सहजधारी सिख पार्टी हम-ख्याल पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी -डॉ.रानू
30 उम्मीदवारों का किया ऐलान
चंडीगढ़, ( विश्व वार्ता ) पंजाब में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है और सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारने शुरू कर दी है इसी तरह सहजधारी सिख पार्टी के सुप्रीमो डा परमजीत सिंह रानू ने आज 30 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करते हुए एक प्रैस बयान में कहा कि वह हम-ख्याल पार्टीयो के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सीटों की अदला बदली भी की जाएगी। उनकी पार्टी पंजाब के हित मे सुहिरद पार्टी के साथ ही गठबंधन करेगी ।
डॉ रानू ने बताया कि उनकी पार्टी पिछले 19 साल से सहजधारी सिखों के हक की लड़ाई अदालत में लड़ रही है और उनका किसान विंग किसान आन्दोलन में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के साथ पहले दिन से शामिल था । उन्होंने कहा कि पंजाब की राजनीति प्रदूषित हो चुकी है और उन्होंने लोगों से अपील की के वह जुमलेबाज ड्रामेबाज झूठे नेताओं के फरेबी लच्छेदार भाषणों में न आएं जो सिर्फ एंटरटेनर के बिना कुछ नहीं है ।इनके पास पंजाब के भविष्य के लिए कोई मुद्दा नहीं है।
डॉ.रानू ने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब के लोगों के लिए मुकम्मल मुफ्त सेहत सेवाएं एवं शिक्षा एवं हर परिवार में एक व्यक्ति के लिए सरकारी पेंशनयोग नौकरी सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्ध है जो उन्हें किसी भी आपातकालीन स्थिति में असुरक्षित महसूस न हो । उनकी पार्टी पंजाब में नौजवानों को योग्यता अनुकूल नौकरियां उपलब्ध करायेगी जिससे सक्षम दिमाग विदेशों में न जाएं । उनकी पार्टी का केन्द्र बिन्दु पंजाब को नशामुक्त एवं भ्रष्टाचार मुक्त करना है और धर्म जात पात की राजनीति से ऊपर उठ धर्मनिरपेक्षता के साथ देश की एकता और अखंडता के लिए माहौल बनाना है ।
वर्णनीय है कि 2011 की मर्दुमशुमारी के अनुसार पंजाब की सिख आबादी 1.75 करोड़ थी जिसमें से 1.20 करोड़ सिखों को गैर सिख और सहजधारी कह कर शिरोमणि अकाली दल ने शिरोमणि कमेटी पर कबजा रखने हेत भाजपा पर दबाव डाल कर इन सिखों को अपने ही धर्म से बाहर कर दिया है। इस प्रकार एक अल्पसंख्यक धर्म में से नई अल्पसंख्यक पैदा कर दी ।
वर्णनीय है कि पिछले 19 सालों से सहजधारी सिख पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह एवं कांग्रेस पार्टी को समर्थन देती आ रही है ।इस बार सहजधारी सिख पार्टी ने अपना निर्णय बदल लिया जिसका मुख्य कारण कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी झगड़े हैं ।
शिरोमणि अकाली दल बादल के पहले से ही सहजधारी सिख विरोध में है और उन्होंने नारा दिया है कि “अगर शिरोमणि कमेटी में वोट नहीं तो अकाली दल को कोई सपोर्ट नहीं”।
आम आदमी पार्टी ने भी रिवायती पार्टियों की तरह अपनी टिकटें अमीर अयोग्य उम्मीदवारों को देखकर योग्य कार्यकत्र्ताओं को दरकिनार किया है ।
भारतीय जनता पार्टी ने अकाली दल के पीछे लगकर सहजधारी सिखों को उनके ही धर्म से दूर किया एवं अल्पसंख्यक सिख धर्म में से एक और अल्पसंख्यक समुदाय को जन्म दिया ।