मुख्यमंत्री ने राज्य की विधान सभा द्वारा पास किए गए तीन मुख्य बिलों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपाल का किया धन्यवाद
रजिस्ट्रेशन (पंजाब संशोधन) बिल, 2023 समेत तबादला मल्कीयत (पंजाब संशोधन) बिल 2023 और इंडियन स्टैंप (पंजाब संशोधन), बिल 2023 लोगों को देंगे बड़ी सुविधा:मुख्यमंत्री
बकाया बिलों को भी राज्यपाल की जल्द ही मंज़ूरी मिलने की आशा अभिव्यक्त की
चंडीगढ़, 7 जनवरी: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने रविवार को राज्य की विधान सभा द्वारा पास किए गए तीन अहम बिलों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित का तहेदिल से धन्यवाद किया।
यहाँ से जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत ख़ुशी की बात है कि पंजाब विधान सभा द्वारा पास किए गए तीन बिलों को राज्यपाल द्वारा हरी झंडी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि इन बिलों में रजिस्ट्रेशन (पंजाब संशोधन) बिल, 2023, तबादला मल्कीयत (पंजाब संशोधन) बिल 2023 और इंडियन स्टैंप (पंजाब संशोधन) बिल 2023 शामिल हैं। भगवंत सिंह मान ने बताया कि यह बिल राज्य निवासियों की सुविधा के लिए पंजाब विधान सभा में पास किए गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी बिल लोगों को तत्काल और निर्विघ्न नागरिक सेवाएं प्रदान करने के लिए मददगार साबित होंगे। उन्होंने कहा कि इन बिलों का उद्देश्य पंजाब में ज़रुरी सुधारों के द्वारा व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाना है। भगवंत सिंह मान ने आशा अभिव्यक्त की कि इन बिलों को मंज़ूरी मिलने से लोगों को काफ़ी लाभ मिलेगा। अब वह बड़े आसान और सुचारू ढंग से नागरिक सेवाएं हासिल कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी आशा अभिव्यक्त की कि राज्यपाल बाकी रहते बकाया बिलों को भी जल्द मंज़ूरी दे देंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब विधान सभा, जिसको राज्य के तीन करोड़ से अधिक लोगों के मतदान से चुना जाता है, ने बड़े सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए यह बिल पास किए गए हैं और राज्यपाल की मंजूरी से यह सुनिश्चित बनेगा कि इनको सही अर्थों में लागू किया जाए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ‘जब जागो, तब सवेरा’ और राज्यपाल का फ़ैसला स्वागतयोग्य कदम है।
जि़क्रयोग्य है कि मल्कीयत का तबादला (पंजाब संशोधन) बिल 2023 का उद्देश्य समूचे पंजाब राज्य को इक्वीटेबल मौरगेज (गिरवीनामा) की सुविधा प्रदान करना है क्योंकि इस बिल से समूचे राज्य को समान कानूनी सुविधा मिलेगी और पंजाब के खजाने को भी बकाया स्टैंप ड्यूटी प्राप्त होगी। इसके साथ ही, ऐसे ऋणों पर स्टैंप ड्यूटी को राज्य भर में घटाकर 0.25 फीसदी किया जा रहा है, जोकि एक लाख के ऋण पर केवल 250 रुपए और एक करोड़ रुपए के ऋण पर केवल 25,000 रुपए बनता है। इस तरह पंजाब राज्य के आम लोग बहुत कम पैसों में कानूनी तौर पर बराबरी वाले गिरवीनामे का लाभ उठा सकेंगे।
इसी तरह, रजिस्ट्रेशन (पंजाब संशोधन) बिल, 2023 भी बहुत ज़रूरी था, क्योंकि जब भी किसी राजस्व अधिकारी या सिविल अदालत द्वारा सार्वजनिक नीलामी (बोली) में जायदाद बेची जाती है, तो उस अधिकारी द्वारा एक बिक्री सर्टिफिकेट जारी किया जाता है जिस पर 3 फीसदी स्टैंप ड्यूटी लगाई जाती है, परन्तु यह बिक्री सर्टिफिकेट मौजूदा कानून के अनुसार रजिस्टर्ड नहीं है, इसलिए आम तौर पर ऐसे बिक्री सर्टिफिकेट पर न तो स्टैंप ड्यूटी अदा की जाती है और न ही यह रजिस्टर्ड होता है। कानून का उल्लंघन होने के साथ-साथ सरकार को इस प्रक्रिया में करोड़ों रुपए की स्टैंप ड्यूटी का भी नुकसान होता है और अदालती केस होने के कारण उक्त बिक्री सर्टिफिकेट पर सही स्टैंप ड्यूटी न लगने के कारण खरीददार को कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह बिल इस दस्तावेज़ को अनिवार्य रजिस्ट्रेशनयोग्य दस्तावेज़ बनाता है, जिससे पंजाब सरकार को बिक्री सर्टिफिकेट में बकाया स्टैंप ड्यूटी प्राप्त हो और आम लोगों को किसी किस्म की कानूनी समस्या का सामना न करना पड़े।
इसी तरह इंडियन स्टैंप (पंजाब संशोधन) बिल, 2023 पारिवारिक रिश्तों से बाहर मुख़त्यारनामे (पावर ऑफ अटार्नी) से संबंधित हैं क्योंकि मौजूदा समय में ज़मीन की असली कीमत विचारे बिना ही ऐसे मुख़त्यारनामे में केवल 1000/- रुपए से 2000/- रुपए स्टैंप ड्यूटी लगाई जाती है। इस सुविधा का दुरुपयोग करके, बिक्री डीड पर लगाई गई स्टैंप ड्यूटी को बचाने के लिए, अक्सर जायदादों को पावर ऑफ अटार्नी के द्वारा ग़ैर-कानूनी तौर पर बेच दिया जाता है, जबकि पावर ऑफ अटार्नी को किसी भी समय रद्द किया जा सकता है और किसी भी तरीके से इसकी कानूनी मान्यता किसी भी तरह बिक्री डीड के बराबर नहीं है।
पंजाब सरकार को राजस्व के बड़े नुकसान के अलावा इस प्रक्रिया में कई तरह की कानूनी अड़चनें (मुकद्दमेबाजिय़ां) भी हैं। इन ग़ैर-कानूनी अनियमितताओं को रोकने के लिए, प्रस्तावित संशोधन के द्वारा पारिवारिक संबंधों से बाहर जारी किए गए मुख़त्यारनामों पर 2 फीसदी स्टैंप ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव है। इससे पंजाब के खजाने में वृद्धि होगी और आम लोगों को जायदाद सम्बन्धी कई कानूनी अड़चनों का सामना करने से बचाया जा सकेगा।
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