्तुत किया गया था। वास्तव में, 1969 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फरक्का बांध के संबंध में शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह जी के साथ साथ भारत और बांग्लादेश के शहादत स्थल के संबंध में फिरोजपुर क्षेत्र में पहले जिस तर्ज पर दोनों देशों में आदान प्रदान के लिए पाकिस्तान सरकार से औपचारिक रूप से संपर्क करने पर सहमति व्यक्त की थी’’।
सरदारनी बादल ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस प्रस्ताव को पाकिस्तान सरकार तथा पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी खारिज कर दिया था। उन्होने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध लाहौर बस यात्रा और उनके पाक समकक्ष नवाज शरीफ के साथ उनकी मीटिंगों के दौरान यह मुददा फिर से चर्चा में आया। ‘‘ यह पंजाब की तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल के कहने पर हुआ था’’।
सरदारनी बादल ने अकाली नेता स्वर्गीय जत्थेदार कुलदीप सिंह वडाला द्वारा किए गए बलिदानों और योगदान की सराहना की, जिन्होने दशकों से श्री करतारपुर साहिब के पास भारत पाक सीमा पर विरोध और जागरूकता कैंडल मार्च का आयोजन किया। सरदार वडाला ने पाक अधिकारियों द्वारा करतारपुर साहिब क्षेत्र की घोर उपेक्षा के बारे में प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप पवित्र तीर्थ स्थल की अचल संपत्ति को अन्य लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया था। यह पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल के लगातार प्रयासों के बाद ही भारत और पाकिस्तान की सरकारें आखिरकार 1998 में इस संबंध में सिख मांग पर विचार करने के लिए राजी हो गई, जब तत्कालीन पंजाब (भारत) के मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल ने तत्कालीन श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को अपनेे पाकिस्तानी समकक्ष के साथ इस मुददे को उठाने के लिए सफलतापूर्वक राजी कर लिया । प्रसिद्ध लाहौर बस यात्रा शुरू की गई। सरदार बादल के प्रयासों के फलस्वरूप वाजपेयी-शरीफ की सूझबूझ के कारण करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए आपसी सहमति बनी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को याद दिलाते हुए कि ऐतिहासिक करतारपुर साहिब कॉरिडोर को पूरा करने और उसका उदघाटन करने के लिए उन्होने कैसे पहले पहलकदमी की सफलता उन्हे मिली थी। सरदारनी बादल ने कहा कि ‘‘ यह दुनिया में शांति और समझ के लिए आपके सबसे प्रतिष्ठित योगदानों के लिए जाना जाएगा। उन्होने श्री मोदी द्वारा करतारपुर कॉरिडोर को बर्लिन की दीवार को गिराने से तुलना करते हुए कहा ‘‘ जर्मनी में बर्लिन की दीवार गिर गई, लेकिन सिखों के लिए बर्लिन की दीवार अभी भी भारत पाक सीमा पर बनी हुई है’’।
सरदारनी बादल ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खोलने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया, पाक सरकार के साथ इस पवित्र भूमि अदला बदली के माध्यम से भारत में शामिल करने के प्रस्ताव को उठाने का आग्रह किया। ‘‘ शांति गलियारा पाकिस्तान के सभी ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को दुनिया भर के श्रद्धालुओं , विशेष रूप से भारत से आने वाले लोगों तक पहुंच प्रदान करने के लिए तैयार किया जाए ’’।