राज्यपाल को लिखा कि उसे अपने आवास पर आने से शिरोमणी अकाली दल के विधायकों को रोकने के लिए दमनकारी तरीकों का इस्तेमाल करने की सूचना दी तथा जांच की मांग की
कहा कि कांग्रेस सरकार ने लोगों के गुस्से का सामना करने से दूर भागने के लिए कोविड महामारी का इस्तेमाल किया
कहा कि जहरीली शराब त्रासदी 5600 करोड़ रूपये शराब घोटाला, रेत माफिया, अग्रिम पंक्ति के यौद्धाओं की दुर्दशा, 69करोड़ रूपये की अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति की लूट, मनरेगा फंडों का गबन और अन्य मुददों के अलावा सरकारी कर्मचारियों के प्रति भेदभाव के लिए चर्चा के लिए विधानसभा का सत्र फिर बुलाया जाए
चंडीगढ़/28अगस्त (विश्ववार्ता): शिरोमणी अकाली दल के विधायक दल ने आज पंजाब के राज्यपाल श्री वी पी सिंह बदनौर से आग्रह किया है कि वह कांग्रेस सरकार को राज्य के ज्वलंत मुददों पर चर्चा के लिए अगले महीने विधानसभा का सत्र फिर से बुलाने का निर्देश दें। उन्होने कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी को बहाने का इस्तेमाल लोगों के गुस्से का सामना करने के बजाय भागने के लिए किया है।
राज्यपाल को लिखे एक पत्र में शरनजीत सिंह ढ़िल्लों के साथ साथ अन्य शिरोमणी अकाली विधायकों ने कहा कि यह हस्तक्षेप जरूरी है क्योंकि राज्य में संसदीय प्रक्रिया पूरी तरह से टूट गई हैं और कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र का मजाक बनाने से रोकने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाने की जरूरत है।
विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस सरकार के दमनकारी हथकंडों को भी राज्यपाल के ध्यान में लाया, जिसमें चंडीगढ़ पुलिस से विपक्षी विधायकों के आवासों को घेरने के लिए कहा ताकि वे अपने घरों से बाहर न निकल सकें। उन्होने कहा कि राज्य के इतिहास में पहले कभी भी निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस तरीके से नही रोका गया है। उन्होने राज्यपाल से यह भी आग्रह किया कि वे विधायकों की इस जबरन घर में गिरफ्तारी की जांच के आदेश दें।
विधायक दल ने राज्यपाल से कहा कि विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है और किसी भी सरकार को ऐस किसी भी अधिनियम में लिप्त होने की जिससे इस महत्वपूर्ण संस्था की पवित्रता नष्ट करने की अनुमति नही दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस सरकार द्वारा आज अपने सवैंधानिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए बुलाया गया एक घंटे का सत्र लोकतंत्र की भावना के साथ साथ संसदीय प्रक्रियाओं के भी खिलाफ था। विधायकों ने कहा कि अन्य राज्यों की विधानसभाओं के साथ साथ संसद को दो सप्ताह की अवधि के लिए बुलाया जा रहा है और पंजाब विधानसभा को अगले महीने फिर से बुलाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द राज्य को उचित निर्देश दिए जाने चाहिए।
स्पीकार राणा के पी सिंह की पिक एंड चुज पॉलिसी के बारे में बोलते हुए विधायकों ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने जानबूझकर विधायकों को एक घंटे के सत्र में भाग लेने के लिए अयोग्य करार दिया था। यदि कोविड-19 पॉजिटिव विधायकों के साथ संपर्क करने के लिए एकमात्र मापदंड है जैसा कि स्पीकार द्वारा कहा यगा है तो स्पीकर के लिए भी यही नियम लागू होता है जोकि कांग्रेस के विधायक जो उनके सहयोगियों के संपर्क मं थे जिनका कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आई है वे भी सत्र में भाग लेने के लिए अयोग्य करार होने चाहिए। कोविड-19 महामारी को सरकार द्वारा एक बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि सरकार सदन का सामना करने से भाग सके। उन्होने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल के महत्वपूर्ण पद का दुरूपयोग किया ।
पत्र में कहा गया है कि शिरोमणी अकाली दल के विधायक दल ने कल विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया और उन्हे सूचित किया कि उनके सदस्यों ने पूरी तरह से एहतियात बरतने के बाद दल की मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग में शामिल हुए अन्य सभी विधायकों में विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट मिली। हमने स्पीकर को रैपिड टेस्टिंग किट के लिए हमें टेस्ट करने की भी पेशकश की थी। इस स्थिति को देखकर हमें उम्मीद थी कि यदि विपक्ष उनके द्वारा प्रोटोकॉल के अनुसार इसमें शामिल नही हो पाया तो स्पीकार प्रोटोकॉल के अनुसार तर्कसंगत निर्णय लेगें और आज का विधानसभा का सत्र रदद कर देंगे। हालांकि हम इस बात से स्तब्ध है कि स्पीकर ने यह जाने के बावजूद कि विपक्ष इसमें शामिल नही हो पाएगा यह फैसला लिया। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस सरकार प्रदेश की जनता की समस्याओं पर चर्चा करने से भाग रही है और उनकी कठिनाईयों से बेखबर है।
विधायकों ने राज्यपाल को अवगत कराया कि पंजाब के भविष्य के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह सप्ताह से तीन सप्ताह का सत्र बुलाएं ताकि महत्वपूर्ण मुददे जैसे की राजनैता-पुलिस मिलीभगत जिससे राज्य के खजाने को 5600 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ, जहरीली शराब त्रासदी जिसमें 150 लोंगों की जाने गई। ‘ इसी तरह कांग्रेस विधायकों पर भी राज्य में रेत माफिया चलाने का आरोप है जिसका हाईकोर्ट ने भी नोटिस लिया है तथा जिसकी सीबीआई से जांच के आदेश दिए हैं।
विधायकों ने कहा कि वे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित अग्रिम पक्ंित के यौद्धाओं को वेतन न मिलने, कुछ निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों की दुर्दशा और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की लीडरशीप में मिशन फतेह के पूरी तरह विफल रहने का मुददा उठाना चाहते हैं। उन्होने कहा कि अनुसूचित जाति/पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत द्वारा अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के लिए बनी 69 करोड़ रूपये की केंद्रीय धन की खुली लूट पर भी चर्चा करना चाहते हैं, इसके अलावा सरकार के 50,000 नौकरियों को समाप्त करने के फैसले का विरोध करने और सरकारी कर्मचारियों को 4000 करोड़ रूपये का मंहगाई भत्ता नही देने का विरोध करते हैं। हम उन स्कूली बच्चों की दुर्दशा की ओर भी ध्यान दिलाना चाहते थे जो मनरेगा फंड के गबन के अलावा अपने माता पिता की आजीविका खोने के कारण प्राईवेट स्कूलों की फीसें भरने में असमर्थ हैं।
उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल ने उन प्रस्तावों को भी पेश किया था कि पंजाब सरकार किसी भी निर्णय यां समाधान के लिए सहमत नही होगी जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य रिपेरियन सिद्धांत का उल्लंघन करता है, इसके अलावा जहरीली शराब त्रासदी में पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग करने वाले प्रस्तावों के अलावा राज्य में शराब के अवैध कारोबार की हाईकोर्ट द्वारा यां सीबीआई जांच का आदेश दे।