क्या हम परमाणु संरचना और जैव परमाणु के बारे में पूरा जानते हैं?
Atomic structure and Bio atom and Virus atomic cell and Bio atomic spores, Bio atomic clone: —- जैविक नाभिकीय युद्ध मे क्या हमारे पास जीव जगत को ले कर पूरी पूरी जानकारी है ? क्या आण्विक और सम्मिश्रित जीवो (atomic or fusion organisms) की सम्भावना नही ? क्या सच मे टूटी फूटी, आधी अधूरी बुध्दि के साथ और मिट्टी जैसे शरीर के साथ हम जीव जगत मे चोटी पर है ? क्या हमे सम्पूर्ण सृष्टि से अलग कर के तुच्छ और अधूरे ज्ञान के साथ इस धरती पर कैद करके नही रखा गया है ? हमारी विज्ञान की जानकारी उतनी ही है जितनी जैविक नाभिकीय रणनीतिज्ञो ने तय की है। क्या atomic structure वैसा ही है, जैसा हम जानते है ? चलो माना atomic structure वैसा ही है, जैसा हम जानते है। पर क्या atomic structure मे विविधता और भिन्नता नही हो सकती ? वर्ग मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी, स्तनधारी मे क्या सिर्फ एक ही तरह की मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी, स्तनधारी है ? नही हमे पता है कि वर्ग मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी, स्तनधारी मे कितनी कितनी, बेशुमार विविधता है। ठीक इसी तरह कोशिका – जीवन की मूल इकाई (bio cell, basic unit of life) मे भी कितनी विविधता है। मोटे तौर पर bio cell दो तरह के होते है Prokaryotes & Eukaryotes. और वास्तव मे बैक्टीरिया, वायरस और बाकी सब एक कोशिका वाले जीव (acellulars) जो kingdom Monera or Protista मे मिलते है। वे सब भी तो “सेल” के विभिन्न और उन्नत रूप ही है। ये acellulars आत्म निर्भर और अकेले, स्वतंत्र रहना जानते है। ये acellulars अपने आप मे sufficient और efficient है । ठीक इसी तरह Eukaryotes मे somatic cells or germ cells भी “cells” की ही forms है। पर कुछ advanced or specialized cells जो bacteria और virus की तरह independent नही है और self sufficient और self efficient ना होने के कारण इन्हें एक शरीर की जरुरत पड़ती है। जैसे epithelial cells, neurons, nephrons, cardic cells, cone or rod cells, muscle cells, bone cells, hair cells etc इसी तरह वनस्पति जगत मे भी कई तरह के bio cells पाए जाते है। Bio cells मे variety है तो atom और atomic structure मे variety क्यों नही ? जिस तरह flora & fauna world मे variety है और अनगिनत तरह के cells मिलते है तो chemical world मे variety की सम्भावना क्यों नही हो सकती ? Chemical variety के साथ ही flora & fauna world मे भी विभिन्नता होगी। Due to different types of chemicals there are different types of bio worlds by abiogenesis.
हम सिर्फ उसी atom or atomic structure, elements or chemicals को जानते है जिसकी BNW मे जरुरत थी। हमे वैसी ही galaxy मे कैद किया गया है। यहाँ हमारी जानकारी वाले chemicals है। पर और भी कई तरह के atoms, atomic structures, chemicals होगे। जिनकी जानकारी हमे नही है। Numerous planets, natural satellites, galaxies और universe होगे। यहाँ विभिन्न तरह के atoms, atomic structures, chemicals होगे। इन planets, satellites, galaxies or universes को उनके atoms, atomic structures, elements, bio world के bases पर वर्गीकृत किया गया होगा। वहां का flora और fauna और bio world वहां के atoms, atomic structures, elements, chemicals के हिसाब से abiogenesis theory और अन्य other mechanism के हिसाब से विकसित हुआ होगा। तो जाहिर सी बात है कि उनकी chemistry, bio chemistry, chemical reactions or biochemical reactions हमारी जानकारी के आगे की होगी। Advanced type के और atom or atomic structures होगे।
हम कैसे पक्के तौर पर कह सकते है कि atom मे electron, proton और neutron ही होते है ? This is very very primitive & basic atomic structure & participants of the atom. जैसे हमारी धरती पर इस समय के elements है, जो हमारे long form of periodic table को बनाते है। जैसे Hydrogen, Helium, Lithium, Beryllium…..+102 elements. Hydrogen मे एक proton, एक electron, और एक ही neutron है। ऐसे ही helium मे 2-2 electron, proton, neutron है और lithium मे 3-3 electron, proton और neutron & goes on…. हर अगले element मे 1-1 electron, proton और neutron बढ़ता जाता है । यानि कि हाइड्रोजन का structure यहाँ ‘basic structure’ की तरह हुआ। जिस मे एक एक electron, proton और neutron बढ़ते जाते है और अगला element बनाते जाते है। इस तरह हमारा abiotic world ‘Hydrogen world’ कहलाएगा। इस तरह कोई +102 elements मिल कर हमरी दुनिया का abiotic, chemical world और hydrogen world बनाते है। यानि हमारे chemical world मे electron, proton और neutron ही atom, atomic structure or element को तय करते है, बनाते है। Really very very simplest or primitive chemical world.
जैसे हमारी दुनिया मे ketons, aldehydes, alcohlic groups, alkane, alkenes, alkynes, benzene derivatives, hydrocarbons etc. मिलते है। क्या पता ऐसे ही इन groups मे बदलाव कर किसी planet galaxy और universe का chemical world बना हो। जैसे हमारी दुनिया मे hydrogen के basic atomic structure मे electron, proton neutron add कर के आगे +102 elements बन जाते है यानि हमारा सारा chemical world or abiotic world, hydrogen world बन जाता है। ऐसे ही और planets, galaxies or universe का chemical world बना हो। जैसे, सिर्फ उदहारण के लिए benzene world, keton world, aldehyde world, alcohlic world etc. इन groups मे hydrogen की तरह changes कर पूरे के पूरे planet, galaxy or universe का chemical world तैयार करना /होना। इन specific chemicals के planets, galaxy, universe.
Specific मंत्री /देव और ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी specific होगे। उनके पास अपने planet, galaxy or universe के specific chemicals को handle करने की power, authority, skill होगी।
समय के साथ हमारे ही periodic table मे कितनी changes, modifications, developments हुईं है तो और आगे changes, modifications, developments, innovations or mutation /chemical /elemental mutation के chances नही है ? Electron, proton or neutron की तरह और भी कई तरह के atomic participants, sub atomic particles होगे। जिसके तहत infinite abiotic world हो सकते है। और infinite type के abiotic world के कारण infinite types के biotic worlds abiogenesis theory के द्वारा होगे।
और full atomic खुद भी तरह तरह के atoms और elements बना सकता है। कई तरह के synthetic planets और उनके हिसाब से वहाँ का abiotic or biotic world भी synthesize कर सकते है। जैसा कि हमारे सौरमंडल मे भी है। हमारा सौर मंडल BNW के हिसाब से design किया गया है।
गैसीय कोशिकाएँ, पवनीय कोशिकाएँ, वायु कोशिकाएँ, आणविक कोशिकाएँ और जैविक अणु (Bio atoms, airy cells, gaseous atom) : — जिस तरह की कोशिकाओ के बारे मे हमे बताया गया है। उस तरह की कोशिकाओ से सिर्फ स्थूल शरीर ही हासिल किया जा सकता है। सूक्ष्म शरीर गैसीय कोशिकाओ, पवनीय कोशिकाओ, वायु कोशिकाओ, और जैविक अणु (Bio atoms, airy cells, gaseous atom) से ही प्राप्त होता है। यह गैसीय कोशिकाएँ इंसानो मे neurons की तरह अति उन्नत कोशिकाएँ होती है। क्रमिक विकास मे इतना विकास हुआ कि आगे जा कर अणु और कोशिका (atom and cells) मे संलयन और विलय (fusion and merge) हो गया। परिणामस्वरूप अणु और कोशिशका वायु कोशिकाओ, आणविक कोशिकाओ, जैविक अणुओ मे विकसित हो गई।
इस तरह के जैविक अणुओ को जीवित रहने के लिए खाने, पानी और वायु से प्राप्त होने वाली ऊर्जा की जरुरत नही है। ये जैविक अणु (Bio atom) अपने आप मे सम्पूर्ण होते है। और सूक्ष्म प्राणी का हर जैविक अणु अपनी ऊर्जा की पूर्ती करने मे स्वयं सक्ष्म होता है। या फिर जैसे हमारी ऊर्जा की पूर्ती करने के लिए हमारे पास संचार प्रणाली, श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र (circulatory system, respiratory system or digestive system) आदि है। ऐसे ही इनके पास भी कुछ जैविक अणुओ का समूह (जैसे हमारे पास उत्तक, tissue) होगा। जो सूक्ष्म शरीर को ऊर्जा की पूर्ती करता होगा। पर ये जैविक अणु अपनी ही किसी कोशिकांग और गैसीय कोशिकांग; कोशिका क्रिया और जैविक अणु नाभिकीय क्रियाएँ (cell organelle और bio atomic organelle; cellular reaction, bio atomic nuclear reactions) और सूरज की तरह संलयन या विखंडन (fusion or fission) द्वारा सूक्ष्म शरीर की ऊर्जा की पूर्ती करते होगे। इनकी ऊर्जा का स्त्रोत्र गैसीय कोशिकाएँ और जैविक आणविक नाभिकीय क्रियाएँ (Bio atoms or Bio atomic nuclear reactions) हो सकती है। जैसे हमारा शरीर बिजली से चलता है। ठीक ऐसे ही इनका सूक्ष्म शरीर इतनी बिजली पैदा करता होगा कि bio robot की तरह ये प्राणी पूर्णतयः बिजली से ही चलते होगे या और ये प्राणी इलेक्ट्रिक रे की तरह बिजली को अपने हथियार की तरह भी इस्तेमाल कर सकते होगे। या ये प्राणी अपने ग्रह पर मिलने वाले किसी तत्व, रसायन से सीधे ऊर्जा प्राप्त कर सकते है। उदहारण के तौर पर जैसे हमारी धरती पर ऑक्सीजन, कार्बनडाईऑक्साइड, यूरेनियम, हाइड्रोकार्बन, सोना, चाँदी आदि ऊर्जा के स्त्रोत्र है। इनके ऊर्जा स्त्रोत्र मे अपनी आणविक कोशिकाओ की किस्म, वातावरण, हालातो के हिसाब से बहुत ज्यादा विभिन्नता हो सकती है। यही ऊर्जा स्त्रोत्र इनकी phylum, class, order, family, genus और species तय करेगे
ये आणविक कोशिकाएँ और जैविक अणु, Bio atoms, airy cells रूपांतरण मे सौ प्रतिशत निपुण होते है। इसीलिए सूक्ष्म शरीर को स्थूल शरीर मे और स्थूल शरीर को सूक्ष्म शरीर मे बदलने मे इन्हें पूर्णतयः महारत हासिल होती है। इसीलिए यह किसी भी जैविक और अजैविक वस्तु मे खुद को बदलने मे सक्ष्म होते है।
ये गैसीय कोशिकाएँ धुंआई कोशिका, अग्नि कोशिका, जल कोशिका, मिट्टी कोशिका, पत्ता – पादप/पौधा कोशिका, टहनी कोशिका, प्लास्टिक कोशिका, सूती कोशिका, सिल्क कोशिका, चूर्ण-पाउडर कोशिका (किसी भी रंग मे), लकड़ी कोशिका आदि के रूप मे हो सकती है। ये कोशिकाएँ किसी भी तरह के पदार्थ, सामग्री, stuff और रंगरूप मे हो सकती है और खुद को परिवर्तित, रूपांतरित कर सकती है। इनकी विभिन्नता की कोई सीमा नही है। तभी सम्पूर्ण आणविक कोई भी, कैसा भी रूप धारण कर लेता है। पूर्ण आणविक/आणविक प्राणी नाजुक सी तितली बन होली जैसे रंग पैदा कर सकता है। अखरोट बन बाहर से लकड़ी जैसा कठोर खोल-ढांचा बन सकता है। भालू, घोड़े और शेर जैसे खूबसूरत, चमकीले और आकर्षक बाल बना सकता है। गेंडा बन सकता है और गेंडे जैसी सख्त चमड़ी भी बना सकता है और केंचुए जैसे नर्म प्राणी मे भी बदल सकता है और बना सकता है। वो खुद को कपास के फूलो मे भी बदल सकता है और गेहूँ की बाली मे भी खुद को परिवर्तित कर सकता है। वो पहाड़ भी बन सकता है और नदी, नाला, समुन्द्र भी। क्योंकि हर चीज, हर चीज अणु और गुणो/genes की ही बनी होती है। और ये प्राणी किसी भी तरह के अणु और गुण (atom and gene) की नक्ल कर सकता है। इन कोशिकाओ की प्रकार, किस्म, विविधता, बहुरूपता, बहुमुखीयता, रूपांतरण की कोई सीमा नही है। यही बाते और विभिन्नताएँ Kingdom Atomic को आगे phylum, Class, order, family, genus, species को बनाने मे सहायक होती है।
यह गैसीय कोशिकाएँ सुरक्षा के मामले मे भी बहुत महत्वपूर्म भूमिका निभाती होगी। चूँकि ये आणविक कोशिकाएँ और जैविक अणु है तो ये अपने आप मे एक सम्पूर्ण शस्रशाला भी होगे। सूक्ष्म शरीरधारी प्राणियो को यानि अदृश्य प्राणी, वायुमय प्राणी, वायु जीव अपने जैविक अणुओ (Bio atom) से किसी भी तरह की विकिरण (radiation) को निकाल सकते है जो सृजन और प्रलय दोनो तरह के काम करने मे सक्ष्म होगी। जैसे अल्फा, बीटा, गामा आदि विकिरण। क्योंकि जैविक अणुओ का आणविक स्तर और उपआणविक स्तर (Atomic level or subatomic level) तक नियंत्रण है। यानि जैविक अणु प्रोटोन, इलेक्ट्रान और न्यूट्रॉन को नियंत्रित कर अल्फ़ा, बीटा और गामा रेडिएशन को नियंत्रित कर सकते है। यानि वायु जीव अपने आप मे एक सम्पूर्ण जैविक अणु संयंत्र (nuclear plant, Bio nuclear plant) होगा। उसे किसी भी तरह के पारम्परिक प्राकृतिक जैविक हथियार, जिन्हें हम इंसान जानते है जैसे कि शल्क (scale), पंख, बाल, पंजे, नाखून, खुर और सींग आदि की जरुरत नही। क्योंकि वो अपने बचाव के लिए जैविक आणविक हथियारो (Bio atomic weapon) का इस्तेमाल करते है। जैविक आणविक हथियार यानि अणु और आणविक अंग (प्रोटोन, इलेक्ट्रान और न्यूट्रॉन आदि) को अपनी सुरक्षा और काम करने के लिए इस्तेमाल करते है। ये आणविक कोशिकाएँ और भी कई तरह की किरणो, विकिरणो को नियंत्रित करना जानती होगी। जिनके बारे मे हम इंसानो को अभी जानकारी नही है। और ये सब इन प्राणियो के खाने और सुरक्षा के मामलो मे मदद करती होगी। इन्हीं किरणो, विकिरणो, लेसर बीम आणविक शक्ति से ये प्राणी अपना सारा काम करते है। बिना हाथ, पैर, शरीर, किसी औजार, मशीन आदि की मदद से।
विषाणु अणु, विषाणु कोशिकाएँ और विषाणु आणविक कोशिकाएँ – Virus cell or Virus atom or Virus bio atom और Virus atomic cell – इस तरह की विशेष तौर पर विकसित हुई कोशिकाओ और अणुओ को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता होगा। जो सामने वाले प्राणी या सेना को संक्रमित कर देती होगी। जो सामने वाले प्राणी के शरीर मे जैव रसायनो और उसके गुणो (genes) पर प्रभाव डाल उस प्राणी के जैविक रसायनो मे बदलाव कर या फिर उस प्राणी की आनुवंशिक सामग्री (Genetic material ) मे मन चाहे बदलाव कर के उस प्राणी मे मनचाहे बदलाव करती होगी। या फिर यह विशेष आणविक कोशिकाएँ ऐसे रसायन शरीर मे पैदा करती होगी जिससे ब्रह्म पाश और नाग पाश की तरह प्राणी जड़ित वस्तु बन कर रह जाए। जैसे सारा ही शरीर लकवा ग्रस्त हो गया हो। प्राणी को सब दिखाई और सुनाई देगा पर वो प्रतिक्रिया नही कर पाएगा। ये विशेष तौर पर प्रोग्राम की गई कोशिकाएँ होगी। जो बीजाणुओ की तरह हवा द्वारा अपने लक्ष्य तक पहुँचने के काबिल होगी। या पूर्ण आणविक या आंशिक आणविक सीधा उस इंसान के शरीर मे उस इंसान के शरीर द्वारा भी ऐसी कोशिकाएँ उत्पन्न करवा सकता है। जो निशाने पर है।
चूँकि ये प्राणी या तो पूर्ण आणविक होते है, आंशिक आणविक या फिर नगण्य आणविक होते है। सूक्ष्म शरीर मुख्य रूप से तीन तरह के प्राणियो के पास होगा। एक तो पूर्ण आणविक, दूसरा आंशिक आणविक, तीसरा नगण्य आणविक। नगण्य आणविक मे कुछ विशेष तरह के साधु-संत, ऋषि-मुनि, सिद्धपुरुष आएँगे। पूर्ण आणविक तो सौ प्रतिशत अणु को नियंत्रित करना जानता है। तो इसका काम करने का ढंग सौ प्रतिशत आणविक ही होगा। क्योंकि इसके पास पूर्ण आणविक गुण सारणी है। आंशिक आणविक मे बहुत सारी विभिन्नताएँ होगी। और ये विभिन्नताएँ अणु को नियंत्रित करने के आधार पर वर्गीकृत होगी। और इस तरह के प्राणियो के पास आंशिक आणविक गुणसारणी (Partial atomic genome) होती है।
फिर मोटे तौर पर यहाँ कहा जा सकता है कि इसलिए ऐसे प्राणियो को यानि पूर्ण आणविक को निराकार कहा जाता है। क्योंकि इनको कोई भी काम यंत्रो की मदद से नही बल्कि अणुओ की मदद से करना होता है। इसलिए इनको काम करने के लिए ना तो शरीर, दिमाग की जरुरत होती है और ना ही हाथ और पाँव की जरुरत होती है। ऐसे प्राणियो ने कोई भी काम सामने पड़ी वस्तु के अणुओ को नियंत्रित कर के कर लेना होता है। सो ऐसे प्राणियो को शरीर, दिमाग, हाथ, पैर की जरुरत नही होती। ऐसे प्राणी किसी भी तरह की आकृति मे हो सकते है क्योंकि इनके शरीर से निकलने वाली विकिरण, लेज़र बीम, आणविक ऊर्जा ही इनके सब तरह के काम कर देगी। इसीलिए देवी माँ को ज्योति रूप मे पूजा जाता है। सिख धर्म, मुस्लिम धर्म और बहुत से धर्मो, सम्प्रदायो मे भगवान को निराकार माना जाता है। क्योंकि ऐसे प्राणियो के अंग आणविक (atomic), जैविक आणविक (bio atomic) होते है। इन्हें हमारी तरह के पारंपररिक अंग जैसे दिल, दिमाग, फेफड़े, गुर्दे, हाथ, पैर, आँख, नाक, कान, हड्डियों आदि की जरुरत नही।
ऐसे प्राणियो का जीवन काल इंसानो की तरह साठ, सत्तर, सौ साल का नही होता। जो कि इनको अपना वंश चलाने के लिए अपने बच्चो, बच्चो के बच्चो आदि की जरूरत पड़े। जैसा कि कहा जाता है कि विकास सर्व पक्षीय होगा। सो इनका प्रजनन करने का ढंग भी कई तरह के है, अद्वितीय है और क्षणिक है। इंसानो की तरह नौ महीने नही लगते इन्हें अपने एक दम से अपाहिज बच्चे को पैदा करने के लिए। वो बच्चा जो खाने-पीने, चलने-दौड़ने, पढ़ने-लिखने, बोलने, खुद की सुरक्षा करने, कुछ समझने, कोई भी काम करने मे अपाहिज, लाचार, बेबस यानि हर तरह से बेबस और अपाहिज।
चूँकि ऐसे प्राणियो का अपनी आणविक कोशिकाएँ, जैविक अणु, Bio atoms or airy cells पर पूरा पूरा नियंत्रण होता है। यह प्राणी अपने किसी भी जैविक अणु मे कोशिका विभाजन (mitosis, meiosis) द्वारा पल क्षण मे एक सम्पूर्ण समझदार, ज्ञानवान, पढ़ा-लिखा बच्चा पैदा कर सकते है। यह एक दम एक व्यस्क को जन्म दे सकते है। या फिर Genetic engineering द्वारा अपने मन चाहे गुणो (Characteristics) और गुणो (Genes) वाले बच्चो को भी पैदा कर सकते है। इनके पास अनंत विकल्प होगे अपने बच्चे को जन्म देने के। चूँकि यह प्राणी (पूर्ण आणविक) खुद युगो युगो तक जीवित रहते है। इसलिए इन्हें अपने वंश आगे बढ़ाने के लिए अगले वंश की कोई खास जरुरत नही होती। अपने से कम शक्तिशाली बच्चे को यह प्राणी बर्दाश नही करेगा और अगर बच्चा इस प्राणी के बराबर का शक्तिशाली हुआ तो वही बच्चा कल को अपने जन्मदाता को भी चुनौती दे सकता है। इसलिए प्रजनन के मामले मे ऐसे प्राणियो को बहुत ही ज्यादा सचेत रहना पड़ता है। ज्यादा संख्या मे पूर्ण आणविक प्राणियो का इस कायनात मे रहना उचित नही है। इसीलिए एक समय पर इस पूरी कायनात मे सिर्फ एक ही पूर्ण आणविक प्राणी होता है। अगर एक से ज्यादा पूर्ण आणविक प्राणी इस दुनिया मे होगे भी तो वो पूर्णतयः परम शक्ति के अधीन होगे। तांकि व्यवस्था बनी रहे।
आणविक बीजाणु, आणविक प्राणी प्रतिलिपि or Bio atomic spores, Bio atomic clone – जैसे जीव जगत मे बीजाणु/spores का इस्तेमाल प्रजनन के लिए किया जाता है। ऐसे ही ये आणविक, आंशिक आणविक, नगण्य आणविक प्राणी भी Virus cell or Virus atom – Virus bio cell or Virus bio atom का इस्तेमाल प्रजनन के लिए करते होगे। किसी युद्ध आदि की स्थिति मे जब इन्हें लगता होगा कि यह मरने वाले है तभी यह प्राणी ऐसी कोशिकाओ को उत्पन्न करेगा जो बीजाणु की तरह काम करेगे। या फिर वो ऐसे बीजाणु किसी आपातकाल मे पैदा करेगा। तांकि उसका वंश चलता रहे। इस तरह के बीजाणु सही समय, सही स्थिति, सही हालातो मे किसी विशेष तरह की कोशिका विभाजन के द्वारा खुद बा खुद एक बच्चे और एक व्यस्क मे विकसित हो जाएँगे।
या फिर इन आणविक बीजाणुओ का प्रयोग नर और मादा द्वारा बिना संभोग द्वारा बच्चे पैदा करने के लिए भी किया जा सकता है।
ये प्राणी बहु आकृति (multimorphism) मे भी प्रवीण होगे। ये कुशल गुणकौशल, गुणिय अभियान्ता (जेनेटिक इंजीनियर) होते है और इनके पास अपनी एक आनुवंशिक प्रयोगशाला (genetic laboratory) होती है। जिस मे यह मनचाही गुणसारणी तैयार कर अस्थाई और स्थाई विभिन्न तरह के ज्ञात और अज्ञात प्राणी बना सकते है। जो स्वयं संचालित और रिमोट संचालित हो सकते है।
परिणामस्वरूप अणु और कोशिका मिल कर एक और नई Kingdom Atomic की सृजना करते है। जिस मे अनंत तरह की कोशिकाएँ, आणविक कोशिकाएँ, अणु, रसायन और जैव रसायन होगे। इस जगत (Kingdom) मे विभिन्न तरह के जैविक और अजैविक पदार्थो की भरमार होगी। अनंत तरह के जीव-जंतु और रसायन होगे। जो आणविक जगत (Kingdom Atomic) का तरह तरह से श्रृंगार करते होगे।
हमारी धरती पर अभी सिर्फ दो तरह के ही मुख्य कोशिकाएँ मिलती है – सुकेंद्रिक कोशिका और अकेंद्रिक कोशिका (eukaryotes or prokaryotes organishm) तो जीवन के प्ररूपो मे कितनी कितनी भिन्नता है। जलचर, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी। फिर इन genus मे कितनी कितनी species मिलती है। और हमारी धरती पर अणु और periodic table मे दर्ज सभी तत्व मूलभूत (simplest form) मे है। तब भी हमारी धरती पर विभिन्न तरह के रसायन मिलते है। तो विभिन्न तरह के बहुत ज्यादा विकसित अणु (advanced or developed atoms) कितने कितने तरह के तत्व, रसायन बनाते होगे ? जो कई तरह के अजैविक जगत का निर्माण करने मे सक्ष्म होगे। और फिर यह बात तो संवर्धित, समर्थित है कि जितने तरह के अजैविक जगत होगे। Abiogenesis theory या किसी और प्रक्रिया या क्रियाविधि द्वारा उतने ही प्रकार के जैविक जगत होगे।
हमारी रचित दुनिया मे ही मात्र दो तरह की कोशिकाएँ और +102 तत्वो के कारण जीवन मे कितनी विभिन्नता है जैसे सूक्ष्मदर्शी ,अकशेरूकीय या कशेरुकी जीव (nonvertebrates or vertebrates), विभिन्न तरह की वनस्पति और विभिन्न तरह के रसायन और इन रसायनो से बनने वाले विभिन्न तरह के अजैविक पदार्थ। इस से यह बात भी सिद्ध होती ही कि ब्रह्माण्ड मे आणविक जगत (Kingdom Atomic) के सिवा भी और कई तरह तरह के जगत ( Kingdoms) और अजैविक जगत (Abiotic worlds, inorganic worlds) होगे। जो विभिन्न तरह के ब्रह्मांडो की सृजना करते होगे। ब्रह्मांडो को इन विभिन्न तरह के जैविक और अजैविक जगत के आधार पर विभाजित और वर्गीकृत किया जा सकता है।
आणविक कोशिकाएँ चूँकि संजीव और निर्जीव (कोशिका + अणु) का समिश्रण होती है। और आणविक कोशिकाएँ 100% अणु को नियंत्रित करना जानती है। और हर चीज अणु की ही बनी होती है। यही वजह है कि देवताओ को पल क्षण मे कपडे बदलते दिखाया/बताया जाता है। एक दम से जब वो विशाल रूप धारण कर लेते है और एक क्षण मे ही वो सामान्य या बहुत छोटे आकर मे आ जाते है। इतने सारे शारीरिक बदलाव के बावजूद वही कपडे फिट कैसे बैठ जाते है ? शरीर के आकर मे तो कोशिका विभाजन (mitosis) द्वारा बदलाव किए जा सकते है। शरीर के आकर को कोशिका विभाजन (cell division) द्वारा बढ़ाया या घटाया जा सकता है। पर कपड़ो के आकर मे कैसे बदलाव संभव है ? कपडे और कोई भी चीज जो निर्जीव है। उसके अणुओ की गिनती बड़ा घटा कर उस निर्जीव चीज के आकार मे बदलाव किए जा सकते है। कपड़ो का आकर बढ़ाने के लिए, जिस तरह के अणुओ से वो कपडा बना है। उन अणुओ की गिनती बड़ा देनी है और अगर कपड़ो के आकर को छोटा करना है तो उस कपडे के अणुओ की गिनती कम कर दो, संख्या को घटा दो तो कपडे का आकार छोटा, कम हो जाएगा। यानि addition & subtraction of atoms simple….
~सुमिता धीमान