‘आप’ ने मैडीकल कालेजों की फीसों में की वृद्धि का किया विरोध
बादलों की तरह कैप्टन सरकार ने भी मैडीकल माफिया के समक्ष घुटने टेके- प्रिंसीपल बुद्धाराम
पूरे देश की अपेक्षा महंगी है पंजाब में डाक्टरी की पढ़ाई- बलजिंदर कौर, मीत हेयर
चण्डीगढ़, 28 मई 2020
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने कांग्रेस सरकार द्वारा मैडीकल शिक्षा 77 प्रतिशत तक महंगी करने का तीखा विरोध करते हुए आरोप लगाया कि पिछली बादल सरकार की तरह कैप्टन अमरिन्दर सिंह भी राज्य में सक्रिय मैडीकल एजुकेशन माफिया के हाथों में खेल रही है। इसके साथ ही ‘आप’ ने मांग की है कि पंजाब और पंजाब के डाक्टरी शिक्षा के विद्यार्थियों की हो रही अंधी लूट को नकेल कसने के लिए माननीय हाईकोर्ट के मौजूदा जज पर आधारित न्यायिक आयोग गठित किया जाए जो समयबद्ध जांच करके 2013 से अब तक की प्रति विद्यार्थी एम.बी.बी.एस, बी.डी.एस, एम.डी /एम.एस और नर्सिंग कालेजों के लिए निर्धारित और वसूली फीसों पर वाइट पेपर जनतक करे।
पार्टी हैडक्वाटर से जारी संयुक्त बयान के द्वारा पार्टी की कोर समिति के चेयरमैन और विधायक प्रिंसीपल बुद्धराम, मुख्य प्रवक्ता प्रो. बलजिन्दर कौर और मीत हेयर (सभी विधायक) ने कहा कि मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कैबिनेट ने डाक्टरी शिक्षा के लिए फीसों में 77 प्रतिशत तक बढ़ौतरी करके पंजाब में डाक्टरी की पढ़ाई को पूरे देश की अपेक्षा महंगा कर दिया है। ‘आप’ नेताओं ने अफसोस जताया कि पंजाब सरकार ने कोरोना जैसी महामारी के साथ निपटने के लिए डाक्टरों की अहमीयत नजरअंदाज कर दी है। आम आदमी की पहुंच वाली बेहतरीन सेहत सेवाएं प्रदान करने के लिए लाजिमी है कि डाक्टरी पढ़ाई सस्ती कर असली योग्यता वाले अधिक से अधिक डाक्टर तैयार किए जाएं, जो बाद में यहां ही सेवाओं को पहल देने।
प्रिंसीपल बुद्ध राम ने पूछा कि जो परिवार या विद्यार्थी 9 सालों की उच्च-डाक्टरी पढ़ाई तक 2 करोड़ रुपए से अधिक फीसों पर निवेश करेगा, वह पंजाब के सेहत विभाग की तरफ से दिए जा रहे कम वेतनों पर सेवाएं क्यूं देगा? दूसरी तरफ सैंकड़ों की संख्या में साधारण परिवारों के योग्य विद्यार्थी हद से महंगी फीसों के कारण चाह कर भी डाक्टरी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इस लिए पंजाब सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार-विमर्श कर राज्य के सरकारी और प्राईवेट मैडीकल डैंटल और नर्सिंग कालेजों की फीसें आम घरों के होनहार विद्यार्थियों की पहुंच में करनी चाहीऐ हैं।
प्रो. बलजिन्दर कौर और मीत हेयर ने मैडीकल शिक्षा मंत्री ओ.पी. सोनी की तरफ से यह बढ़ौतरी 6 सालों के बाद किए जाने की दलील को रद्द करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार भी पिछली बादल सरकार की तरह मैडीकल शिक्षा माफिया के साथ मिली हुई है।
‘आप’ विधायकों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन सालों के बाद 15 प्रतिशत तक फीसें बढ़ाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस के बावजूद बादल सरकार ने पहले 30 जुलाई 2013 में एमबीबीएस की फीस प्रति विद्यार्थी 20 लाख से 30 लाख कर दी फिर 7 मार्च 2014 को यह 30 लाख से बडा कर 40 लाख रुपए कर दी। 2017 में सत्ता में आई कांग्रेस ने बादल सरकार की माफिया के साथ मिलीभुगत नजरअंदाज कर दी और अब 6 सालों का बहाना बना कर 77 प्रतिशत तक बढ़ौतरी कर दी। जिस के अंतर्गत अब 2 सरकारी कालेजों में एमबीबीएस की फीस पांच सालों के लिए प्रति विद्यार्थी 4.40 लाख से 7.80 लाख रुपए, प्राईवेट मैडीकल कालेजों में सरकारी कोटे के लिए 13.50 लाख से बडा कर 18 लाख रुपए और मैनेजमेंट कोटे में 40.30 लाख से बडा कर 47 लाख कर दी है।
‘आप’ विधायकों के अनुसार यदि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत 2013 में बढ़ी फीस पर हर तीन साल बाद 15 प्रतिशत तक ीक बढौतरी होता तो भी साल 2022 तक यह फीस 27 लाख (मैनेजमेंट कोटा) तक ही बढ़ सकती जो अब 47 लाख है।