शिरोमणी अकाली दल ने उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के खिलाफ जेसीटी इलेक्ट्रानिक्स परिसमापन घोटाले में आपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग की
कहा कि घोटाले की सीबीआई जांच यां उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराई जानी चाहिए: सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया
चंडीगढ़/27जुलाई: शिरोमणी अकाली दल ने आज उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के खिलाफ एक मोहाली में एक निजी रियाल्टर जेसीटी इलेक्ट्रानिक्स लिकवीडेशन घोटाले में 31 एकड़ प्रमुख जमीन की बिक्री की अध्यक्षता कर सरकारी खजाने को 400 करोड़ रूपये का नुकसान कराने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है।
इस बात पर जोर देते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि इतना बड़ा घोटाला मंत्री की सक्रिय सहमति से ही संभव है, केवल सीबीआई जांच यां उच्च न्यायालय की निगरानी में की गई जांच ही इस घोटाले को उजागर कर सकती है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार का खुला मामला है जोकि बंद कर दिया गया। उन्होने कहा कि मंत्री के अलावा आपराधिक लापरवाही बरतने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को तुरंत बर्खास्त कर मामले में सच्चाई का पता लगाया जाना चाहिए।
सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि पीएसआईईसी ने 161करोड़ रूपये के अनर्जित लाभ का दावा नही किया है। उन्होेने कहा कि पीएसआईईसी 90.56 करोड़ रूपये की कम लागत पर लीज की जमीन को बेचने पर सहमत हुआ, जिसमें से निगम को केवल पचास फीसदी मिलेगा जोकि 45 करोड़ रूपये है।
यह बताते हुए कि पीएसआईईसी ने जेसीटी इलेक्ट्रानिक्स के परिसमाप्न के लिए सही प्रक्रिया नही अपनाई है, कहते हुए कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक निजी वकील को निगम द्वारा उद्योग मंत्री के साथी के लिए उपयुक्त सिफारिश करने के लिए लगाया गया था। उन्होने कहा कि पीएसआईईसी ने सिफारिश की कि सरकार, वकील की सिफारिशों को स्वीकार करें, भले ही मूल विभाग- पंजाब इंफोटेक ने बिक्री पर आपत्ति जताई हो।
सरदार मजीठिया ने कहा कि पीएसआईईसी ने संपत्ति को आॅफलोट करने की जल्दबाजी में वित्त विभाग से भी मंजूरी नही ली। उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार के पैमाने को इस तथ्य से मापा जा सकता है कि 30 हजार रूपये प्रति वर्ग गज के बाजार मूल्य के खिलाफ पीएसआईईसी ने जेसीटी इलेक्ट्रानिक्स लीज को 5000 रूपये प्रति गज की दर से आॅफलोड करने की सिफारिश की ।
अकाली नेता ने कहा कि पीएसआईईसी ने भी पूरे मामले को एक आपात रंग दिया गया, जिसमें कहा गया कि जीआरजी डेवलपर्स द्वारा पेश किए गए सौदे को स्वीकार्य करना वित्तीय निगम के हित में हैं। उन्होने कहा कि पंजाब इंफोटेक द्वारा उठाई गई आपत्ति के बावजूद ऐसा किया गया, जिसने अपनी मंजूरी नही दी और यहां तक कि इस मामले को राज्य सरकार द्वारा कानूनी राय के लिए भेजे जाने का सुझाव दिया, ‘‘ पंजाब इंफोटेक ने सुझाव दिया कि वित्त विभाग का दृष्टिकोण अपनाया जाए, लेकिन इस सुझाव को भी नजरअंदाज कर दिया गया’’।
अकाली नेता ने कहा कि इस अवधि के दौरान छुटटी पर गए वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति में लीज को आॅफलोड करने का फैसला किया गया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पीएसआईईसी उद्योग मंत्री के दबाव में हैं। उन्होने इस मामले की जांच की मांग की और पीएसआईईसी के निदेशक मंडल पर स्थापित सरकारी प्रथाओं के उल्लंघन में प्रस्ताव को मंजूरी देने के दबाव की भी जांच की।