गुलाबी सुंडी: किसानों और खेत मजदूरों से कड़वा मजाक है चन्नी सरकार द्वारा घोषित मुआवजा: आप
-गुलाबी सुंडी के कारण खेत-मजदूरों की मेहनत के नुकसान को भी पूरा नहीं करती सरकार की घोषणा: कुलतार सिंह संधवां
-ठेका, खाद स्प्रे, डीजल और मेहनत-मजदूरी के औसतन 50 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चे के सामने बौनी है कांग्रेस सरकार की घोषणा: आम आदमी पार्टी
चंडीगढ़, 31 अक्तूबर : आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई कपास की फसल के लिए चन्नी सरकार द्वारा घोषित मामूली मुआवजा राशि को सिरे से नकार दिया है। `आप’ ने कांग्रेस सरकार की इस घोषणा को कपास उत्पादक किसानों और खेत मजदूरों से कड़वा मजाक बताया है। साथ ही आम आदमी पार्टी ने फसलों की बर्बादी को मापने को इस्तेमाल सरकारी मापदंडों पर भी सवाल खड़े किए हैं।
पार्टी मुख्यालय से रविवार को जारी बयान में पार्टी के किसान विंग के अध्यक्ष एवं विधायक कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि मालवा क्षेत्र में गुलाबी सुंडी के भयानक हमले ने कपास उत्पादक किसानों और खेत-मजदूरों को आर्थिक तौर पर बड़ी चोट पहुंचाई है। यदि सरकारों ने अन्नदाता के प्रति अपना घातक रवैया नहीं बदला तो अगले कई साल कपास क्षेत्र आर्थिक संकट से उभर नहीं सकेगा। नतीजतन किसान खेत-मजदूर खुदकुशियों के गलत दुष्प्रभाव की तरफ बढ़ेंगे। इसके लिए प्रदेश की कांग्रेस और केंद्र की भाजपा सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार होगी।
कुलतार सिंह संधवां ने मुख्यमंत्री पंजाब को संबोधित करते हुए कहा कि “चन्नी जी जिस फुर्ती से आप गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुए कपास के खेतों में गए, तबाही का मंजर अपनी आंखों से देखा, कपास उत्पादक और मजदूरों की दर्द भरी गुहार सुनी और उन्हें भरोसा भी दिया था। प्रभावित किसान के घर सादे ढंग से रोटी भी खाई, रास्ते में गाड़ी रोक कर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद भी दिया था, इससे लगता था कि आपने प्रभावित किसानों और मजदूरों की बाजू पकड़ ली है और आप चंडीगढ़ आते ही फसल के एक सौ प्रतिशत नुकसान का मुआवजा तुरंत जारी कर दोगे। लेकिन दुख से कहना पड़ रहा है कि आप भी अन्नदाता के प्रति नरेंद्र मोदी जितने बेगाने और ड्रामेबाज साबित हुए। संधवां ने कहा कि कपास के नुकसान के संबंध में मामूली मुआवजे की ताजा घोषणा ने आपकी ड्रामेबाजी और दिखावाबाजी को जगजाहिर दिया है। उन्होंने कहा कि आप आम आदमी का मुखौटा डालकर आम लोगों की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं। इस शर्मनाक गुनाह के लिए अन्नदाता और पंजाब की जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी। इस कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पंजाब दौरे के समय आपके संबंध में सही बोलकर गए थे कि आप आम आदमी पार्टी की नकल जरूर कर सकते हो लेकिन अमल पर खरे नहीं उतर सकते।
कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी ने उस समय हमला किया, जब फसल बिल्कुल तैयार थी। उस समय तक किसान लगभग सारा खर्चा कर चुका था, जिसमें बीज, बुवाई अन्य स्प्रे, (खाद-पेस्टिसाइड) डीजल और मेहनत मजदूरी समेत जमीन का ठेका खर्च भी शामिल है, जो किसी भी लिहाज से प्रति एकड़ औसतन 50 हजार रुपये से कम नहीं बनता। मजदूरों द्वारा चुगाई अभी शुरू की जानी थी, जिसके सिर पर उन्होंने चूल्हा-चौका, शादियां और त्योहारों के लिए जरूरी खर्च करना था। बदकिस्मती से गुलाबी सुंडी ने खेत-मजदूरों के सपने भी चकनाचूर कर दिए। उपर से चन्नी सरकार द्वारा प्रभावित कपास उत्पादक किसानों के लिए घोषित मामूली राशि का महज 10 प्रतिशत हिस्सा खेत-मजदूरों के लिए रखकर भूमिहीन और मेहनतकश गरीबों की गरीबी का मजाक उड़ाया है।
सरकारी घोषणा के मुताबिक जिस किसान की फसल 26 से 32 प्रतिशत तक खराब हुई है, उसे प्रति एकड़ 2000 का मुआवजा मिलेगा। इस मुताबिक संबंधित मजदूर को 200 रुपये मिलेंगे। 33 से 75 प्रतिशत बर्बाद फसल के लिए प्रति एकड़ 5400 रुपये और 70 से 100 प्रतिशत नुकसान के लिए प्रति एकड़ 12 हजार रुपये मुआवजे की घोषणा की है। इस हिसाब से संबंधित खेत मजदूर को 200 से लेकर अधिक से अधिक 1200 रुपए तक का मुआवजा मिलेगा। क्या इस राशि के साथ कोई मजदूर अपना घर चला सकेगा? इसका जवाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को देना चाहिए।
कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि शर्म की बात यह है कि प्रति एकड़ अधिक से अधिक 12 हजार रुपये के मुआवजे में केंद्र सरकार का भी हिस्सा है, यानि सरकारें मिलकर भी किसानों और खेत मजदूरों को हुए नुकसान की पूर्ति नहीं कर रही, उल्टा उनसे भद्दा मजाक कर रही हैं। संधवां ने फसल के नुकसान को मापने वाले मापदंडों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि ऐसा कौन सा थर्मामीटर है जो साबित करता है कि फसल का नुकसान 33 प्रतिशत नहीं बल्कि 32 प्रतिशत हुआ है। यह भी पूछा कि 26 प्रतिशत से कम नुकसान को सरकार नुकसान क्यों नहीं मानती?
उन्होंने मांग की है कि सरकारों को फसलों के नुकसान मापने वाले फार्मूले किसान के पक्ष के बनाने समय की जरूरत है। उन्होंने प्राकृतिक मुसीबत राहत फंड के नियमों-कानूनों में भी बड़े बदलाव की जरूरत बताई। साथ ही आम आदमी पार्टी ने गुलाबी सुंडी के नुकसान की भरपाई के लिए प्रति एकड़ 30 हजार रुपये से 60 हजार रुपये मुआवजा राशि और प्रति मजदूर को 15 हजार रुपये की राहत की मांग की है।