विजीलैंस ने ‘गोल्डन प्रोजेक्टस’ फर्म के भगोड़े डायरैक्टर का निकाला सुराग, 20 वर्षों से गिरफ्तारी से बचते आ रहे भगोड़े को किया गिरफ्तार
( अदालत ने निवेशकों को धोखा देने संबंधी केस में घोषित किया था भगौड़ा)
चंडीगढ़, 20 नवंबर:पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने 2002 से भगौड़े चले आ रहे ‘गोल्डन प्रोजैक्ट प्राईवेट लिमटिड’ झरमड़ी, तहसील डेराबस्सी के फर्म के दोषी डायरैक्टरों में से एक विनोद महाजन को गिरफ़्तार कर लिया है।
यह जानकारी देते हुये आज यहाँ राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि उक्त ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था को 1996 में चार डायरैक्टरों द्वारा सरकार के पास एक फर्म के तौर पर रजिस्टर किया गया था, जिसमें पंचकुला से राकेश कांत सिआल, उनकी पत्नी बिमला सिआल, श्रीमती रुमिला सिन्हा निवासी पंचकुला और विनोद महाजन निवासी गाँव आरिफवाला, कपूरथला, जोकि अब पंचकुला में रह रहें, शामिल थे।
इस संबंधी और जानकारी देते हुये प्रवक्ता ने बताया कि उक्त डायरैक्टरों ने उक्त ज़मीन की मालकी देने के लिए निवेशकों को झाँसा देकर जि़ला रूपनगर की तहसील नूरपुर बेदी में 530 एकड़ कृषि योग्य ज़मीन खऱीदी थी। इसके इलावा उपरोक्त मुलजिमों ने निवेशकों से वसूले गए पैसों के बदले उनको अच्छा पैसा देने का भरोसा भी दिया था।
उन्होंने आगे कहा कि दोषी डायरैक्टरों ने उक्त ज़मीन का ना तो विकास किया और ना ही निवेशकों को मालकी के अधिकार दिए। इसके इलावा, निवेशकों को उनके साथ हुए समझौतों में यकीनी तौर पर पोस्ट डेटिड चैक नहीं दिए गए।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस सम्बन्ध में उक्त कंपनी के चारों डायरैक्टरों के खि़लाफ़ आई. पी. सी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट की धारा 7 (2), 13( 1), 13(2) के अंतर्गत विजीलैंस ब्यूरों के थाना पटियाला में केस दर्ज किया हुआ है।
उन्होंने बताया कि उक्त दोषी विनोद महाजन को माननीय अदालत की तरफ से साल 2002 में भगौड़ा करार दिया गया था और तभी से वह गिरफ़्तारी से बच रहा था। मुलजिम को अदालत में पेश किया जायेगा और इस मामले की आगे जांच जारी है।
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