कहा कि रोटी है तो जान भी है तथा जहान भी
पूर्व मुख्यमंत्री ने कोरोना के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन की भावना के साथ लड़ने का आह्वाहन दिया
लॉकडाउन के बुरे प्रभावों से निपटने के लिए तीन दिशाई रणनीति की सिफारिश की
कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर जाने के लिए सुरक्षित मार्ग दिया जाए
चंडीगढ़/15अप्रैलः पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके सरदार परकाश सिंह बादल ने आज कहा कि देश भर में किया लॉकडान एक सही दवा है, पर इसके दुष्प्रभाव दुखदायी हैं, जिनकी और तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता देने की जरूरत है ताकि कहीं यह बीमारी से भी खतरनाक न बन जाए। उन्होने कहा कि इन दुष्प्रभावों से सबसे ज्यादा गरीब खासतौर पर दिहाड़ीदार प्रभावित हुए हैं, जिनकी तत्काल देखभाल की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि चाहे बाकी कम आय वाले ग्रुप भी ज्यादा पीछे नही हैं। उन्होने कहा कि अब तो मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इन बुरे प्रभावों से निपटना कठिन होना शुरू हो गया है।
सरदार बादल ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए उसी भावना की आवश्यकता है, जिस तरह की भावना लोगों में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दिखाई दी थी, क्योंकि यह भी प्रत्येक नागरिक के लिए स्वतंत्रता आंदोलन जैसी ही एक गंभीर चुनौती है।
सरदार बादल ने उन लोगों द्वारा दिखाई राष्ट्रीय जिम्मेदारी की भावना की सराहना की, जिन्होने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा कही गई हर बात का पूरी जिम्मेदारी से पालन किया है। उन्होने कहा कि लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। अब सरकार की बारी है कि वह लोगों की तकलीफों की तरफ पूरा तरह ध्यान दे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस महामारी पर ध्यान केंद्रित होने के बावजूद पुरानी बीमारियों से पीड़ित आम लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई कमी नही आने दी जाएगी।
भूखमरी, गरीबी, बेरोजगारी तथा आर्थिक मंदी को इस महामारी के तीन तत्काल,मध्यावधि तथा दूरगामी प्रभाव करार देते हुए सरदार बादल ने इन तीनों का मुकाबला करने के लिए ठोस रणनीति बनाने के लिए कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आज घोषित पाबंदियों पर छूट देने की शर्तों का स्वागत किया, पर साथ ही लोगों खासतौर पर किसानों, खेत मजदूरों तथा अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों से अतिरिक्त सावधान रहने तथा सरकार द्वारा दिशा निर्देश का पालन तथा सम्मान करने का अनुरोध किया। उन्होने कहा कि तुम्हारी तथा तुम्हारे परिवार की जिंदगीयां दाव पर लगी हैं।
सरदार बादल ने कहा कि वह महामारी के खिलाफ लड़ने वाले उन यौद्धाओं खासतौर पर डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, पुलिस तथा सिविल प्रशासन को सलाम करते हैं, जो युद्ध के मैदान में खड़े होकर अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं जबकि हम अपने घरों में बैठे हैं। उन्होने कहा कि वो बहुत बड़े सम्मान तथा कृतज्ञता के हकदार हैं।
यहां जारी किए एक बयान में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है। उन्होने कहा कि परंतु गरीबों के लिए बिना आय के 6 सप्ताह गुजारा करना बहुत कठिन है, खासतौर पर उन हालातों में जब उन्हे घर बैठे राशन की सप्लाई न मिलती हो। उन्होने कहा कि आम हालातों में भी गरीबों को कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, हममें से बहुतों को तो इसका पता तक नही हैं परंतु अब तो उनकी हालत बहुत ही ज्यादा दयनीय है, जिसकी तरफ राष्ट्र को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बाकी सभी चीजें इंतजार कर सकती हैं।
सरदार बादल ने कहा कि सरकारी मशीनरी को गरीबों तक राशन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पहुंचाने के काम में तेजी लानी चाहिए। प्रधानमंत्री के नारे ‘जान है तो जहान भी’ का हवाला देते हुए सरदार बादल ने कहा कि रोटी है तो जान भी है जहान भी।
सरदार बादल ने कहा कि सरकारों को इस कठिन समय में अपने परिवारों समेत घरों में बंद हुए बैठे लोगों की प्राकृतिक जरूरतों को समझना चाहिए। सरकारों को प्रवासी मजदूरों को वापिस अपने घरों में जाने के लिए यात्रा का सुरक्षित साधन प्रदान करना चाहिए।
सरदार बादल ने बेरोजगारी से लड़ाई को एक बेहद आवश्यक योजना करार दिया। उन्होने कहा कि उन्हे विश्वास है कि प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को दोबारा पैरों पर खड़ा करने के लिए शीर्ष अर्थशास्त्रियों और हितधारकों के साथ संपर्क बनाएंगे।
सरदार बादल ने कहा कि कृषि तथा संबद्ध कारोबार हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। उन्होेने कहा कि सरकार द्वारा घोषित किए जाने वाले राहत पैकेजों में से किसानों तथा खेत मजदूरों को राहत दिए बिना अर्थव्यवस्था का पुनरूद्धार संभव नही है।
सरदार बादल ने गेहूं की निर्विध्न कटाई तथा खरीद को सुनिश्चित बनाने की आवश्कता बल जोर देते हुए कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कटाई तथा खरीद के दौरान किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो। उन्होने कहा कि यह सुनिश्चित बनाना भी बेहद आवश्यक है कि फसल की खरीद तथा किसानों को तत्काल अदायगी में कोई अड़चन न आए।
सरदार बादल ने केंद्र सरकार को गेहूं पर बोनस देने का भी आग्रह किया। उन्होने कहा कि इसके अलावा सरकार को खेती लागत पर सब्सिडी देने के बारे में भी विचार करना चाहिए।
सरदार बादल ने कहा कि कृषि तथा संबधित कारोबार के लिए दी गई सरकारी राहत सीधी किसानों तक पहुंचनी चाहिए। उन्होने दूध तथा पोल्ट्री की गिर रही कीमतों पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा दूध तथा मूर्गी पालन के कारोबार को बचाने के लिए सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए कहा । उन्होने कहा कि बिजनेस, व्यापार तथा उद्योग की तरफ ध्यान देने की आवश्कता है, पर देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा से पथ पर लाने के लिए असली रास्ता देश के खेतों तथा किसानों के पास से ही होकर जाता है।