खानापूर्ति के बजाय लंबित मॉनसून सत्र पर गंभीरता दिखाए चन्नी सरकार: हरपाल सिंह चीमा
-एक दिन में सभी मामलों का समाधान कैसे होगा- `आप’ का सवाल
-`आप’ ने सभी ज्वलंत और लंबित मामलों के समाधान और चर्चा के लिए 15 दिन के सत्र के सीधे प्रसारण की मांग की
-रोजाना की ड्रामेबाजी से असल मुद्दों को दबा नहीं सकते मुख्यमंत्री चन्नी
चंडीगढ़, 5 नवंबर 2021 : आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ एवं नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने सत्ताधारी कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि चन्नी सरकार लंबित पड़े मॉनसून सत्र से पल्ला झाड़ रही है, जो भारतीय संविधान का अपमान है। यह पंजाब और पंजाब के लोक मुद्दों के प्रति गैर-गंभीरता और असंवेदनशीलता की हद है।
`आप’ ने मांग की है कि पंजाब और जनता के साथ ज्वलंत और लंबे समय से लटके मुद्दों और मामलों के समाधान के लिए सरकार को कम से कम 15 दिन का सत्र बुलाना चाहिए। इसका सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) हो। हर मुद्दे पर सकारात्मक और अति गंभीरता के साथ विचार-चर्चा हो, ताकि समाधान सुनिश्चित किए जा सकें।
पार्टी मुख्यालय से शुक्रवार को जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आगामी 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा का महज एक दिवसीय सत्र बुलाया गया है, जो नाकाफी है। जितने मुद्दे और मामले लटके हैं, उनका एक दिन के सत्र के दौरान कोई ठोस समाधान संभव नहीं है। जबकि संवैधानिक और तकनीकी तौर पर मॉनसून सत्र लंबित पड़ा है। इसके लिए चन्नी सरकार को एक दिन के सत्र के साथ खानापूर्ति के बजाय मॉनसून के लंबित सत्र के संबंध में गंभीरता दिखानी चाहिए।
चीमा ने सवाल किया कि चन्नी के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है कि वर्षों-दशकों से लटकते आ रहे मुद्दों का एक दिन के सत्र के दौरान समाधान हो जाएगा। यदि कांग्रेस एक दिन में सभी मुद्दे-मामलों का समाधान कर सकती है तो बीते पौने पांच वर्षों में हुई बर्बादी के लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। चीमा ने चन्नी सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों के अमल पर बड़े सवाल खड़े करते हुए कहा कि हर फैसले के पीछे चुनावी स्टंट और ड्रामेबाजी स्पष्ट दिखती है। लेकिन इस दिखावाबाजी को पंजाब की जनता बड़ी बारीक नजर से देख रही है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जब 3 सितंबर को श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें शहीदी पर्व को समर्पित विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था, तो हम (आप) ने तर्क दिया था कि इस एक दिवसीय विशेष सत्र को तकनीकी या संवैधानिक तौर पर मॉनूसन सत्र से नहीं जोड़ा जा सकता। उस दिन विशेष सत्र शुरू होने से पहले बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह ने विश्वास दिलाया था कि 15-20 दिन में सत्र दोबारा बुलाया जाएगा और इसमें शेष मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। लेकिन दो महीने बीतने के बाद अब केवल एक दिन के सत्र की खानापूर्ति की जा रही है।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, कोटकपुरा गोलीकांड, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में बढ़ौतरी, प्राइवेट बिजली खरीद समझौते और मनरेगा घोटालों समेत नशा, रेत, शराब, ट्रांसपोर्ट, केबल, जमीन और मंडी आदि माफिया राज के मुद्दे जस के तस पड़े हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी ने अपने वर्ष 2017 के चुनावी मैनिफेस्टो में इन सभी मुद्दों का समाधान करने का वादा किया था। भले ही कांग्रेस ने अली बाबा बदलकर अपनी चमड़ी बचाने का प्रयास किया हो लेकिन कांग्रेस जनता के प्रति जवाबदेही से बच नहीं सकती।
`आप’ नेता ने कहा कि आज पंजाब धरने व प्रदर्शनों की धरती बन चुका है। विधानसभा में किसान, मजदूर, व्यापारियों, कर्मचारियों और बेरोजगारों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करवाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि समूची प्रेस को विधानसभा परिसर में आने की अनुमति देनी चाहिए , क्योंकि पिछले लंबे समय से पत्रकारों को कोविड नियमों का हवाला देकर विधानसभा कांप्लेक्स से ही तड़ीपार किया हुआ है।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनके कार्यकाल की याद दिलाते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जब चन्नी नेता प्रतिपक्ष थे तो वह स्वयं तत्कालीन बादल सरकार से लंबे सत्र की मांग करते थे। इसलिए मुख्यमंत्री चन्नी को भी विशेष मॉनसून सत्र को कम से कम 15 दिन के लिए बुलाना चाहिए।