-’मुविंग ट्रैफ़िक वायलेशन’ पर ध्यान केन्द्रित करते हुये पंजाब पुलिस द्वारा रोड सेफ्टी ड्राइव की शुरूआत
-डीजीपी पंजाब ने ट्रैफ़िक पुलिस को स्कूल जोनों में 25 किलोमीटर प्रति घंटा की गति सीमा को सख़्ती से करने के दिए निर्देश
-सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए एडवांस्ड ट्रैफ़िक मैनेजमेंट टैकनोलोजी और ट्रैफ़िक पुलिस कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई : डीजीपी पंजाब वी. के. भावरा
-वैज्ञानिक ढंग से चलाई जाने वाली इनफोरसमैंट ड्राइव का लक्ष्य लम्बे समय का व्यावहारिक बदलाव, दुर्घटना से होने वाली मौतों में 15 फ़ीसद से 20 फ़ीसद तक होगी कमी : एडीजीपी ट्रैफ़िक ए.ऐस. राय
चंडीगढ़, 4 अप्रैलःराज्य में सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोकने और सड़क सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने के मकसद से पंजाब पुलिस ने ’मुविंग ट्रैफ़िक वायलेशन’ पर केन्द्रित राज्य स्तरीय रोड सेफ्टी एजुकेशन और इनफोरसमैंट ड्राइव की शुरूआत की है। ’मुविंग ट्रैफ़िक वायलेशन’ में शराब पीकर गाड़ी चलाना, हेलमेट न पहनना या सीट-बैल्ट न लगाना, तेज रफ़्तार, हाई बीम, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फ़ोन का प्रयोग करना और ट्रैफ़िक सिग्नल तोड़ना शामिल है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब श्री वी.के. भावरा ने कहा कि सारी इनफोरसमैंट रणनीति पिछले साल के रूझानों और सड़क हादसों के कारणों के आधार पर योजनाबद्ध की गई है।
डीजीपी ने कहा कि पंजाब में विभिन्न सड़क हादसों में रोज़मर्रा के औसतन 11-12 कीमती जानें जाती हैं, जिनमें से ज़्यादातर को ट्रैफ़िक नियमों के उल्लंघन पर ध्यान केन्द्रित करके रोका जा सकता है या इन हादसों की गंभीरता को घटाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ज़्यादातर सड़क दुर्घटनाएँ आधी रात को होती हैं जिनमें ज़्यादा मौतें होती हैं, को रोकने के लिए एडवांस्ड ट्रैफ़िक मैनेजमेंट टैकनोलोजी का प्रयोग किया जा रहा है और ट्रैफ़िक पुलिस कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।
पंजाब परिवहन विभाग की तरफ से स्कूली जोनों में वाहनों की गति सीमा 25 किलोमीटर प्रति घंटा तय किये जाने के बाद डीजीपी ने ट्रैफ़िक पुलिस को इन हुक्मों को तुरंत लागू करने के हुक्म दिए और यदि कोई इस गति सीमा का उल्लंघन करता है तो उसका तुरंत चालान काटने के सख़्त हुक्म भी दिए गए हैं।
आंकड़े दर्शाते हैं कि औसतन लगभग 45 फ़ीसद सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहन शामिल होते हैं जो चार पहिया वाहनों या ट्रकों के साथ टक्कर होने से दुर्घटना का शिकार होते हैं। जिसका कारण ज़्यादातर पीड़ित या दोषी की तरफ से तेज रफ़्तार, शराब पीकर ड्राइविंग, मोबाइल फ़ोन का प्रयोग, हेलमेट या सीट बैल्ट न पहनना होता है।
एडीशनल डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (ए.डी.जी.पी. ट्रैफ़िक) अमरदीप सिंह राय ने समूह ज़िला ट्रैफ़िक पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग करके उनको हिदायत की कि वह आने-जाने वाले लोगों को जागरूक करें, उनको चुनौती दें या कोई अन्य उचित उपाय के साथ ’मुविंग ट्रैफ़िक वायलेशन’ को कम से कम करने पर ज़ोर दें जिससे कीमती जानें बचाई जा सकें।
एडीजीपी राय ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही वैज्ञानिक ढंग से चलाई जाने वाली इनफोरसमैंट ड्राइव है, जो लम्बे समय के व्यवहारिक बदलाव पर केंद्रित है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी इनफोरसमैंट रणनीतियों से मौजूदा स्थिति के संदर्भ में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को 15-20 फ़ीसद तक घटाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शुरूआत में मुहिम के पहले 15 दिन आने-जाने वाले लोगों को सचेत करने के लिए सड़क सुरक्षा सम्बन्धी शिक्षा और जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा और इसके बाद सख़्ती से इनफोरसमैंट ड्राइव चलाई जायेगी।
गौरतलब है कि कोविड-19 पाबंदियो के दौरान ऐसे बहुत से प्रयोगों ने पंजाब की ज़रूरतों के मुताबिक विशेष तौर पर उचित सबूत आधारित ट्रैफ़िक इनफोरसमैंट एक्शन प्लान की रणनीति बनाने में मदद की है।