वृद्ध अवस्था में घर छोड़ने की जगह गृहस्थी में दखलअंदाजी छोड़ीए; नियम-संयम का जीवन व्यतीत करते हुए अपने घर को ही तीर्थ बनाएं – विजय कौशल महाराज
झारखण्ड के राज्यपाल ने किया दीप प्रज्वलन; प्रांत के लोगों की सुख-समृद्धि के लिए मांगा आशीर्वाद
चंडीगढ़, 27 पंजाब राजभवन में चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन आज झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। उन्होंने कथाव्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज को नमन कर आशीर्वाद लिया व झारखण्ड के लोगों की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा।
आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का स्वागत पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने किया। श्री राम कथा में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पूर्ण साधक के रूप में दिखे। उन्होंने व्यासपीठ को नमन किया, रामचरित्र मानस पर पुष्पार्चन की व कथावाचक श्री विजय कौशल जी महाराज का अभिवादन किया।
प्रभु श्री राम का जयघोष करते हुए झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस ने गवर्नर पंजाब सहित समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को राम कथा के पवित्र आयोजन के लिए बधाई दी और उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि जो मुझे इस राम कथा को सुनने का अवसर मिला।
उनका कहना था कि मैं यहां पर भाषण देने नहीं बल्कि श्री राम कथा को सुनने के लिए आया हूं। भगवान राम का कण-कण में निवास है। उनके जीवन की अनुपम कथाओं का जो हम श्रवण करते हैं उसके अनुरूप ही हमें अपना जीवन बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। भगवान राम एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श मित्र, आदर्श शिष्य व आदर्श राजा रहे। उन्होंने शबरी की भक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि शबरी के सत्य और प्रेम के समक्ष भगवान को झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि रामायण हमें बेहतर जीवन जीने के तरीके समझाती है। इसलिए श्री राम जी के आदर्शों को आत्मसात करें। रामायण/श्री रामचरित्र मानस भारत की आत्मा के दर्शन कराते हैं।
राम कथा के चौथे दिन के कथा सत्र का प्रारंभ कथाव्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने हनुमान चालीसा के प्रथम दोहे से और श्री राम का गुणगान करते हुए किया। उन्होंने कहा कि भगवान का कहना है कि जो मेरे आश्रित हो गया, मैं उसका हो गया। इसलिए यदि भगवान को भाव-कुभाव या आलस्य से भी पुकारोगे, तो वह भी भक्ति कहलाएगी। कर्म का फल भुगतना पड़ता है। स्वयं भगवान को भी कर्मों का फल भुगतना पड़ा। उन्होंने माधवदास भक्त का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान को संत अत्यंत प्रिय होते हैं। माधवदास संत की सेवा स्वयं भगवान ने की। जबकि भगवान संकल्प मात्र से ही उनको स्वस्थ कर सकते थे। परन्तु भगवान संत सेवा का सौभाग्य प्राप्त करना चाहते थे।
उन्होंने कहा कि कलयुग में घर-बाहर छोड़कर वन में प्रस्थान कर प्रभु प्राप्ति की जगह तीर्थ स्थानों पर जाकर तीर्थों के दर्शन करें। साधु चरणों में बैठकर भक्ति की सीख लें, साधारण भोजन करें, अपने जीवन में नियम को अपनाएं, तो आपके जीवन का उत्थान होेगा। त्रेतायुग, सतयुग और कलयुग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे संविधान में संशोधन किया जाता है, वैसे ही प्रत्येक युग के नियम भी बदलते हैं। आज के युग में घर छोड़कर वन में रहने की ज़रूरत नहीं है। जितना हो सके तीर्थ स्थलों का दर्शन करें, भजन व पूजा-पाठ करिए, सादा खाइए व नियम-संयम का जीवन व्यतीत करते हुए अपने घर को ही तीर्थ बनाइए। वृद्ध अवस्था में घर छोड़ने की जगह गृहस्थी में दखलअंदाजी छोड़ीए व बच्चों को हिम्मत, प्रोत्साहन व उत्साहित करिए।
उन्होंने श्रोताओं को परनिरीक्षण छोड़ आत्मनिरीक्षण करने का आह्वाहन किया और अपने आचरण, अपनी वाणी पे संयम रखने को कहा।
चौथे दिन की कथा में अत्यंत हर्ष व उल्लास का माहौल उत्पन्न करते हुए श्री विजय कौशल जी महाराज ने श्री राम जन्म का वृत्तांत प्रस्तुत किया।
आज की कथा में श्री सोम प्रकाश, श्री तीक्ष्णसूद (दोनों पूर्व मंत्री) और चंडीगढ़ की मेयर श्रीमती सरबजती कौर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्री राम कथा के कल पांचवें दिन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर मुख्य अतिथि होंगे।